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    Antibiotics and Zinc Supplement:एंटीबायोटिक और जिंक म्यूकरमाइकोसिक के पनपने का कारण नहीं, जानिए एक्सपर्ट की राय

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Wed, 26 May 2021 12:44 PM (IST)

    Antibiotics and Zinc Supplement आप भी जिंक और एंटीबायोटिक को म्यूकरमाइकोसि के पनपने का कारण मानते हैं तो विशेषज्ञ की राय पर पहले ध्यान दें। जिंक इम्यू ...और पढ़ें

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    म्यूकरमाइकोसिस के पनपने का कारण स्टेरॉयड का अत्याधिक सेवन है।

    नई दिल्ली, शाहीना नूर। कोरोनावायरस का संक्रमण लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है, उसके साथ ही म्यूकरमाइकोसिस यानि ब्लैक फंगस ने लोगों को परेशान कर दिया है। भारत में कोरोना से रिकवर हुए मरीज़ों में यह बीमारी तेज़ी से फैल रही है, हालांकि तेज़ी से इसकी रोकथान के लिए उपाय भी खोजे जा रहे हैं। सवाल यह उठता है कि यह बीमारी अचानक से कैसे पनपने लगी? म्यूकरमाइकोसिस के लिए कुछ लोग एंटीबायोटिक और जिंक सप्लीमेंट को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं जो पूरी तरह गलत है।

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    गंगा राम अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट एंड वाइस चेयरमेन क्रिटिकल केयर एंड इमर्जेंसी मेडिसिन के डॉक्टर प्रकाश. एस. शास्त्री ने बताया कि एंटीबायोटिक और जिंक सिर्फ एक सप्लीमेंट है यह म्यूकरमाइकोसिक के पनपे का कारण नहीं है। लोग सालों से एंटीबायोटिक से लेकर जिंक सप्लीमेंट और आइरन तक की गोलियों का सेवन कर रहे हैं इससे पहले यह परेशानी मरीज़ों में देखने को नहीं मिली। आप भी जिंक और एंटीबायोटिक को म्यूकरमाइकोसि के पनपने का कारण मानते हैं तो विशेषज्ञ से जानिए इस बीमारी के पनपने का कारण और उससे बचाव भी।

    म्यूकरमाइकोसि का कारण?

    इस बीमारी के सबसे ज्यादा पनपने का कारण स्टेरॉयड का अत्याधिक सेवन है। डॉक्टर के मुताबिक भारत शुगर के मरीज़ों का हब बन चुका है, अस्पताल में आने वाले ज्यादातर कोरोना के मरीज़ों को शुगर रहता है जिसकी वजह से उसको कंट्रोल करने के लिए स्टेरॉयड का अत्याधिक सेवन करना पड़ता है। इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह शुगर है।

    एंटीबायोटिक पूरी तरह जिम्मेदार नहीं:

    म्यूकरमाइकोसिस के लिए एंटीबायोटिक को पूरी तरह जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते, क्योंकि हर बीमारी पर काबू पाने के लिए एंटीबायोटिक का इस्तेमाल किया जाता है। अगर ऐसा रहता तो देश में जितने कोरोना के मरीज़ है उतने ही म्यूकरमाइकोसि के भी हो जाते। इसलिए इस बीमारी के लिए एंटीबायोटिक को पूरी तरह जिम्मेदार ठहरा गलत है।

    ओरल हेल्थ सबसे बड़ी जिम्मेदार:

    डॉक्टर के मुताबिक इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण लोगों की ओरल हेल्थ है। लोग दांतों की सफाई का ध्यान नहीं रखते, या फिर दांतों में कई तरह की परेशानियां होती है जिसको नज़रअंदाज़ करते हैं जो इस फंगस का बड़ा कारण है।

    क्या है ब्लैक फंगस?

    म्यूकरमाइकोसिस एक फंगल इन्फेक्शन है। यह उन लोगों को प्रभावित करता है, जिनका इम्यून सिस्टम किसी बीमारी या इसके इलाज की वजह से कमजोर हो जाता है। ये फंगस हवा में मौजूद होता है और कमज़ोर इम्यूनिटी वाले लोगों में पहुंचकर उनको संक्रमित करता है। 

    जिंक सिर्फ एक सप्लीमेंट है:

    डॉक्टरों में म्यूकरमाइकोसिस को लेकर आमराय है कि इस बीमारी की प्रमुख वजह डायबिटीज और स्टेरॉयड है। जिंक सिर्फ एक सप्लीमेंट है जिसका काम इम्यूनिटी बूस्ट करना है। जिंक उसी तरह काम करता है जिस तरह गिलोय का इस्तेमाल इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए किया जाता है।

    2020 में सबसे अधिक बिकी जिंक की गोली

    कोरोना के बाद भारत ब्लैक फंगस का भी दुनिया में पहला हब बन गया है। कोविड से पहले के मुकाबले वर्तमान में भारत में ब्लैक फंगस इंफेक्शन के मामले में 70 फीसद की बढ़ोतरी हो गई है। दो महीने से भी कम समय में भारत में इसके 8000 से ज्यादा केस आ गए है जिससे डॉक्टरों के समुदाय में चिंता है। डॉक्टरों ने आईसीएमआर Indian Council of Medical Research से इसपर ज्यादा रिसर्च की मांग की है ताकि जल्दी ही इसकी वजहों का पता लगाया जा सके। भारत में कोविड महामारी के आने के बाद से जिंक सप्लीमेंट को immunity boosters के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। 2020 में जिंक भारत में सबसे अधिक बिकने वाली दवा बन गई।

    म्यूकरमाइकोसिस से बचाव के लिए ओरल हेस्थ का रखें ख्याल

    रोजाना दांतों की सफाई से प्लाक, कैविटी और दांतों में फसी हुई चीज़ों को साफ करें।

    नियमित रूप से ब्रश व कुल्ला करने के साथ जीभ की सफाई भी जरूर करें।

    ओरल हाइजिन का पालन कर फंगल इंफेक्शन को कंट्रोल कर सकते हैं।

     गरारे और एंटी फंगल माउथ फ्रेशनर का इस्तेमाल करें।

    कोरोना मरीजों का टेस्ट निगेटिव आने के बाद टूथब्रश बदलें। इसके अलावा कोरोना के मरीजों अपना ब्रश अलग रखें। ब्रश और टंग क्लीनर को एंटीसेप्टिक माउथ वॉश से धोएं।

      (गंगा राम अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट एंड वाइस चेयरमेन क्रिटिकल केयर एंड इमर्जेंसी मेडिसिन के डॉक्टर प्रकाश एस शास्त्री से बातचीत पर अधारित)