नाशिक के देसी नजराने: बेहद लजीज है भारत की ‘अंगूर राजधानी’ के खाने का मिजाज
मसालों की गंध-सुगंध से भरपूर है नाशिक का खानपान। भगवान में कालाराम और भोजन में काला मसाला यहां जी भरकर पूजे जाते हैं। यहां खाने में एक तरफ उत्तर में मौजूद खानदेश क्षेत्र का असर है तो वहीं पीने के लिए अंगूर और अनन्नास उतर आते हैं गिलास में भारत की ‘अंगूर राजधानी’ नाशिक के कुछ अलग मिजाज बता रही हैं आरती तिवारी।

आरती तिवारी, नई दिल्ली। कोई इसे अंगूर की राजधानी कहता है, तो कोई इसे मंदिरों की नगरी भी मानता है। गोदावरी नदी के तट पर बसे इस शहर की एक और खास बात है, वह है यहां का भोजन। यह वह शहर है, जहां तीखे मसालेदार भोजन की झांझ आंखों में पानी ला देगी, तो वहीं मीठी पूरणपोली मुंह में स्वाद की नदियां बहा देगी।
यहां आप न सिर्फ मिसल पाव का लुत्फ उठा सकते हैं, बल्कि महाराष्ट्र के खानदेशी स्वाद और स्वादिष्ट मुगलई व्यंजनों के रस से भी जी को प्रसन्न कर सकते हैं। यहां के बागानों में लदे अंगूरों को देखकर दिमाग में आक्सीटोसिन का प्रवाह हो जाता है, तो वहीं सड़कों पर लगातार पकते और सर्व होते मिसल पाव को देखकर इसका स्वाद चखने की अभिलाषा जाग उठती है। महाराष्ट्र के दिल में बसा नाशिक शहर खाने-पीने के शौकीनों के लिए खजाना है।
थाली में स्वाद का शृंगार
नाशिक की उपजाऊ भूमि ताजे फल, सब्जियां और मसालों का उत्पादन करती है, जब इन्हीं खेतों से निकली सब्जियां और मसाले आपकी थाली में आते हैं तो स्वाद दोगुणा हो जाता है। प्याज और खड़े मसालों से तैयार हुई तीखी करी मिसल पाव पर यहां की गलियां दम भरती हैं, तो वहीं पारंपरिक महाराष्ट्रियन भोजन झुनका-भाखरी देसी स्वाद की पूर्ति करने में अलग ही भूमिका निभाता है, जिसमें बाजरा या ज्वार के आटे की रोटी (भाकरी) और बेसन (झुनका) से बनी मसालेदार करी शामिल है।
मटन-भाकरी की भी अपनी जोड़ी है, जो खड़े प्याज और मिर्च के साथ परोसी जाती है। अब तीखे और मसालेदार भोजन से जागृत हुई स्वादेंद्रियों को राहत देने का काम करती है पूरणपोली और आमरस की कटोरी। गुड़-घी से तैयार पूरणपोली जब महकती है तो पेट भरे होने के बाद भी एक और खाने से न तो हाथ रुकते हैं और न ही मन मानता है।
खास बात यह है कि भले ही ये स्ट्रीट फूड की श्रेणी में आए, मगर हर भोजन की अपनी थाली है। पूरणपोली कभी अकेले नहीं परोसी जाएगी, आमरस के साथ कटाची आमटी, इंद्रयाणी चावल, कांदा भाजी और कुरडई पापड़ भी साथ मिलेंगे। इसी तरह मिसल पाव की थाली का भी अपना शृंगार है।
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खास है हमारा मसाला
नाशिक की कुकिंग एक्सपर्ट माधुरी उगांवकर बताती हैं, ‘नाशिक के आसपास की उपजाऊ भूमि ताजी उपज में योगदान देती है, जो स्थानीय व्यंजनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नाशिक खानदेश क्षेत्र के नजदीक है और यह प्रभाव यहां के खाने में नजर आता है। विशेष रूप से, मटन भाकरी जैसे व्यंजनों में पड़ने वाला काला मसाला (कई खड़े मसालों का मिश्रण)। हमारे यहां यह अपने आप में जियो टैग जैसे स्तर पर है। इसके अलावा कांदा-लहसुन मसाला की भी अपनी शान है।’
कुछ खास है यह मिठास
बात मीठे की हो तो पूरे नाशिक में चर्चित है बुधा हलवाई की जलेबी। स्थानीय यहां मीठे की क्रेविंग शांत करने आते हैं तो पर्यटकों के लिए यह टूरिस्ट स्पाट है। यहां की जलेबी-फाफड़ा से लेकर ढोकला और फरसाण के लिए लोग दूर-दूर से आकर इसका स्वाद चखते हैं और अपनों के लिए लेकर भी जाते हैं।
नाशिक में मिलने वाला साबूदाना वड़ा और सेव भाजी के भी दीवाने कम नहीं। चूंकि नाशिक फार्म और बागानों से घिरा है, ऐसे में यहां के जूस और स्मूदी भी कुछ कम नहीं। अंगूर और आम के अलावा अनन्नास के जूस और स्मूदी के साथ दिन की शुरुआत करने वाले लोगों के लिए यह शाम का साथी भी बन जाता है।
चाहे आप भोजन के शौकीन हों या फिर आम के, नाशिक में हर किसी के लिए कुछ न कुछ है तो भोजन के इस रोमांच पर निकल पड़िए और इस जीवंत शहर के विविध स्वाद की खोज कीजिए। यहां आपको तय करना है कि आपको तीखे-मसालेदार मिसल पाव से क्षुधा शांत करनी है या मीठे आमरस और पूरणपोली से। हां, वो बात सच है कि यहां पेट तो भर जाता है, मगर दिल है कि मानता नहीं!
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