Janmashtami 2024: भगवान श्रीकृष्ण से सीखें जीवन की ये 5 महत्वपूर्ण बातें
26 अगस्त 2024 को देशभर में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन लोग भगवान कृष्ण के लिए व्रत रखते हैं भोग के लिए घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और पूरे विधि-विधान के साथ उनकी पूजा की जाती है। पूजा व्रत के साथ यह दिन भगवान कृष्ण से जिंदगी जीने के लिए जरूरी चीजें सीखने का भी दिन है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में आज धूमधाम से भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। कृष्ण भक्तों के लिए यह दिन बहुत ही खास होता है। उन्हें प्रसन्न करने के लिए भक्तगण व्रत रखते हैं, उनकी पसंदीदा चीजों का भोग लगाते हैं, साजो-श्रृंगार करते हैं और भी कई चीजें करते हैं, लेकिन अगर आप वाकई भगवान को खुश करना चाहते हैं तो इन चीजों के साथ-साथ उनके जीवन जीने का तरीका भी अपने अंदर उतारें। यही उनकी असली पूजा होगी। श्रीकृष्ण ने गीता के माध्यम से हमें कई ऐसी शिक्षाएं दी हैं, जिन्हें अपनाकर हम जिंदगी को बेहतर तरीके से जी सकते हैं। श्रीकृष्ण की ये शिक्षाएं आचार-व्यवहार और मानसिकता में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
श्रीकृष्ण से सीखने वाले गुण
1. विनम्रता और सम्मान
भगवान श्रीकृष्ण का जीवन विनम्रता और सम्मान का शानदार उदाहरण है। उन्होंने यह सिखाया है कि किस तरह दूसरों का सम्मान करके और विनम्र स्वभाव अपनाकर अपने सामाजिक संबंधों को मजबूत बनाया जा सकता है। विनम्रता हमें शांत और मिलनसार बनाती है।
2. सहयोग और समर्पण
श्रीकृष्ण ने बताया कि कैसे सहयोग और समर्पण की मदद से हम अपने लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं, साथ ही अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगा सकते हैं। सहयोग और समर्पण का गुण एक मजबूत समाज का निर्माण करता है और उससे भी ज्यादा यह व्यक्तिगत विकास के लिए जरूरी होता है।
3. भावनाओं पर नियंत्रण
श्रीकृष्ण ने गीता में यह उपदेश दिया है कि हमें अपनी भावनाओं पर नियंत्रित करना आना चाहिए और ये तभी संभव है जब आप अंदर से शांत होंगे। भावनाओं को कंट्रोल करके हम जीवन के लिए क्या बेहतर है इसका सही तरीके से निर्णय ले पाते हैें। जीवन में आने वाली समस्याओं का सकारात्मकता से मुकाबला कर सकते हैं।
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4. स्वधर्म का पालन करें
श्रीकृष्ण ने अपने धर्म और कर्तव्यों को निभाने का तरीका और महत्व भी बताया है। उन्होंने अर्जुन को कठिन परिस्थितियों में भी कैसे अपने धर्म और कर्म की रक्षा करनी है, इसका ज्ञान दिया है। स्वधर्म से आम-संतोष और आंतरिक शांति प्राप्त कर सकते हैं।
5. मध्य मार्ग अपनाना
श्रीकृष्ण ने मध्य मार्ग पर चलने की भी बात की है। सुख या दुख दोनों ही स्थितियों में संतुलन बनाकर चलना चाहिए। संतुलन से हम जीवन की परेशानियों को सहजता से स्वीकार कर एक स्थिर और सुखी जीवन जी सकते हैं।
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