Rabindranath Tagore Jayanti 2023: सफल होने और खुश रहने का सबक सिखाते हैं रबींद्रनाथ टैगोर के ये विचार
Rabindranath Tagore Jayanti 2023 रबिन्द्रनाथ टैगोर जी को ‘गुरुदेव’ के नाम से भी जाना जाता है। जो एक महान और विश्वविख्यात कवि संगीतकार साहित्यकार गीतका ...और पढ़ें

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Rabindranath Tagore Jayanti 2023: रविंद्र नाथ टैगोर जिन्हें गुरुजी के नाम से भी जाना जाता है, एक महान भारतीय कवि व लेखक थे। साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार पाने वाले वे पहले भारतीय थे। महात्मा गांधी ने इन्हें ‘गुरुदेव’ की उपाधि दी थी। भारत का राष्ट्र-ज्ञान ‘जन-गण-मन’ और बांग्लादेश का राष्ट्र-ज्ञान ‘आमार-सोनार-बांग्ला’ रबिन्द्रनाथ टैगोर जी की रचनाओं की देन है।
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को हुआ था। हालांकि, रवींद्रनाथ टैगोर जयंती बंगाली कैलेंडर के अनुसार मनाई जाती है और यह बंगाली महीने बोइशाख के 25वें दिन आती है। साल 2023 में रबींद्रनाथ टैगोर जयंती 9 मई मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन को कुछ राज्यों में अवकाश होता है।
रबींद्रनाथ टैगोर ने करीब 2,230 गीतों की रचना की थी। तो उनकी जयंती पर हम उनके अनमोल विचारों के बारे में जानेंगे।
रबीन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार
1. शिक्षा का मुख्य उद्देश्य स्पष्टीकरण देना नहीं है, बल्कि मन के दरवाजे खटखटाना है।
2. हम यह प्रार्थना न करें कि हमारे ऊपर समस्या न आए, बल्कि यह प्रार्थना करें कि हम उनका सामना निडरता से करें।
3. उच्च शिक्षा वो नहीं जो हमें सिर्फ जानकारी देती है, बल्कि वह है जो हमारे जीवन को सफलता का एक नया आयाम देती है।
4. प्रसन्न रहना बहुत साधारण है परंतु साधारण होना बहुत मुश्किल है।
5. अगर आप सभी त्रुटियों के लिए अपना दरवाजा बंद कर लेंगे, तो सत्य बाहर ही रह जाएगा। अर्थात सच्चाई मर जाएगी।
6. जीवन को गर्मियों के फूलों की तरह और मौत को पतझड़ के पत्तों की तरह सुंदर होने दें।
7. हम महानता के सबसे करीब तब होते हैं जब हम विनम्रता में महान होते हैं।
8. मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती।
9. यदि आप सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद कर देंगे तो सच बाहर रह जायेगा।
10. प्रेम अधिकार का दावा नहीं करता , बल्कि स्वतंत्रता देता है।
11. सिर्फ खड़े होकर पानी देखने से आप नदी नहीं पार कर सकते।
12. जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप में नहीं कह सकता, उसी को क्रोध अधिक आता है।
13. जिस तरह घोंसला सोती हुई चिड़िया को आश्रय देता है, उसी तरह मौन तुम्हारी वाणी को आश्रय देता है।

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