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    आज मनाया जा रहा है यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य जागरुकता दिवस, जानें इसके बारे में सबकुछ

    By Ruhee ParvezEdited By:
    Updated: Fri, 12 Feb 2021 07:51 PM (IST)

    WHO का कहना है कि SRH का दायरा केवल यौन संबंधी रोगों तक सीमित नहीं है बल्कि इसका महत्व लोगों की शारीरिक भावनात्मक मानसिक और सामाजिक मज़बूती से भी जुड़ा है। इस दिन को मनाने का मकसद यौन और प्रजनन से जुड़ी समस्याओं के बारे में लोगों को बताना है।

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    यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के विषय में जागरुकता है बेहद ज़रूरी

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। आज दुनियाभर में यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य जागरूकता दिवस मनाया जा रहा है। इस विषय में जागरुकता बढ़ाने के लिए हर साल 12 फरवरी को यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य यानी SRH दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद यौन और प्रजनन से जुड़ी समस्याओं के बारे में लोगों को बताना है। WHO का कहना है कि SRH का दायरा सिर्फ यौन संबंधी रोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि ये लोगों की शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक और सामाजिक मज़बूती से भी जुड़ा है।

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    उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स की गायनेकोलॉजी और ऑब्सटेट्रिक्स हेड और कन्सलेन्ट डॉ. एकता बजाज का कहना है, "यौन हेल्थ का मतलब होता है कि इंफेक्शन और बीमारियों से बचना जिससे आप और अन्य लोग भावनात्मक तथा शारीरिक रूप से सुरक्षित रह सकें। यह व्यक्ति के स्वास्थ्य का अभिन्न हिस्सा होता है। जागरूकता की कमी होने से व्यक्ति यौन डिसऑर्डर के अन्तर्निहित कारणों को समझने में सक्षम नहीं हो पाता है। यौन बीमारियों के बारें में जागरूक रहने पर आप  बीमारी को ठीक करने के लिए जरूरी मदद प्राप्त कर सकते है।"

    पारस हॉस्पिटल की आब्सटेट्रिक्स एंड एआरटी, सेंटर फॉर मिनिमली इनवेसिव गायनेकोलॉजी की डायरेक्टर एंड हेड डॉ. अलका कृपलानी का कहना है, "भारत में पुरुषों और महिलाओं के बीच  यौन और प्रजनन स्वास्थ्य (यौन और रिप्रोडक्टिव हेल्थ) को लेकर जागरूकता की कमी है जिसके कारण ऐसे लोगों में यौन और गर्भनिरोध से संबंधित मैक्योरिटी और जानकारी की कमी हो जाती है। यौन हेल्थ कई फैक्टर से सम्बंधित होता है। इन फैक्टर्स से सेक्सुयल फंक्शन और प्रजनन प्रभावित होता हैं।" 

    भारत में यौन और प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर जागरुकता की कमी 

    कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, पालम विहार, गुरुग्राम के ऑब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. ज्योति शर्मा का कहना है कि हमारे देश में काफी समय से सेक्सुयल (यौन) और रिप्रोडक्टिव हेल्थ (प्रजनन स्वास्थ्य) के बारें गलत धारणाएं और स्पष्ट दृष्टिकोण की कमी होने से महिलाओं के लिए बहुत सारी समस्याएं पैदा हुई है। सामान्य जागरूकता की कमी होने से  रूढ़िवादी समाज में जवान लड़कियों के लिए यौन को वर्जित माना जाता रहा है। इस वजह से गंभीर परिणाम देखने को मिलता है और जवान महिलाएं जानकारी के असत्यापित स्रोत  खासकरके इंटरनेट या अफवाहों पर निर्भर हो जाती है।  इसके अलावा वे अनुभवी महिलाओं और बड़ी उम्र की लड़कियों की जानकारी पर भी निर्भर होती है।

    जानकारी होना है महत्वपूर्ण 

    महिलाओं में सेक्सुयल समस्याओं को जानकारी और जागरूकता के माध्यम से हल किया जा सकता है। सबसे जरूरी जानकारी गर्भनिरोधक उपायों को लेकर है। इससे एसटीआई और अनचाहे गर्भ से सुरक्षा मिलती है। साइकोसेक्सुयल थेरेपी का लक्ष्य होता है कि महिलाएं अपने शरीर की भावनाएं और यौन के बारे समझें। 

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