Alzheimer's Disease: 40-50 साल के लोगों को क्यों बढ़ रहा है अल्ज़ाइमर का खतरा? एक्सपर्ट बता रहे हैं इसकी वजह
Alzheimers disease अल्जाइमर बढ़ती उम्र के साथ होने वाली एक समस्या है। अध्ययनों में पता चला है कि 85 से ज्यादा उम्र के तकरीबन एक-एक तिहाई लोग अल्ज़ाइमर रोग से पीड़ित हैं। तो क्यों बढ़ जाती है उम्र के साथ ये समस्या आइए जानते हैं।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Alzheimer's Disease: डीमेंशिया का सबसे आम रूप, अल्ज़ाइमर रोग एक गंभीर स्थिति है, जिसके चलते व्यक्ति की याददाश्त, सोचने की क्षमता और व्यवहार पर असर होता है। अल्ज़ाइमर रोग दिमाग से जुड़ी एक समस्या है, जिसके चलते दिमाग में कई बदलाव आ जाते हैं। जैसे अमायलॉइड प्लॉक और न्युरोफाइब्रीलैरी या ताउ, टैंगल्स- जिसके परिणामस्वरूप न्यूरॉन और उनका कनेक्शन खराब होने लगता है। उम्र बढ़ने के साथ स्थिति और गंभीर होती चली जाती है और व्यक्ति के सोचने और याद रखने की क्षमता कम होती जाती है। एक समय ऐसा भी आता है जब व्यक्ति स्वतन्त्र रूप से रहने में अक्षम हो जाता है।
उम्र बढ़ने के साथ अल्ज़ाइमर का संबंध
अल्ज़ाइमर आमतौर पर ज्यादा उम्र के लोगों में पाया जाता है, हालांकि उम्र बढ़ना इसका कारण नहीं है। लेकिन उम्र के साथ इसकी संभावना बढ़ती है। अगर यह कम उम्र में हो जाए तो इसे अर्ली ऑनसेट कहा जाता हैं, हालांकि ऐसे मामले कम होते हैं। यह रोग 40-50 की उम्र में शुरू हो सकता है। अध्ययनों में पता चला है कि 85 से ज्यादा उम्र के तकरीबन एक-एक तिहाई लोग अल्ज़ाइमर रोग से पीड़ित हैं। इस बात पर अध्ययन किए जा रहे हैं कि उम्र बढ़ने के साथ दिमाग के न्यूरॉन्स एवं कोशिकाओं पर क्या असर होता है, जिसकी वजह से व्यक्ति अल्ज़ाइमर का शिकार हो जाता है।
अल्जाइमर के प्रकार
ज़्यादातर प्रकार के अल्ज़ाइमर एक समान होते हैं, इनमें थोड़ा-बहुत अंतर होता है।
कॉमन अल्ज़ाइमर रोगः आमतौर पर अर्ली ऑनसेट के मामलों में देखा जाता है। और उम्र बढ़ने के साथ स्थिति गंभीर होती चली जाती है।
जेनेटिक यानि आनुवंशिक अल्ज़ाइमर रोगः यह अल्ज़ाइमर का सबसे दुर्लभ रूप है, जो सीधे दिमाग की कोशिकाओं को प्रभावित करता है। इस प्रकार का अल्ज़ाइमर 30-50 की उम्र में पाया जाता है।
अल्जाइमर के कारण
अल्ज़ाइमर के कारण अब तक ठीक से ज्ञात नहीं हैं। हालांकि वैज्ञानिकों को लगता है कि दो प्रोटीन प्लॉक्स और टैंगल्स उम्र बढ़ने के साथ तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगते हैं। शुरूआत में प्लॉक्स और टैंगल्स दिमाग के उस हिस्से को नुकसान पहुंचाते हैं, जो याददाश्त के लिए ज़रूरी है। फिर धीरे-धीरे दिमाग के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करने लगते हैं। हालांकि इस बात को समझने के लिए अध्ययन किए जा रहे हैं कि कुछ लोगों में इतने ज़्यादा प्लॉक्स और टैंगल्स क्यों होते हैं या वे किस तरह दिमाग को नुकसान पहुंचाते हैं।
अल्जाइमर के लक्षण
अल्ज़ाइमर के लक्षण हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं। कुछ शुरूआती लक्षण हैं- महत्वपूर्ण चीज़ें भूल जाना या नई सीखी हुई चीज़ों का याद न रहना, एक ही सवाल को बार-बार दोहराना, सामान्य समस्याओं को हल करने में मुश्किल होना, दिन, तारीख, समय याद न रख पाना, फैसला न ले पाना, काम या समाज से दूर हो जाना, मूड एवं पर्सनेलिटी में बदलाव आदि। धीरे धीरे व्यक्ति में कई और बदलाव भी आने लगते हैं जैसे मूड बदलना, व्यवहार में बदलाव, समय, स्थान या जीवन की घटनाओं के बारे में भ्रम होना, बोलने, निगलने, चलने में मुश्किल और याददाश्त कम होना।
अल्जाइमर के उपचार
अब तक अल्ज़ाइमर का कोई उपचार नहीं खोजा गया है। आमतौर पर इन मरीज़ों को वो दवाएं दी जाती हैं जो व्यवहार पर नियंत्रण में काम आती हैं। ये पूरी तरह से रोग का इलाज नहीं कर सकती, लेकिन कुछ हद तक रोग के प्रबन्धन में कारगर होती हैं।
(Dr Shivali Ahlawat - Lab Director, Oncquest Laboratories Ltd से बातचीत पर आधारित)
Pic credit- freepik
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