Study: लोगों को अकेलेपन और अनिद्रा का शिकार बना रहा AI, लेटेस्ट स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
Study लोगों के बीच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का चलन तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में अब हर क्षेत्र के लोग लगातार इसका इस्तेमाल करने लगे हैं। लेकिन हाल ही में सामने आए एक शोध ने एआई को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Study: इन दिनों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल तेजी से बढ़ता जा रहा है। लगभग हर क्षेत्र से जुड़े लोग एआई की मदद से अपने काम को आसान बना रहे हैं। इसी बीच अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन द्वारा जारी किए गए एक अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। इस अध्ययन के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम से जुड़े कर्मचारियों के अकेलेपन का शिकार होने की संभावना अधिक होती है। साथ ही स्टडी में यह भी सामने आया है इसकी वजह से नींद न आने और शराब पीने की आदत में भी वृद्धि पाई गई है।
166 लोगों पर हुई रिसर्च
जॉर्जिया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर ने अपनी स्टडी के लिए अमेरिका, ताइवान, इंडोनेशिया और मलेशिया में चार एक्सपेरिमेंट किए। इसके लिए उन्होंने ताइवानीज बायोमेडिकल कंपनी के एआई के साथ काम करने वाले 166 लोगों पर 3 हफ्ते तक रिसर्च की इस। दौरान रिसर्च में शामिल लोगों से अकेलेपन, अपनेपन की भावना और लगाव की चिंता के बारे में बातचीत की गई। इस दौरान स्टडी में शामिल प्रतिभागियों ने बताया कि काम से लौटने के बाद उन्हें नींद नहीं आती और वह शराब पीते हैं।
मदद के लिए तैयार लोग
जर्नल ऑफ एप्लाइड साइकोलॉजी में प्रकाशित इस रिसर्च में यह भी पता चला कि एआई के साथ काम करने वाले लोग हमेशा मदद के लिए तैयार रहते हैं। शोधकर्ताओं का यह मानना है कि लोग मदद के लिए इसलिए तैयार है, क्योंकि वह सामाजिक तौर पर एक्टिव रहना चाहते हैं। अमेरिका, इंडोनेशिया और मलेशिया की प्रॉपर्टी मैनेजमेंट और टेक कंपनियों में किए गए एक्सपेरिमेंट्स में भी यही रिजल्ट सामने आए हैं।
एआई के साथ कम समय बिताए लोग
स्टडी के प्रमुख शोधकर्ता पोक मैन टैंग कहते हैं कि टेक कंपनियां ऐसे एआई बना सकती है, जिसमें इंसानी आवाज का फीचर हो ताकि काम करते समय उन्हें ऐसा महसूस न हो कि वह किसी मशीन के साथ काम कर रहे हैं। लोगों को काम के दौरान ह्यूमन इंटरेक्शन का अहसास दिलाने के लिए एआई पर काम किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को कम से कम एआई के साथ समय बिताना चाहिए और सोशलाइज करने के मौके मिलने चाहिए।
Picture Courtesy: Freepik
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