Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्यों वेश्यालय की मिट्टी के बिना अधूरी रहती है मां दुर्गा की प्रतिमा? श्रीराम से जुड़ा है इस परंपरा का इतिहास

    बंगाल में Durga Pooja 2024 शुरू हो चुकी है। हर साल नवरात्र के छठे दिन से इस पर्व की शुरुआत होती है। इस दौरान मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापित की जाती है और उनकी पूजा अर्चना की जाती है। बंगाल में परंपरा है कि मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए वेश्यालय की मिट्टी (Brothel Soil Importance) का इस्तेमाल किया जाता है। आइए जानते हैं क्या है यह परंपरा।

    By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Wed, 09 Oct 2024 01:05 PM (IST)
    Hero Image
    क्यों मां दुर्गा की मूर्ति के लिए जरूरी है वेश्यालय की मूर्ति

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में नवरात्र की धूम देखने को मिल रही है। यह त्योहार हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्र की रौनक यूं तो देश के हर कोने में देखने को मिलती है, लेकिन बंगाल में इस पर्व की अलग की धूम होती है। जिस तरह मुंबई अपने गणेशोत्सव के लिए मशहूर है, उसी तरह बंगाल अपनी दुर्गा पूजा (Durga Puja 2024) के लिए प्रसिद्ध है। हर साल यहां नवरात्र की छठे दिन से दुर्गा पूजा का उत्सव मनाया जाता है, जिसका समापन दशहरा के दिन किया जाता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस दौरान पूरे राज्य में इस पर्व को मनाया जाता है। साथ ही देश के अन्य हिस्सों में भी इस त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है। दुर्गा पूजा में मां दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दौरान भव्य और खूबसूरत मूर्ति की स्थापना की जाती है। बंगाल में पूजी जाने वाली मां दुर्गा की मूर्ति का स्वरूप आमतौर पर सामान्य प्रतिमाओं से अलग होता है।

    यह भी पढ़ें- Dhunuchi Dance के बिना अधूरी है दुर्गा पूजा, जानें क्यों माना जाता है ये इतना महत्वपूर्ण

    तीखे नयन-नक्ष और काले घुंघराले बालों वाली मां दुर्गा बेहद आकर्षित लगती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बंगाल में पूजी जाने वालीं मां दुर्गा का सिर्फ स्वरूप ही नहीं, बल्कि इन्हें बनाने का तरीका भी काफी अलग होता है। दरअसल, बंगाल में मां दुर्गा की मूर्ति के निर्माण के लिए वैश्याओं के चौखट की मिट्टी (Maa Durga Idol Brothel Soil) का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे इस खास परंपरा के बारे में-

    मां दुर्गा की मूर्ति के लिए जरूरी वैश्यालय की मिट्टी

    मां दुर्गा मूर्ति की के लिए वेश्याओं के घर की मिट्टी (Vaishyalaya Ki Mitti) लाने की यह परंपरा शाहरुख खान और ऐश्वर्या राय की फिल्म देवदास में भी दिखाई गई थी। हालांकि, आज भी कई लोग इस बात को नहीं जानते कि दुर्गा की मूर्ति के लिए 'निशिद्धो पल्ली' या रेड-लाइट जिले से मिट्टी लाना एक परंपरा है, जो बंगाल और उसके पड़ोसी राज्यों में सदियों से चली आ रही है। परंपरागत रूप से, पश्चिम बंगाल में मूर्ति निर्माण के केंद्र, कोलकाता के कुमारतुली में दुर्गा की मूर्तियों को बनाने के लिए एक यौनकर्मी के घर के दरवाजे से 'पुण्य माटी' (पवित्र मिट्टी) लाना जरूरी माना जाता था।

    क्यों पवित्र मानी जाती है वेश्याओं के चौखट की मिट्टी?

    ऐसा माना जाता है कि जब कोई व्यक्ति किसी वेश्या के घर में कदम रखता है, तो वह अपने सारे पुण्य और पवित्रता बाहर ही छोड़ देता है, जिससे दरवाजे की मिट्टी शुद्ध हो जाती है। इसके अलावा इस परंपरा की कहानी प्रभु श्रीराम से भी जुड़ी हुई है। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस परंपरा की शुरुआत भी भगवान राम के समय से हुई थी।

    कब और कैसे हुई शुरुआत?

    दरअसल, दुर्गा पूजा का पारंपरिक समय वसंत ऋतु के दौरान होता है, जिसे बसंती पूजा कहा जाता है। हालांकि, शरद ऋतु में इस त्योहार को मनाने की परंपरा भगवान राम ने रावण के साथ युद्ध से पहले देवी दुर्गा का आशीर्वाद लेने के लिए शुरू की थी। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम ने अपनी दुर्गा मूर्ति के लिए एक वेश्या अम्बालिका के घर की मिट्टी का इस्तेमाल किया था।

    यह भी है मान्यता

    इस परंपरा से जुड़ी एक और पौराणिक कथा प्रचलित है, जिसके अनुसार, एक वेश्या मां दुर्गा की बहुत बड़ी भक्त थी। हालांकि, समाज से मिल रहे तिरस्कार की वजह से वह काफी दुखी रही थीं। अपने भक्त के दुख को देख और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर खुद मां दुर्गा ने उसे वरदान दिया कि उनकी प्रतिमा बनाने के लिए जब तक वेश्यालय की मिट्टी का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, तब तक मां दुर्गा का उस मूर्ति में वास नहीं होगा। इस परंपरा से जुड़ी और भी कई मान्यताएं प्रचलित हैं।

    यह भी पढ़ें-  बिहार से लेकर मध्य प्रदेश तक, विजयादशमी पर राजसी रसोई में बनाए जाते हैं ये पकवान