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    हींग Import में भारत नंबर 1, कैसे पौधे की जड़ से एक छोटी डिबिया में समा जाता है यह मसाला

    Updated: Fri, 02 May 2025 08:50 PM (IST)

    Heeng Benefits आपने अपने खाने में हींग का इस्तेमाल किया ही होगा। इसकी महक दूर से आकर्षित करती है। भारत के घरों में इसका उपयोग कई तरह की रेसिपी में किया जाता है। इस आलेख में आपको इससे जुड़ी कई रोचक जानकारियां मिलेंगी। आखिर ये हींग आती कहां से है और एक छोटे पौधे से यह कैसे छोटी डिब्बी में आपके घर पहुंचती है?

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    दुनिया में सबसे ज्यादा हींग इम्पोर्ट करने वाला देश है भारत।

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में हींग (Asafoetida) हर किचन की जान है। क्या आपको पता है छोटे से डिब्बे में पैक होकर आपके घरों तक आने वाले हींग का पौधा होता है और यहां हींग की खपत सबसे ज्यादा होती है। आखिर भारत में लोग हींग को इतना पसंद क्यों करते हैं और इसकी क्या खूबियां हैं हम जानेंगे इस आर्टिकल में।

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    तड़के का राजा कहलाने वाले हींग की खेती की जाती है और यह काफी महंगा भी माना जाता है। भारतीय खाने का इतना अहम मसाला कुछ सालों पहले तक भारत में उगाया भी नहीं जाता था, बल्कि अब तक इम्पोर्ट किया जाता रहा है।

    दुनिया का 40 फीसदी हींग भारत में इस्तेमाल होता है। यह सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए ही नहीं, कई बीमारियों में भी फायदेमंद माना गया है। आइए इससे जुड़े और भी मजेदार फैक्ट्स जानते हैं।

    किस पौधे से मिलता है हींग

    यह फेरुला एसाफोईटिडा नाम के पौधे से मिलता है, जो कि गाजर फैमिली का है। वैसे यह मूलरूप से ईरान और अफगानिस्तान के पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है। इसमें फूल भी लगते हैं और यह पूरे साल उगता है।

    भारत में हींग की इतनी खपत को देखते हुए यहां भी कुछ साल पहले ही कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में इसकी खेती शुरू करने का प्रयास किया गया। हालांकि, वह इतने बड़े पैमाने पर नहीं है कि पूरे देश की जरूरत को पूरा किया जा सके।

    हींग से क्यों आती है इतनी तेज महक

    थोड़ा तीखा और कड़वा स्वाद लिए हींग से प्याज जैसी एक बेहद ही तेज गंध आती है जो कि ऑर्गेनिक सल्फर कम्पाउंड की वजह से है।

    आमतौर पर यह पावडर के रूप में ही ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है जिससे नमकीन व्यंजनों को एक उमामी फ्लेवर मिलता है।

    Courtesy-: Freepik

    कैसे निकाला जाता है पौधे से हींग

    हींग के पूरे पौधे को सब्जी की तरह भी बनाया जाता है। इस पौधे को तैयार होने में पांच साल का वक्त लगता है और जब यह हींग निकालने लायक तैयार हो जाता है तो जड़ों के बिलकुल पास से पौधे की टहनी काट दी जाती है।

    इस टहनी से चिपचिपा रस जैसा निकलता है जो कि हवा के संपर्क में आते ही सॉलिड हो जाता है। पहले तो यह सफेद पारदर्शी मोती जैसा दिखता है लेकिन फिर कुछ देर में ही हवा में रहने से हल्का गुलाबी और फिर लाल-भूरे रंग का नजर आने लगता है। ठोस रूप में आ चुका यह पदार्थ ही हींग है जिसे पीसा जाता है या फिर बड़े टुकड़ों में तोड़ा जाता है।

    क्यों होती है इतनी खपत

    हींग का मुख्य रूप से खाना पकाने में ही इस्तेमाल होता रहा है, लेकिन इसके औषधीय गुणों को देखते हुए भारत में इसकी खपत काफी ज्यादा बढ़ गई है। पेट फूलने या गैस की स्थिति में हींग को काफी फायदेमंद माना गया है।

    दाल या बीन्स जैसी गैस बनाने वाली चीजों को हींग के बिना नहीं बनाया जाता। पाचन की समस्याओं के साथ-साथ माहवारी में भी इसका इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।

    इसे सांस से जुड़ी समस्याओं जैसे ब्रोनकाइटिस और अस्थमा भी लाभकारी माना गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, हींग में पाया जाने वाला केमिकल, कौमारिन आईबीएस के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल के स्तर को ठीक करने में भी मदद करता है।

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