सदियों से लोगों का दिल जीत रहा कश्मीरी रसोई का यह व्यंजन, पढ़िए तबक माज की दिलचस्प कहानी
तबक माज कश्मीर की वादियों का एक ऐसा जादुई व्यंजन (Tabak Maaz Kashmiri Cuisine) है जिसका नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। कश्मीर की शादियों त्योहारों और खास मौकों पर वाजवान की दावत लगाई जाती है जो पेट भरने के साथ-साथ लोगों को भी एक साथ ले आती है। तबक माज की कहानी कश्मीर की ऐसी कहानी है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। तबक माज कश्मीरी वाजवान का एक खास हिस्सा है, जो कश्मीरी संस्कृति और रीति-रिवाजों से गहराई से जुड़ा हुआ है। वाजवान में चिकन, मटन, लैंब और बीफ से बने अनेक व्यंजन शामिल होते हैं। इन व्यंजनों (Kashmiri Cuisine) को कश्मीरी मसालों और जड़ी-बूटियों के एक स्पेशल मिश्रण के साथ पकाया जाता है, जो इनके स्वाद और सुगंध को और भी बढ़ा देते हैं। इसके अलावा, वाजवान में फलों और सब्जियों से बने कई शाकाहारी पकवान भी शामिल होते हैं, जो इसे वेज और नॉन वेज हर तरह के लोगों के लिए एक बढ़िया ऑप्शन (Popular Kashmiri Recipes) बना देते हैं।
तबक माज की खासियत यह है कि इसमें विभिन्न प्रकार के मांस और सब्जियों को एक साथ पकाया जाता है, जिससे यह एक बेहद स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन बन जाता है। इसे आमतौर पर किसी खास मौके पर या मेहमानों के स्वागत के लिए बनाया जाता है। वाजवान की उत्पत्ति के बारे में कई कहानियां (Tabak Maaz Story) प्रचलित हैं। कुछ लोगों का मानना है कि वाजवान की शुरुआत मुगल काल में हुई थी, जब मुगल शासकों ने कश्मीर में अपने शासन के दौरान अपनी पाक कला का प्रभाव छोड़ा था। वहीं, कुछ अन्य लोग मानते हैं कि वाजवान की उत्पत्ति कश्मीरी पंडितों द्वारा की गई थी।
क्या है तबक माज?
कहते हैं, जब वाजवान की दावत सजती है तो सबसे पहले मेज पर तबक माज ही आता है। यह मानो वाजवान का स्वागत गान हो। इसे बनाने वाले बड़े मास्टर शेफ होते हैं जो हर टुकड़े में अपनी कला का जादू बिखेरते हैं। मेमने या मटन की छोटी-छोटी पसलियां, स्टीम में पक कर तैयार होती हैं और फिर इन्हें शुद्ध देसी घी में धीमी आंच पर तला जाता है। इस दौरान घी की महक और मसालों का जादू हवा में घुल जाता है। जैसे-जैसे पसलियां सुनहरी होती जाती हैं, वैसे-वैसे उनकी कुरकुराहट और स्वाद और भी बढ़ता जाता है।
जब तबक माज तैयार होता है तो उसे बड़े-बड़े थालों में सजाया जाता है। इसकी पहली झलक ही लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती है। हर टुकड़ा एक कहानी कहता है, कश्मीर की संस्कृति और परंपराओं की। तबक माज का स्वाद इतना अनूठा होता है कि इसे एक बार खाने वाला इसे हमेशा याद रखता है। यह सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि एक अनुभव है। एक ऐसा अनुभव जो आपको कश्मीर की वादियों में ले जाता है।
दुनिया को लुभाने वाला कश्मीरी व्यंजन
वाजवान न सिर्फ कश्मीरी लोगों के लिए बल्कि दुनियाभर में खानपान के शौकीनों के लिए भी एक लोकप्रिय व्यंजन बन गया है। इसकी लोकप्रियता का कारण इसका अनूठा स्वाद, सुगंध और पेशकश का तरीका है। वाजवान को आमतौर पर एक बड़े तांबे के बर्तन में परोसा जाता है, जिसे तरातरा कहा जाता है। इस बर्तन में विभिन्न प्रकार के व्यंजन एक साथ रखे जाते हैं, जिससे यह एक बेहद आकर्षक दृश्य प्रस्तुत करता है।
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वाजवान क्या है और क्यों इसे खास माना जाता है?
कश्मीर की कहानी कई सभ्यताओं के मिलन की कहानी है। हजारों सालों से, कई अलग-अलग लोग यहां आए और गए। फारसी, अफगानी, ईरानी, सभी ने यहां की संस्कृति को रंग दिया। इसी तरह, इन सबकी झलक यहां के खाने में भी दिखती है। कहते हैं, एक समय की बात है, जब कश्मीर के शाही परिवारों के लिए खास तौर पर वाजवान तैयार किया जाता था। किसी खास मौके पर, किसी खास मेहमान के आगमन पर, वाजवान की महक से पूरा महल महका करता था। यह सिर्फ खाना नहीं, बल्कि एक कला थी।
वाजवान शब्द का मतलब है 'रसोइये की दुकान'। यानी, एक ऐसी जगह जहां हर तरह के स्वाद मिल जाएं। और सचमुच, वाजवान में हर स्वाद के लिए कुछ न कुछ होता था। हरी-भरी सब्जियों से लेकर रसीले मांस तक, मीठे से लेकर खट्टे तक, हर चीज का मिश्रण होता था।
क्या है वाजवान की खासियत?
वाजवान की खासियत है इसका स्वाद। हर व्यंजन में अलग-अलग तरह के स्वादों का ऐसा संगम होता था कि आपका मुंह पानी आ जाता। तीखा, मीठा, खट्टा, नमकीन, हर स्वाद इतनी बारीकी से मिलाया जाता था कि वाजवान बनाने में घंटों लग जाते थे। मसालों को पीसा जाता था, मांस को पकाया जाता था, सब्जियों को काटा जाता था। हर एक व्यंजन को इतनी मेहनत से तैयार किया जाता था मानो कोई कलाकृति बनाई जा रही हो।
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