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जानिए ऑलिव ऑयल से जुड़े 7 झूठ और उनका सच!

भारतीय बाज़ारों में यह कुछ खास लोकप्रीय नहीं है। इसके पीछे कारण है इससे जुड़े कई मिथक। डाइट में ज़ैतून के तेल को शामिल करना न सिर्फ बेहद फायदेमंद साबित होता है बल्कि यह खाने के स्वाद को भी बेहतर बनाता है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 09:10 AM (IST)
जानिए ऑलिव ऑयल से जुड़े 7 झूठ और उनका सच!
जानिए ऑलिव ऑयल से जुड़े 7 झूठ और उनका सच!

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कई रेस्ट्रां और घरों में ऑलिव ऑयल यानी ज़ैतून के तेल का उपयोग होता है। खासतौर पर शेफ की यह पहली पसंद होती है क्योंकि इससे खाने का स्वाद और पोषण दोनों में सुधार आता है। हालांकि, भारतीय बाज़ारों में यह कुछ खास लोकप्रीय नहीं है। इसके पीछे कारण है इससे जुड़े कई मिथक। डाइट में ज़ैतून के तेल को शामिल करना न सिर्फ बेहद फायदेमंद साबित होता है बल्कि यह खाने के स्वाद को भी बेहतर बनाता है। ऐसे में इससे जुड़ी झूठी बातों के पीछे का सच जानना ज़रूरी है।

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ऑलिव ऑयल से जुड़े 7 झूठ

मिथक-1: गहरा हरा रंग ज़ैतून के तेल की शुद्धता का प्रतीक है

ज़ैतून के तेल की शुद्धता का इसके रंग से कोई लेना-देना नहीं है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप अच्छी गुणवत्ता वाला ज़ैतून का तेल खरीद रहे हैं, हमेशा अच्छे ब्रैंड और सुपरमार्केट से ही खरीदें।

मिथक-2: ज़ैतून के तेल को गर्म करने से इसकी पौष्टिकता ख़राब हो जाती है

ज़ैतून के तेल को गर्म करने से इसके पोषण मूल्यों में किसी भी तरह का असर नहीं पड़ता है।

मिथक-3: ऑलिव ऑयल में अन्य तेलों जितनी ही कैलोरी होती है

जैतून का तेल गुड फैट्स (MUFA, PUFA), एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और इसमें जीरो ट्रांस-फैट/कोलेस्ट्रॉल होता है। एक्सट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल कई तरह के ज़ैतून के तेल का एक प्रकार है, कोल्ड प्रेस्ड होने के साथ इसमें शरीर के लिए आवश्यक विटामिन भी होते हैं। भले सभी तरह के ज़ैतून के तेलों में कैलोरी की मात्रा लगभग समान होती है, लेकिन ज़ैतून के तेल में कैनोला और वनस्पति तेलों की तुलना में काफी कम कैलोरी होती है।

मिथक-4: ज़ैतून के तेल को अन्य तेलों के साथ मिलाने से इसके फायदे कम हो जाते हैं

ज़ैतून के तेल को अन्य तेलों के साथ मिलाने से इसके फायदे कम नहीं हो जाते हैं। आप ऑलिव ऑयल को किसी भी तेल के साथ मिला सकते हैं। अगर कच्चा इस्तेमाल करना है, तो इसमें दूसरे तेल न मिलाएं। आमतौर पर सलाद की ड्रेसिंग के लिए ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है।

मिथक-5: ज़ैतून का तेल अलग दिखने लगे, तो समझें वो बासी है

आप इस तेल को कैसे स्टोर करते हैं, उसका प्रभाव इसके रंग और दिखने में आ जाता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि तेल बासी हो गया है। उदाहरण के लिए: सर्दियों में, कम तापमान के कारण तेल जम जाता है। इसे पिघाला जा सकता है।

मिथक-6: भारतीय खाना पकाने में जैतून के तेल का उपयोग नहीं किया जा सकता

अतिरिक्त कुंवारी जैतून का तेल पकाने के लिए सबसे स्थिर तेल है और इसे 400℉ तक गर्म किया जा सकता है। यहां तक ​​​​कि जब इसे हद से ज़्यादा भी गर्म कर दिया जाता है, तब भी यह तेल उच्च एंटीऑक्सीडेंट सामग्री के कारण हानिकारक यौगिकों का काफी कम उत्पादन करता है। इसलिए इसे भारतीय खाने को पकाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

मिथक-7: ज़ैतून का तेल कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है

ज़ैतून के तेल में कोलेस्ट्रोल और ट्रांस-फैट की मात्रा ज़ीरो होती है। यह मोनोअनसैचुरेटेड ओलिक एसिड में समृद्ध है, जिसके कई लाभकारी प्रभाव हैं और इसलिए यह खाना पकाने के लिए एक स्वस्थ विकल्प है।


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