हिंदुस्तानियों के दिल में रच-बस चुका है हलवे का स्वाद, आखिर कब और कैसे हुई थी इसे बनाने की शुरुआत?
हलवा सदियों से भारतीयों की जुबान पर राज करता आया है। कहते हैं कि यह ईरान से होते हुए भारत आया और मुगल बादशाहों की रसोई से निकलकर पूरे देश में फैल गया। आलम ये है कि आज यह हर त्योहार और शुभ अवसर का अहम हिस्सा बन गया है। आइए आज आपको इसकी दिलचस्प कहानी (Halwa Origins) के बारे में बताते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आप सभी ने किसी न किसी तरह का हलवा (Indian Dessert) तो जरूर खाया होगा। यह सिर्फ एक मिठाई नहीं, बल्कि एक ऐसी चीज है जिसके साथ बचपन से हमारी कई यादें जुड़ी होती हैं। सर्दियों के मौसम में गाजर का हलवा तो मानो हर घर को महका देता है। दूध, ड्राई फ्रूट्स, मलाई और देसी घी के साथ मिलकर यह जुबान पर ऐसा स्वाद छोड़ता है जिसे चखने के लिए हर कोई गाजर के सीजन का इंतजार करता है।
भारत में हर कोने-कोने में हर त्योहार और शुभ अवसर पर हलवा बनाने का रिवाज सदियों पुराना है। चाहे मेहमानों के स्वागत के लिए सूजी का हलवा हो या फिर मूंग दाल, लौकी और बेसन के हलवे का जिक्र हो। हमारे देश में इस मीठे व्यंजन की ढेरों किस्में पाई जाती हैं। आइए इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कि कहां से आया आपका यह पसंदीदा डेजर्ट (Halwa Origins) और देखते ही देखते कैसे बन गया भारतीय खानपान का एक अहम हिस्सा।
कब हुआ 'हलवा' शब्द का इस्तेमाल?
'हलवा' शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के शब्द 'हुलव' से हुई है, जिसका मतलब होता है मीठा। माना जाता है कि यह मिठाई 19वीं सदी के मध्य में अंग्रेजी भाषा में प्रचलित हुई। इतिहासकार अब्दुल हलीम शरर की किताब 'गुज़िश्ता लखनऊ' की मानें, तो हलवा बनाने की शुरुआत अरबी देशों में हुई और फिर फारस होते हुए व्यंजन भारत पहुंचा।
कैसे भारत पहुंचा 'हलवा'
हलवा, एक ऐसी मिठाई जिसकी उत्पत्ति और विकास में कई संस्कृतियां शामिल हैं और यह मध्य पूर्व से भारत तक एक लंबा सफर तय कर चुकी है। मूल रूप से, यह मिठाई खजूर के पेस्ट और दूध से बनाई जाती थी। इतिहासकार कोलीन टेलर सेन के अनुसार, हलवा भारत में 13वीं सदी के शुरुआत से 16वीं सदी के मध्य तक दिल्ली सल्तनत के दौरान आया था। हालांकि, कुछ अन्य किंवदंतियों के मुताबिक, हलवा बनाने की रेसिपी की जड़ें ओटोमन साम्राज्य में हैं। ओटोमन साम्राज्य के सुल्तान सुलेमान, जो साम्राज्य के दसवें और सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले सुल्तान थे, जिन्हें मिठाइयां खाने का बहुत शौक था। आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने सिर्फ मीठे व्यंजनों के लिए एक अलग रसोईघर तक बनवा रखा था।
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अरब देशों से हुई हलवे की शुरुआत
इतिहासकारों के मुताबिक, हलवे का पहली रेसिपी 13वीं शताब्दी की एक अरबी पाक कला पुस्तक, किताब अल-तबीख (Kitab al-Tabikh) यानी 'व्यंजनों की पुस्तक' में मिलती है। इस पुस्तक को मुहम्मद इब्न अल-हसन इब्न अल-करीम ने लिखा था। खास बात है कि इस किताब में हलवे की 8 अलग-अलग किस्मों और उन्हें बनाने की विधियों का विस्तार से वर्णन दिया गया है। यह तथ्य इस बात का प्रमाण है कि हलवा की भारत नहीं बल्कि अरब देशों की उत्पत्ति है।
अरब व्यापारियों के जरिए ही यह व्यंजन भारत पहुंचा। भारत के तटीय शहरों में यह तेजी से लोकप्रिय हुआ, खासकर कराची और कोझिकोड, जो अरब प्रभाव वाले शुरुआती शहरों में से थे। बेहद कम समय में इन शहरों में हलवा स्थानीय खाद्य परंपराओं का एक अभिन्न अंग बन गया।
हलवे से ही आया 'हलवाई'
आपने हलवा तो खूब खाया होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हलवाई का नाम भी हलवे से ही आया है? दरअसल, जो लोग मिठाई बनाते हैं, उन्हें हलवाई इसलिए कहते हैं क्योंकि वे हलवा भी बनाते हैं! हलवा शब्द अरबी भाषा से आया है और इसका मतलब होता है मीठा। बहुत समय पहले, अरब देशों में लोग खजूर और दूध से हलवा बनाते थे। फिर यह मिठाई फारस (ईरान) पहुंची और वहां से भारत आई। तो अगली बार जब आप हलवा खाएं, तो याद रखें कि यह एक बहुत पुरानी और मशहूर मिठाई है जो एक लंबा सफर तय करके हमारे देश में आई है!
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