स्वाद और परंपरा का महापर्व है Onam, जानिए राजा महाबलि की कहानी और क्या हैं इस भव्य दावत के खास व्यंजन
ओणम केरल का एक अहम त्योहार है जो राजा महाबलि के स्वागत में मनाया जाता है। यह मलयालम महीने चिंगम में आता है और 10 दिनों तक चलता है। इस दौरान पूकलम और ओणम साध्या जैसे आयोजन होते हैं जिनमें 25 तरह के शाकाहारी व्यंजन केले के पत्ते पर सर्व किए जाते हैं। ओणम साध्या इस त्योहार का मुख्य आकर्षण है जो एकता का प्रतीक है।

डॉ. एम.सी. वशिष्ठ, नई दिल्ली। ओणम साध्या या साध्या सिर्फ खाने का नाम नहीं है, ये एक सांस्कृतिक पहचान है। ये मिलजुलकर रहने, राजा महाबलि की मेहमाननवाजी और उनकी वापसी का प्रतीक माना जाता है। इस साल 5 सितंबर को ओणम है और ‘भगवान के अपने देश’ यानी केरल के लोग अपने राजा महाबलि का स्वागत करने और ओणम साध्या के लिए तैयार हैं।
ओणम कब और कैसे मनाया जाता है?
केरल का राष्ट्रीय त्योहार ओणम हर साल मलयालम महीने चिंगम (अगस्त-सितंबर) में मनाया जाता है। इसे दुनियाभर में फैले मलयाली लोग, चाहे वे किसी भी जाति, धर्म, वर्ग या लिंग के हों, सब मिलकर मनाते हैं। यही कारण है कि भारत के साथ-साथ दुबई, कतर, सिंगापुर, सिडनी, ऑकलैंड, जकार्ता, हनोई, लंदन, बीजिंग और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में भी जहां मलयाली लोग बड़ी संख्या में रहते हैं, वहां भी ओणम का जश्न होता है।
ओणम का समय यात्रा और व्यापार के लिए भी बहुत व्यस्त माना जाता है। इस दौरान दक्षिण केरल में नौका दौड़ (बोट रेस) का आयोजन होता है। एक मशहूर कहावत है- “कानम विट्टुम ओणम उन्नाम” यानी ओणम मनाने के लिए अगर अपनी संपत्ति भी बेचनी पड़े तो भी मनाओ।
इस त्योहार की दो मुख्य खासियतें हैं-
- पूकलम (फूलों की रंगोली)
- ओणम साध्या (पारंपरिक दावत)
10 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में सबसे खास होता है साध्या। साध्या में लगभग 25 तरह के पारंपरिक शाकाहारी व्यंजन केले के पत्ते पर परोसे जाते हैं। आजकल न सिर्फ केरल बल्कि उत्तर भारत के कई बड़े रेस्टोरेंट, फाइव स्टार होटल्स और सागर रत्ना जैसी चेन में भी ओणम साध्या परोसी जाती है।
राजा महाबलि और ओणम की कहानी
ओणम का त्योहार राजा महाबलि की कथा पर आधारित है। महाबलि एक दयालु और न्यायप्रिय असुर राजा थे। उनके शासन में सब लोग खुश और संपन्न थे। लेकिन उनकी बढ़ती शक्ति से देवता डर गए और उन्होंने भगवान विष्णु से मदद मांगी। भगवान विष्णु वामन (बौने ब्राह्मण) का रूप लेकर महाबलि से तीन पग भूमि मांगने पहुंचे। महाबलि ने बिना सोचे-समझे हामी भर दी।
वामन ने विशाल रूप धारण किया और दो पग में धरती और आकाश नाप लिया। तीसरे पग के लिए महाबलि ने अपना सिर आगे कर दिया। उनकी विनम्रता और वचन पालन से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि वे साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने आ सकेंगे। इसी वार्षिक आगमन को ओणम के रूप में मनाया जाता है।
ओणम साध्या के खास व्यंजन
ओणम की दोपहर में एक बड़ी पारंपरिक दावत होती है जिसे साध्या कहते हैं। साध्या का मलयालम में अर्थ है- भोज। इसमें चावल, अलग-अलग तरह की करी और मीठा पायसम सहित लगभग 25 व्यंजन परोसे जाते हैं।
ये हैं कुछ प्रमुख व्यंजन
- अवियल- कच्चे केले, सहजन, फलियां, रतालू, गाजर जैसी कई सब्जियों का स्टू, जिसे नारियल और दही के मिश्रण में पकाया जाता है।
- पचड़ी- खट्टा-मीठा व्यंजन, जिसमें खीरा, कद्दू या अनानास को दही के साथ पकाकर लाल मिर्च और राई का तड़का लगाया जाता है।
- परीप्पू करी- उबली मूंग दाल को मसालों के साथ पकाकर ऊपर से घी, करी पत्ता और राई का तड़का डाला जाता है।
- थोरन- बारीक कटी सब्जियां (गाजर, बीन्स या पत्तागोभी) नारियल और हरी मिर्च के साथ भूनकर बनाई जाती हैं।
- सांभर- इमली, खास मसालों और कई सब्जियों से बनी चटपटी दाल। इसके साथ रसम भी परोसा जाता है।
- ओलन- हल्का और मलाईदार व्यंजन, जिसमें सफेद कद्दू और लाल लोबिया नारियल के दूध व नारियल तेल में पकाए जाते हैं।
- पुलिसेरी- हल्की मसालेदार और खट्टी दही करी, जिसे आम या सफेद कद्दू के साथ बनाया जाता है।
- कलन- खट्टी और मलाईदार करी, जिसमें दही, कच्चा केला और रतालू मिलाए जाते हैं।
- पायसम- साध्या का मीठा अंत। यह खीर जैसी डिश है, जिसे अलग-अलग तरीकों से बनाया जाता है। जैसे- पलाडा पायसम (चावल के आटे से), परिक्कू प्रथमन (मूंग दाल से), आडा प्रथमन (चावल के आटे से)।
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