Kidney Health: जानें 2 ऐसे आसान टेस्ट के बारे में, जो बताएंगे आपकी किडनी की हालत
Kidney Health एक स्वस्थ्य शरीर और जीवन पाने के लिए दिमाग और दिल की तरह गुर्दे भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन कुछ लोग इसकी सेहत को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते जिसका परिणाम आगे चलकर काफी गंभीर हो सकता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Kidney Health: आज की अनहेल्दी लाइफस्टाइल ने तरह-तरह की बीमारियों को बढ़ावा दे दिया है। इन्हीं में से एक है क्रोनिक किडनी डिजीज। एक स्वस्थ्य शरीर और जीवन पाने के लिए दिमाग और दिल की तरह गुर्दे भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
शरीर के निचले हिस्से में स्थित मुट्ठी के आकार के नजर आने वाले ये दो अंग, गंदगी को हटाकर फिल्टर के रूप में काम करते हैं। ये ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल में रखते हैं। ज्यादातर लोगों में देखा जाता है कि वे अपने कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर नंबर पर बराबर ध्यान रखते हैं, लेकिन किडनी की स्थिति के बारे में जानने में उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं होती। लेकिन हर व्यक्ति को ये पता होना चाहिए कि क्या उसकी किडनी स्वस्थ हालत में है या उन्हें क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) की शिकायत तो नहीं हो रही। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ विशेष बातें।
क्रोनिक किडनी डिजीज के कारण क्या हैं?
सीकेडी (Chronic kidney disease) एक ऐसी स्थिति है, जिसका मतलब है कि किडनी डैमेज हो रही है। मधुमेह वाले लोगों में यह बीमारी आमतौर पर देखी जाती है। अध्ययन से पता चलता है कि मधुमेह वाले लगभग दो में से एक व्यक्ति सीकेडी से पीड़ित है। एक अन्य अनुमान से पता चलता है कि भारत में आठ में से एक व्यक्ति इस स्थिती का अनुभव करता है।
किडनी के स्वास्थ्य के बारे में जानना क्यों जरूरी है?
अगर सीकेडी का पता चला है, तो इसका मतलब है कि पिछले कुछ महीनों से किडनी की समस्या बढ़ गई है। क्रोनिक किडनी डिजीज धीरे-धीरे और चुपचाप हो सकती है। इसलिए इसके लक्षणों की पहचान करना बेहद आवश्यक है। लोगों को अक्सर इस गंभीर परिस्थिती के बारे में तब पता चलता है जब काफी देर हो चुकी होती है और किडनी फेल हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी उपचार भी काम नहीं आते। ऐसी परिस्थिती में आमतौर पर डायलिसिस या फिर किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है।
किडनी की बीमारी का पता लगाने वाले 2 महत्वपूर्ण टेस्ट
किडनी की बीमारी का पता लगाने के लिए दो महत्वपूर्ण टेस्ट्स हैं,
eGFR- estimated Glomerular Filtration Rate
uACR- urine Albumin-Creatinine Ratio
eGFR को ब्लड टेस्ट के जरिए मापा जाता है, जबकि UACR की जांच मूत्र परीक्षण द्वारा होती है। ईजीएफआर दिखाता है कि आपके गुर्दे रक्त को कितनी अच्छी तरह साफ करते हैं और यूएसीआर दिखाता है कि अगर आपके पेशाब में एल्ब्यूमिन नामक प्रोटीन है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि आपके गुर्दे खराब हो गए हैं।
ईजीएफआर
ईजीएफआर (eGFR) की गणना साल में कम से कम एक बार स्थिर सीरम क्रिएटिनिन लेवल से की जाती है, विशेषकर मधुमेह वाले सभी रोगियों की। ईजीएफआर अकेले सीरम क्रिएटिनिन से ज्यादा सटीक है। सीरम क्रिएटिनिन मांसपेशियों के मसल मास, उम्र, लिंग और जाति से संबंधित कारणों से प्रभावित होता है। ईजीएफआर तेजी से बदलते क्रिएटिनिन स्तर, मांसपेशियों और शरीर के आकार में चरम सीमा या फिर डाइट पैटर्न में बदलाव वाले रोगियों के लिए भरोसेमंद नहीं है।
यूएसीआर
यूएसीआर (uACR) परीक्षण में मूल रूप से इस बात का पता लगाया जाता है कि 24 घंटे में आपके मूत्र में कितना एल्ब्यूमिन गुजरता है। परिणामों की पुष्टि के लिए परीक्षण को एक या दो बार दोहराया भी जा सकता है। किडनी डैमेज की स्थिती का पता लगाने के लिए हर साल मूत्र एल्ब्यूमिन उत्सर्जन का मूल्यांकन करवाना चाहिए, विशेषकर टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज वाले रोगियों को।
ये लक्षण बताते हैं कि किडनी हो रही है खराब
-सारा दिन थकावट महसूस होना
-पर्याप्त नींद नहीं मिलना
-रूखी, खुलजीदार स्किन
-पैरों में सूजन
-आंखों के आसपास सूजन
-मांसपेशियों में दर्द
-सही तरीके से सांस न ले पाना
-पेशाब से जुड़े बदलाव
हालांकि, किसी भी परीक्षण या फिर उपचार से पहले आपको डॉक्टर से सम्पर्क करना बेहद महत्वपूर्ण है।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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