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    गर्भवती महिलाओं और बच्चे के लिए ज़हर है प्रदूषित हवा, एक्सपर्ट से जानें इससे बचने के उपाय

    By Ruhee ParvezEdited By:
    Updated: Thu, 09 Dec 2021 02:53 PM (IST)

    ज़हरीला पार्टिकुलेट मैटर फेफड़ों आंखों और गले में जलन पैदा करता है जिससे सांस लेना मुश्किल आती है। ऐसा कहा जाता है कि भ्रूण को मां से ऑक्सीजन मिलती है और प्रदूषित हवा में सांस लेने से भ्रूण पर असर पड़ता है।

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    गर्भवती महिलाओं और बच्चे के लिए ज़हर है प्रदूषित हवा, एक्सपर्ट से जानें इससे बचने के उपाय

    नई दिल्ली, रूही परवेज़। देश की राजधानी सहित कुछ और राज्यों में अभी भी हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में बनी हुई है। हालांकि, वायु प्रदूषण सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य ख़तरा बना हुआ है। यह धुंआ हम सभी की सेहत पर कई तरह से असर डाल रहा है, खासतौर पर गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चे को भी इससे ख़तरा रहता है। दुनिया जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से गुजर रही है, प्लास्टिक पुनर्जनन से हरी गैस उत्सर्जन और रसायनों में वृद्धि ज़हरीले रासायनिक कचरे में योगदान करती है, जो गर्भवती माताओं को प्रभावित कर सकती है।

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    गर्भ में पल रहे बच्चे को ऐसे प्रभावित करती है दूषित हवा

    दिल्ली के अपोलो क्रेडल एंड चिल्ड्रंस अस्पताल में कंसल्टेन्ट अब्स्टेट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजी, डॉ. युवाक्षी जुनेजा का कहना है, "दूषित हवा गर्भ में पल रहे बच्चे को भी प्रभावित कर सकती है। यह समझना बेहद ज़रूरी है कि वायु प्रदूषण कई रूपों में आता है। यह ज़हरीला पार्टिकुलेट मैटर फेफड़ों, आंखों और गले में जलन पैदा करता है, जिससे सांस लेना मुश्किल आती है। ऐसा कहा जाता है कि भ्रूण को मां से ऑक्सीजन मिलती है और प्रदूषित हवा में सांस लेने से भ्रूण पर असर पड़ता है।

    गर्भाधान से पहले या गर्भावस्था के शुरुआती महीनों के दौरान बाहरी वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से समय से पहले जन्म या मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में जन्म दोष हो सकता है। यह भी देखा गया है कि वायु प्रदूषण की वजह से कम से कम 60 लाख बच्चे समय से पहले पैदा हुए हैं, और कई ऐसे भी होते हैं जिनका जन्म के समय वज़न बेहद कम होता है। बच्चा जितना छोटा होगा या जितनी जल्दी उसका जन्म होगा, जटिलताओं का ख़तरा उतना ही ज़्यादा होगा। अगर आपका बच्चा लंबे समय तक उच्च स्तर के वायु प्रदूषण में सांस लेता है, तो उन्हें इन बीमारियों का ख़तरा हो सकता है:

    - फेफड़ों का कमज़ोरी होना

    - बचपन में या बड़े होने पर अस्थमा विकसित करना

    - अगर उन्हें पहले से ही अस्थमा है, तो वायु प्रदूषण इसे और भी खराब कर सकता है

    - घरघराहट

    - खांसी

    - बड़े होने पर फेफड़ों का कैंसर

    - निमोनिया जैसे संक्रमण

    प्रदूषण से बचने के लिए गर्भवती महिलाएं क्या कर सकती हैं?

    दिल्ली के अपोलो क्रेडल एंड चिल्ड्रंस अस्पताल में वरिष्ठ कंसल्टेन्ट अब्स्टेट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजी, डॉ. प्रिया शुक्ला ने बताया कि गर्भवती महिलाएं प्रदूषण के दौर में किस तरह की सावधानियां बरत सकती हैं।

    - घर से बाहर कम से कम निकलें और अगर जाना ज़रूरी है तो हमेशा मास्क पहनें।

    - अस्थमा के मरीज़ हैं, तो इनहेलर हमेशा साथ रखें और इसका प्रयोग भी करें।

    - हाथों, आंखों और चेहरे को साफ रखें। दिन में हाथों और आंखों को कई बार धोएं।

    - हरी पत्तेदार सब्ज़ियों के साथ विटामिन-सी से भरपूर स्वस्थ आहार लें, इनसे इम्युनिटी मज़बूत होती है। साथ ही खूब सारे तरल पदार्थ भी लें।

    - एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल इस वक्त फायदेमंद साबित हो सकता है। यह आपके घर की हवा से लेकर धुएं, एलर्जी, मोल्ड और कीटाणुओं तक को साफ कर देता है। जिससे आपको और आपके बच्चे को स्वस्थ वातावरण मिलता है। घर के लिए एयर प्यूरीफायर के अलावा कार प्यूरीफायर भी लगवाएं।

    - घर की सफाई के लिए कैमिकल युक्त क्लीनिंग एजेंट की जगह प्राकृतिक क्लीनर का उपयोग करें। खाना बनाते समय अपने वेंट हुड का उपयोग करके, मोल्ड के लिए नियमित जांच करें और कार्बन मोनोऑक्साइड डिटेक्टरों का उपयोग करके एक स्वस्थ वातावरण बनाएं।

    - हवा को साफ करने वाले पौधे लगाएं। ऐसे कई तरह के पौधे हैं, जो हवा को फ़िल्टर कर सकते हैं और आपको और आपके बढ़ते बच्चे को स्वस्थ हवा में सांस लेने में मदद कर सकते हैं।