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Malaria Test: बीमार पड़ने पर मलेरिया का टेस्ट कब करवाना चाहिए?

Malaria Testअधिकतर लोगों में लक्षण 10 दिन से 4 हफ्ते के बीच दिखाई देने लगते हैं। ऐसे में संक्रमित मरीज़ या तो सात दिन के भीतर ही या फिर एक साल के बाद तक बीमार महसूस करने लगते हैं।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Sat, 27 Jun 2020 11:09 AM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2020 01:32 PM (IST)
Malaria Test: बीमार पड़ने पर मलेरिया का टेस्ट कब करवाना चाहिए?
Malaria Test: बीमार पड़ने पर मलेरिया का टेस्ट कब करवाना चाहिए?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Malaria Patient Care: मच्छर के काटने से आमतौर पर कई तरह की बीमारियां फैलती हैं, लेकिन इनमें से सबसे खतरनाक मलेरिया को माना जाता है। ये बीमारी प्लासमोडियम परजीवी से संक्रमित मच्छर के काटने से होती है। आमतौर पर मलेरिया का पता मच्छर के काटने के 10-15 दिन बाद चलता है। हालांकि, कई बार लक्षण पहले दिख जाते हैं और कई बार काफी समय भी लग जाता है। ऐसे में लोगों के जहन में ये सवाल उठना लाज़मी है कि आखिर कब हमें डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। 

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अधिकतर लोगों में लक्षण 10 दिन से 4 हफ्ते के बीच दिखाई देने लगते हैं। ऐसे में संक्रमित मरीज़ या तो सात दिन के भीतर ही या फिर एक साल के बाद तक बीमार महसूस करने लगते हैं। ऐसे में जब भी मलेरिया के लक्षण दिखने लगें तभी डॉक्टर से संपर्क करना बेहतर रहता है। मलेरिया के परजीवी कीटाणु इतने छोटे होते हैं कि इन्हें केवल माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है। ये परजीवी मलेरिया से पीड़ित मरीज के खून में पाए जाते हैं। इनमें मुख्य होते हैं- प्लासमोडियम वाइवैक्स और प्लासमोडियम फैल्सीफेरम।

मलेरिया के लक्षण

मलेरिया के लक्षण होते हैं, अचानक सर्दी लगना। इस दौरान मरीज़ को कंपकंपी लगती है। इसके अलावा तेज़ बुखार, सिर दर्द, जी मिचलाना, बदन दर्द और उल्टी भी होती है। ऐसे में मरीज़ का शरीर लगातार कमज़ोर होता जाता है और उसमें बीमारी से लड़ने की क्षमता कम होती रहती है। इसलिए डॉक्टर यही सलाह देते हैं कि जब मलेरिया की बीमारी ज़्यादा गंभीर हो तो सबसे पहले नज़दीकी चिकित्सा केंद्र में खुद को दिखाना चाहिए। क्योंकि मलेरिया अगर गंभीर हो जाए तो वो प्लासमोडियम फाल्सीपेरम का रूप ले सकता है। जिससे मरीज़ की मौत भी हो सकती है।

क्या कहते हैं डॉक्टर

एडवांस वायरोलोजी डॉ. भारती मल्होत्रा का कहना है कि यही वजह है कि जब भी मलेरिया के लक्षण दिखाई दें तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। ताकि ये पुष्टि हो सके कि मरीज़ को मलेरिया है या नहीं। अगर मलेरिया हुआ है, तो वक्त पर इलाज मिल पाने से मरीज़ जल्द ठीक हो सकता है। खासतौर, पर अगर मलेरिया के लक्षण बारिश और गर्मी के बीच दिखाई दें, यानी उस मौसम में जब मच्छर अधिक पनपते हैं, तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं। इसके अलावा अगर आप ऐसे किसी स्थान से आए हैं, जहां मलेरिया के कई मामले सामने आ चुके हैं या फिर वहां गंदगी और मच्छर हैं, तो भी आपको वक्त रहते मलेरिया की जांच करवा लेनी चाहिए। चिकित्सा क्षेत्र में ऐसा कहा जाता है कि मलेरिया की बीमारी का इलाज जितना जल्दी हो सके उतना ही जल्दी करवा लेना चाहिए।

कैसे होता है मलेरिया का इलाज   

डॉ. भारती बताती है कि अगर जांच रिपोर्ट में मलेरिया की पुष्टि होती है तो परजीवी के प्रकार के अनुसार डॉक्टर दवाई उपलब्ध करवाते हैं। इन दवाओं को सही समय पर पूरी अवधि में लेते रहते चाहिए, जिससे बीमारी में समय रहते राहत मिलती है। इसके साथ ही कुछ अन्य उपाय भी अपनाने चाहिए। जैसे घर के अंदर कीटनाशक का छिड़काव ताकी मच्छर न आ सकें। मच्छरों से बचाव के लिए ढके हुए कपड़े पहनें, कहीं भी पानी एकत्रित न होने दें क्योंकि मच्छर साफ पानी में जल्दी पनपते हैं, इसलिए कूलर और पानी की टंकी आदि हफ्ते में एक बार खाली करके सुखा लें। इसके साथ ही अपने घर के आसपास सफाई रखें और मच्छरदानी का प्रयोग करें।


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