बच्चों को सबसे ज्यादा शिकार बनाते हैं ये 5 Childhood Cancer, डॉक्टर से जानें इनके लक्षण और इलाज के तरीके
बच्चों में होने वाले कैंसर को Childhood Cancer या Pediatric Cancer कहा जाता है। ये कैंसर 0-19 साल की उम्र में होते हैं जिनका जल्दी पता लगाकर इलाज करवाना जान बचाने के लिए जरूरी है। चाइल्डहुड कैंसर में कुछ कैंसर ऐसे हैं जो बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं। आइए डॉक्टर से उन कैंसर के लक्षण और इलाज के तरीके जानते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Childhood Cancer: चाइल्डहुड कैंसर, जिसे हम पीडियाट्रिक कैंसर भी कहते हैं, एक बेहद गंभीर समस्या है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, हर साल लगभग 4 लाख बच्चे इस बीमारी की चपेट में आते हैं। कैंसर किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपना शिकार बना सकता है, लेकिन जब यह 0-19 साल के बीच होता है, तो इसे चाइल्डहुड कैंसर कहा जाता है। बच्चों में होने वाले पांच प्रमुख कैंसर के बारे में जानने के लिए हमने डॉ. उष्मा सिंह (एंड्रोमेडा कैंसर अस्पताल, सोनीपत के पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी और हीमाटोलॉजी विभाग की निदेशक) से बात की। आइए जानें उन्होंने इस बारे में क्या बताया।
डॉ. सिंह ने बताया कि कैंसर का बेहतर इलाज और जान बचाने की संभावना को बढ़ाने के लिए जरूरी है कि उसका जल्दी पता लगाया जाए और उनके बारे में सही जानकारी हो। बच्चों में होने वाले प्रमुख कैंसर में ल्यूकीमिया, ब्रेन ट्यूमर, न्यूरोब्लास्टोमा, विल्म्स ट्यूमर और लिम्फोमा शामिल हैं। इनके लक्षणों की जल्दी पहचान करके इनका आसानी से पता लगाया जा सकता है, जो बच्चे और उसके परिवार दोनों के बेहतर भविष्य के लिए जरूरी है।
ल्यूकीमिया
ल्यूकीमिया बच्चों में होने वाले सबसे प्रमुख कैंसर में शामिल है। पीडियाट्रिक कैंसर के कुल मामलों में से 30 प्रतिशत मामले ल्यूकीमिया के होते हैं। इसकी शुरुआत बोन मैरो में होती है और इसके कारण असामान्य सफेद रक्त कोशिकाओं (व्हाइट ब्लड सेल्स) का उत्पादन होता है, जो बोन मैरो में सामान्य रक्त कोशिकाओं की जगह ले सकती हैं। इसके कारण असामान्य ब्लास्ट सेल्स का अत्यधिक उत्पादन होता है और इसकी वजह से एनीमिया होता है। असामान्य सफेद रक्त कोशिकाओं की वजह से इम्युनिटी और प्लेटलेट्स की संख्या प्रभावित होती है, जिसकी वजह से इन्फेक्शन और ब्लीडिंग या त्वचा पर चक्कत्ते आने लगते हैं। चाइल्डहुड ल्यूकीमिया के मुख्य प्रकारों में एक्यूट लिंफोब्लास्टिक ल्यूकीमिया (ALL) और एक्यूट माईलॉइड ल्यूकीमिया (AML) शामिल हैं।
ल्यूकीमिया के लक्षण- थकान, बार-बार इन्फेक्शन होना, अकारण ब्लीडिंग या त्वचा पर नीले धब्बे, जोड़ों में दर्द और लिम्फ नॉड्स में सूजन।
इलाज- इसके इलाज के लिए कीमोथेरेपी की मदद ली जाती है। कुछ मामलों में रेडिएशन थेरेपी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेसन भी करना पड़ता है।
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ब्रेन ट्यूमर या सेंट्रल नर्वस सिस्टम ट्यूमर
ब्रेन या सीएनएस ट्यूमर बच्चों में होने वाला दूसरा सबसे प्रमुख कैंसर है। यह दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड के अलग-अलग हिस्सों में हो सकता है। इसमें मेड्यूलोब्लास्टोमाज और ग्लीओमास सबसे अधिक होता है।
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण- सिर दर्द, मितली, उल्टी, संतुलन बनाने में परेशानी, ठीक से दिखाई न देना, सुनने में तकलीफ, बोलने में परेशानी और दौरा पड़ना।
इलाज- इसका इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि ट्यूमर दिमाग के किस हिस्से में है। उसके आधार पर सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी की मदद से इलाज किया जाता है।
न्यूरोब्लास्टोमा
न्यूरोब्लास्टोमा एक ऐसा कैंसर है, जो पूरी तरह से विकसित नहीं हुए नर्व सेल्स में होता है। यह मुख्य रूप से शिशुओं और छोटे बच्चों को प्रभावित करता है। आमतौर पर, यह एडर्नल ग्लैंड्स में शुरू होता है, लेकिन यह नर्व टिश्यूज और स्पाइन में भी विकसित हो सकता है।
न्यूरोब्लास्टोमा के लक्षण- पेट में दर्द, त्वचा के भीतर गांठ, बावेल मूवमेंट्स में बदलाव, सांस लेने में तकलीफ।
इलाज- इसका इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि यह कौन से स्टेज का कैंसर है और इलाज के लिए कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट या इम्यूनोथेरेपी की मदद ली जाती है।
विल्म्स ट्यूमर
विल्म्स ट्यूमर को न्यूरोब्लास्टोमा भी कहा जाता है। यह एक प्रकार का किडनी कैंसर है, जो ज्यादातर 3-4 साल के बच्चों को प्रभावित करता है। आमतौर पर, यह पेट के निचले भाग में गांठ की तरह बन जाता है, जिसमें दर्द नहीं होता।
विल्म्स ट्यूमर के लक्षण- पेट के निचले भाग में सूजन या गांठ, बुखार, मितली, यूरिन में ब्लड, कब्ज।
इलाज- इसके इलाज के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी और कुछ मामलों में रेडियोथेरेपी की मदद ली जाती है।
लिम्फोमा
लिम्फोमा लिम्फेटिक सिस्टम में होने वाला कैंसर है, जो दो प्रकार का होता है। हॉज्किन लिम्फोमा आमतौर पर किशोरावस्था में होता है और नॉन हॉज्किन लिम्फोमा छोटे बच्चों में।
लिम्फोमा के लक्षण- लिम्फ नॉड्स में सूजन, रात को पसीना आना, वजन कम होना और थकान
इलाज- इसके इलाज के लिए सामान्य तौर पर कीमोथेरेपी की मदद ली जाती है और कभी-कभार रेडिएशन थेरेपी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट का भी इस्तेमाल किया जाता है।
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