Pneumonia के इलाज के लिए जरूरी है सही जानकारी, जानें इससे जुड़े कुछ आम मिथकों की सच्चाई
निमोनिया एक प्रकार का इन्फेक्शन है जिससे फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है। इसमें फेफड़ों में सूजन और फ्लूड भरने लगता है जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानियां हो सकती हैं। इस बीमारी के सही इलाज के लिए जरूरी है कि आपको इसके बारे में सही जानकारी हो। आइए जानते निमोनिया से जुड़े कुछ आम मिथक (Pneumonia Common Myths) और उनकी सच्चाई।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Pneumonia Common Myths: निमोनिया एक रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन है, जो वायरस, बैक्टीरिया या फंगस के संक्रमण की वजह (Pneumonia Causes) से होता है। इस बीमारी में फेफड़ों के टिश्यू में सूजन आ जाती है और उनमें पस या फ्लूइड जमा होने लगता है। इसके कारण सांस लेने में तकलीफ होने (Pneumonia Symotoms) लगती है। कई मामलों में निमोनिया जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसलिए इस बीमारी के सही इलाज (Pneumonia Treatments) के लिए इससे जुड़ी सही जानकारी होना जरूरी है। लोगों के बीच निमोनिया से जुड़े कई ऐसे मिथक प्रचलित हैं, जो खतरनाक साबित हो सकते हैं। इसलिए डॉ. नीरज गुप्ता (मैक्स सुपर स्पेशेलिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम के पल्मनरी, रेस्पिरेटरी क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन के एसोशिएट डायरेक्टर) ने निमोनिया से जुड़े कुछ आम मिथकों का खंडन किया है। आइए जानें उनके बारे में।
मिथक-1 निमोनिया सिर्फ बुजुर्गों को ही होता है।
सच्चाई- यह सच है कि बुजुर्गों में निमोनिया का खतरा ज्यादा रहता है, लेकिन यह इन्फेक्शन किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। चाहे वह बच्चा हो, वयस्क या बुजुर्ग। प्रदूषक तत्वों और इन्फेक्शन की चपेट में आने वाले व्यक्ति को निमोनिया आसानी से हो सकता है। साथ ही, जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है या जो पहले से बीमार हैं, उनमें निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, 5 साल से कम उम्र के बच्चे और बुजुर्गों में इसका खतरा ज्यादा रहता है, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। इसलिए इनका ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है।
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मिथक-2 निमोनिया सिर्फ सर्दी-जुकाम का गंभीर रूप है।
सच्चाई- निमोनिया सामान्य सर्दी-जुकाम और फ्लू से काफी गंभीर और खतरनाक होता है। हालांकि, इसके कुछ लक्षण इन जैसे ही होते हैं, जैसे- खांसी, कफ, बुखार, लेकिन इसमें फेफड़ों में इन्फेक्शन हो जाता है, जिसकी वजह से यह खतरनाक साबित हो सकता है। इन्फेक्शन की वजह से सांस लेने में तकलीफ, ऑक्सीजन लेवल कम होना जैसी परेशानियां हो सकती हैं। इसलिए अगर निमोनिया का समय पर इलाज न किया जाए, तो सेप्सिस या रेस्पिरेटरी फेलियर जैसी जानलेवा स्थितियां भी पैदा हो सकती हैं। इसलिए अगर सीने में दर्द, लगातार खांसी, बलगम, बुखार और सांस लेने में तकलीफ होने जैसे लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
मिथक-3 एंटिबायोटीक्स निमोनिया के खिलाफ हमेशा असरदार होते हैं।
सच्चाई- निमोनिया बैक्टीरिया, वायरस या फंगस, इन तीनों में से किसी के भी कारण हो सकता है। इसलिए एंटीबायोटीक्स सिर्फ बैक्टीरियल निमोनिया के खिलाफ ही असरदार होते हैं। वायरल या फंगल निमोनिया में एंटीबायोटीक्स कारगर नहीं होते। इसलिए किस प्रकार का निमोनिया हुआ है, इसके मुताबिक डॉक्टर दवाएं देते हैं।
मिथक-4 अगर आपको एक बार निमोनिया हो गया है, तो दोबारा नहीं होगा।
सच्चाई- निमोनिया अन्य बीमारियों से अलग है। इसमें रिकवरी के बाद इम्युनिटी विकसित नहीं होती है। इसलिए दोबारा निमोनिया होने का खतरा रहता है। खासकर तब अगर दूसरी बार निमोनिया किसी दूसरे पैथोजेन के कारण हुआ है। इसके अलावा, ध्यान देने वाली बात यह भी है कि निमोनिया की वैक्सीन निम्यूनोकोकल वैक्सीन सिर्फ कुछ प्रकार के बैक्टीरियल इन्फेक्शन के रिस्क को ही कम करता है। हालांकि, पूरी तरह सुरक्षा नहीं मिलता है। इसलिए निमोनिया के खतरे को कम करने के लिए एनुअल फ्लू शॉट, सही हाइजीन और नियमित हाथ धोना जरूरी है।
मिथक-5 निमोनिया सिर्फ स्मोक करने वाले लोगों को होता है।
सच्चाई- स्मोकिंग के कारण फेफड़े डैमेज होते हैं और साथ ही, इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो सकता है। इसके कारण उनमें निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन नॉन स्मोकर्स को भी निमोनिया हो सकता है। किसी बीमारी, कमजोर इम्यून सिस्टम, कोई रेस्पिरेटरी कंडीशन, प्रदूषण या सेकंड हैंड स्मोक कारण भी निमोनिया हो सकता है। इसलिए स्मोकिंग इस इन्फेक्शन का एक रिस्क फैक्टर है, लेकिन सिर्फ स्मोकर्स को ही निमोनिया होता है, यह सच नहीं है।
मिथक-6 निमोनिया में हमेशा हॉस्पिटल केयर की जरूरत होती है।
सच्चाई- दसअसल, कुछ मामलों में निमोनिया घर पर भी ठीक हो सकता है। पूरी तरह आराम करके, सही फ्लूड लेकर और दवाओं की मदद से इसे घर पर ठीक किया जा सकता है। वहीं, बुजुर्ग, बच्चा, या किसी बीमार व्यक्ति को यह इन्फेक्शन हो जाए, तो उन्हें अस्पताल जाने की जरूरत पड़ सकती है। इसलिए निमोनिया होने पर पहले डॉक्टर को दिखाना जरूरी है और उनकी सलाह माननी चाहिए।
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