हर्बल नेबुलाइजर से अब अस्थमा व एलर्जी का इलाज, BHU के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में तैयार हुई आयुर्वेदिक दवा
अगर आप या आपके आसपास कोई मौसमी एलर्जी खांसी सांस फूलने और अस्थमा का शिकार है तो आपके लिए एक खुशखबरी है। हाल ही में बीएचयू के आईएमएस में आयुर्वेद विभाग को हर्बल नेबुलाइजर तैयार करने में सफलता मिली है। इस दवा का चूहों में ट्रायल किया गया जिसमें मिली सफलता के बाद इसका इस्तेमाल बच्चों के इलाज में किया जा रहा है।

संग्राम सिंह, वाराणसी। मौसमी एलर्जी, खांसी, सांस फूलने और अस्थमा के इलाज में इस्तेमाल होने वाले एलोपैथिक नेबुलाइजर से मरीजों को राहत ताे मिल जाती है, लेकिन शरीर में हमेशा साइड इफेक्ट का खतरा बना रहता है। बीएचयू के आईएमएस (चिकित्सा विज्ञान संस्थान) में आयुर्वेद विभाग को हर्बल नेबुलाइजर (केवी रेस्पिरेटर सोल्यूशन) तैयार करने में सफलता मिली है।
40 चूहों में ट्रायल की सफलता के बाद डेढ़ साल में 500 बच्चों को इसी नेबुलाइजर से राहत प्रदान किया गया है। इसका फेफड़े समेत किसी अंग को कोई भी नुकसान नहीं है। बच्चों में गिरते ऑक्सीजन लेवल को भी नियंत्रित किया जा रहा है। चार फीसद तक ऑक्सीजन लेवल बढ़ाया जा सकता है।
देश का पहला ऐसा नेबुलाइजर
इस दवा को कंटकारी (भटकटिया) और वासाका (अडूसा) पौधे से तैयार किया गया है। इस विधि से तैयार यह नेबुलाइजर देश में पहला है। करीब दो सप्ताह तक 40 चूहों में ट्रायल हुआ है, सफलता के बाद हर्बल नेबुलाइजर को डिपार्टमेंटल रिसर्च कमेटी, आईएमएस की एनिमल एथिकल कमेटी और क्लीनिकल एथिकल कमेटी से मान्यता मिल चुकी है। सीटीआरआई (क्लीनिकल ट्रायल रिसर्च इंस्टीट्यूट) नई दिल्ली ने भी दवा को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
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ऐसे तैयार हुई दवा
चरक संहिता में वर्णित फार्मूले से तैयार की गई दवा चरक संहिता में वर्णित श्वास रोग अधिकार में धूमपान विधि बताई गई है। इसी फार्मूले को अपनाया गया है। अडूसा और भटकटिया के पत्तियाें को बड़े बर्तन में धोकर डाला गया, फिर उसे 24 घंटे तक धीमी आंच में उबाला गया। फिर कपड़े से छानकर पानी अलग किया गया, उसी पानी को फिर से उबाला गया। सारा पानी सुखाया गया। द्रव्य को वाटर बाथ में सुखाकर ड्राई पाउडर तैयार किया गया।
चूहों के कई अंगों का हुआ परीक्षण
तीन महीने पहले चूहों में हर्बल नेबुलाइजर का इस्तेमाल हुआ था। चूहों के लीवर, किडनी, ब्रेन, फेफड़े व ह्रदय के टुकड़ों की आइएमएस के हिस्ट्रोपैथालाजी जांच कराई गई, इसमें सारे अंग सामान्य मिले। प्राथमिक रूप से पांच किलोग्राम अनुपात में अडूसा और भटकटिया से पाउडर तैयार किया गया है, इसे बच्चों को मुफ्त दिया जा रहा है।
बीएचयू के आयुर्वेद और बाल रोगा व कुमारभृत्या विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रेमशंकर उपाध्याय बताते हैं कि तीन साल के परिश्रम के बाद हर्बल नेबुलाइजर को कई क्लीनिकल ट्रायल में सफलता मिली है। बच्चों के इलाज में बहुत कारगर है। जल्द ही व्यापक पैमाने पर उत्पादन की दिशा में कदम बढ़ाया जाएगा।
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