टोस्टेड ब्रेड या सादी ब्रेड: सेहत के लिहाज से किसे खाना है ज्यादा फायदेमंद, एक क्लिक में समझें
कुछ लोग कहते हैं कि टोस्टेड ब्रेड लाइट और पचाने में आसान होती है तो कुछ का मानना है कि सादी ब्रेड में ज्यादा पोषण होता है लेकिन क्या सच में ऐसा है (Toasted Bread vs Plain Bread)? क्या टोस्टिंग से ब्रेड की न्यूट्रिशन वैल्यू बदलती है? क्या यह वेट लॉस या डायबिटीज के मरीजों के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकती है? आइए जानें ऐसे सभी सवालों के जवाब।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Toasted Bread vs Plain Bread: ब्रेकफास्ट में ब्रेड खाना आजकल आम बात हो गई है। कुछ लोग सादी ब्रेड खाना पसंद करते हैं, तो कुछ इसे टोस्ट करके खाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि टोस्टेड ब्रेड और सादी ब्रेड में सेहत के लिहाज से कौन बेहतर है? क्या टोस्ट करने से ब्रेड के पोषक तत्वों में बदलाव आता है? और क्या यह वजन घटाने में मदद करता है या नुकसान पहुंचाता है?
अगर आपके मन में भी ऐसे सवाल हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए है! आइए जानते हैं कि टोस्टेड ब्रेड और सादी ब्रेड में क्या फर्क है और कौन-सा ऑप्शन ज्यादा हेल्दी है।
टोस्ट करने से ब्रेड के पोषक तत्वों में क्या बदलाव आता है?
जब ब्रेड को टोस्ट किया जाता है, तो उसमें मौजूद नमी कम हो जाती है, जिससे वह हल्की और कुरकुरी बन जाती है। हालांकि, इसका सीधा असर ब्रेड की कैलोरी और पोषक तत्वों पर नहीं पड़ता, लेकिन कुछ छोटे बदलाव जरूर होते हैं। आइए जानें।
- ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) कम हो जाता है: सादी ब्रेड की तुलना में टोस्टेड ब्रेड का GI लेवल थोड़ा कम होता है, यानी यह ब्लड शुगर को धीरे-धीरे बढ़ाती है। डायबिटीज के मरीजों के लिए यह फायदेमंद हो सकता है।
- कुछ हद तक स्टार्च ब्रेकडाउन होता है: टोस्ट करने से ब्रेड का स्टार्च हल्का बदल जाता है, जिससे यह पचाने में आसान हो जाती है।
- कैलोरी में बड़ा अंतर नहीं आता: कुछ लोग सोचते हैं कि ब्रेड टोस्ट करने से उसकी कैलोरी कम हो जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है। टोस्टिंग केवल नमी कम करती है, कैलोरी नहीं।
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वेट लॉस के लिए कौन-सी ब्रेड बेहतर है?
अगर आप वेट लॉस कर रहे हैं, तो सादी और टोस्टेड ब्रेड में से कोई भी ज्यादा असरदार नहीं होगी, जब तक कि आप सही प्रकार की ब्रेड नहीं चुनते।
- अगर आपको जल्दी भूख लगती है, तो ब्राउन ब्रेड या मल्टीग्रेन ब्रेड को हल्का टोस्ट करके खाना बेहतर होगा, क्योंकि इससे पाचन धीमा होगा और पेट लंबे समय तक भरा रहेगा।
- अगर आप ब्लड शुगर कंट्रोल करना चाहते हैं, तो टोस्टेड ब्रेड बेहतर ऑप्शन हो सकती है, क्योंकि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है।
- अगर आप मक्खन, जैम या बटर ज्यादा लगाकर खाते हैं, तो सादी ब्रेड या टोस्टेड ब्रेड दोनों ही वजन बढ़ा सकती हैं। इसलिए ब्रेड के साथ लगाई जाने वाली चीजों का भी ध्यान रखें।
पेट की समस्याओं में कौन-सी ब्रेड फायदेमंद है?
अगर आपको एसिडिटी, ब्लोटिंग या पाचन संबंधी दिक्कतें होती हैं, तो ब्रेड का सही चुनाव करना जरूरी है।
- एसिडिटी हो तो टोस्टेड ब्रेड खाएं: टोस्ट करने से ब्रेड का स्टार्च कुछ हद तक टूट जाता है, जिससे यह पेट में हल्की रहती है और एसिडिटी कम करने में मदद कर सकती है।
- अगर पाचन धीमा है, तो सादी ब्रेड बेहतर हो सकती है: टोस्टिंग से ब्रेड हल्की हो जाती है, लेकिन अगर आपको ज्यादा एनर्जी चाहिए, तो सादी ब्रेड का सेवन करें।
स्वाद और टेक्सचर में क्या बेहतर है?
- टोस्टेड ब्रेड: हल्की, क्रिस्पी और कुरकुरी होती है, जिसे खाने में ज्यादा मजा आता है।
- सादी ब्रेड: सॉफ्ट होती है और इसे कई तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे सैंडविच या ब्रेड रोल में।
अगर आपको कुरकुरी चीजें पसंद हैं, तो टोस्टेड ब्रेड बेहतर लगेगी, लेकिन अगर आपको सॉफ्ट टेक्सचर पसंद है, तो सादी ब्रेड चुनें।
कौन-सी ब्रेड खानी चाहिए?
टोस्टेड ब्रेड और सादी ब्रेड दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं। अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं या ब्लड शुगर कंट्रोल करना चाहते हैं, तो टोस्टेड ब्रेड बेहतर विकल्प हो सकता है। अगर आपको ज्यादा एनर्जी और फाइबर चाहिए, तो ब्राउन ब्रेड या मल्टीग्रेन ब्रेड का चुनाव करें।
अगर आप हेल्दी ब्रेकफास्ट चाहते हैं, तो सादी ब्रेड की जगह ब्राउन ब्रेड को हल्का टोस्ट करके खाएं और इसके साथ हेल्दी टॉपिंग्स जैसे पीनट बटर, एवोकाडो या उबले अंडे जोड़ें। इससे आपकी ब्रेकफास्ट प्लेट ज्यादा हेल्दी बनेगी और आपको लंबे समय तक एनर्जी मिलेगी।
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