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    कभी सोचा है क्यों 10 दिनों तक मनाया जाता है Ganesh Utsav? जानें इसके पीछे की कहानी और खास बातें

    गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2025) भारत का एक प्रमुख त्योहार है जो भगवान गणेश के जन्म का प्रतीक माना जाता है। यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है जिसकी शुरुआत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से होती है और समापन अनंत चतुर्दशी पर होता है। इस दौरान लोग भगवान गणेश की पूजा करते हैं भजन गाते हैं और उन्हें मोदक जैसे प्रसाद चढ़ाते हैं।

    By Vrinda Srivastava Edited By: Vrinda Srivastava Updated: Sun, 24 Aug 2025 03:07 PM (IST)
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    क्‍या है गणेश चतुर्थी की खास‍ियत ?

    लाइफस्‍टाइल डेस्‍क, नई द‍िल्‍ली। भारत को त्‍योहारों का देश कहा जाता है। यहां हर उत्सव अपने साथ भक्ति, खुशी और उत्साह लेकर आता है। इन्हीं में से एक है गणेश चतुर्थी, जिसे पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। ये जरूरी हिंदू त्योहारों में से एक है। खासकर महाराष्ट्र में इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान गणेश के जन्म का प्रतीक है, जिन्हें बुद्धि, समृद्धि और शुभ भाग्य का देवता माना जाता है।

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    आपको बता दें क‍ि ये उत्सव 10 दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से होती है और समापन अनंत चतुर्दशी पर होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गणेश चतुर्थी 10 दिनों तक क्यों मनाई जाती है? अगर नहीं, ताे आपको हमारा ये लेख जरूर पढ़ना चाह‍िए। हम आपको इसके पीछे की कहानी बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं -

    उत्सव के पीछे की कथा

    हिंदू मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने चंदन के लेप से गणेश जी की रचना की थी। उन्होंने गणेश जी को जीवन दिया। एक द‍िन नहाते समय माता ने पुत्र गणेश से दरवाजे पर पहरा देने के लिए कहा। जब भगवान शिव लौटे और प्रवेश करना चाहा तो गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया क्योंकि वे भगवान शिव को पहचानते नहीं थे। इससे नाराज होकर भगवान शिव ने गणेश जी का सिर काट दिया।

    10 द‍िनों तक लगातार ल‍िखते रहे थे महाभारत 

    बाद में शिव जी ने उन्हें पुनर्जीवित करने का वचन दिया और उनके शरीर पर हाथी का सिर लगाया। तभी से गणेश को विघ्नहर्ता और नए आरंभ का देवता माना जाने लगा। गणेश उत्सव 10 द‍िनों तक मनाने के पीछे कई कथाएं हैं। ऐसा कहा जाता है क‍ि वेद-व्यास जी ने गणेश भगवान से महाभारत ग्रंथ लिखने की प्रार्थना की। उस दौरान भगवान गणेश ने 10 दिनों तक बिना रुके महाभारत लिख डाली। इससे गणेश जी का तापमान बढ़ गया। तब वेद-व्यास जी ने 10वें दिन उन्हें नदी में स्नान करवाया। यही कारण है क‍ि 10 द‍िनों तक ये उत्‍सव मनाया जाता है।

    Image Credit- Freepik

    ये पहलू भी समझें

    गणेश चतुर्थी का 10 दिनों का उत्सव गहरी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। इसके पीछे कुछ कारण माने जाते हैं-

    • दिव्यता का प्रतीक: इन 10 दिनों को धरती पर भगवान गणेश की उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है। भक्त मानते हैं कि इस समय गणेश जी उनके घर आते हैं, आशीर्वाद देते हैं और सभी बाधाएं दूर करते हैं।
    • आध्यात्मिक विकास: ये 10 दिन आत्मिक शुद्धि और साधना का अवसर माने जाते हैं। लोग पूजा, भक्ति और प्रार्थना से गुस्‍सा, लालच, जलन जैसी बुरी आदतों से छुटकारा और शांति पाने की कोशिश करते हैं।
    • भक्ति और अनुष्ठान: इन दिनों लोग रोजाना पूजा और आरती करते हैं। साथ ही भगवान गणेश जी को प्रसाद जैसे मोदक और लड्डू अर्पित करते हैं। घरों और पंडालों में गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती है और पूरा वातावरण भक्ति से भर जाता है।
    • विसर्जन का महत्व: 10वें दिन यानी अनंत चतुर्दशी को गणेश जी की प्रतिमा का जल में विसर्जन किया जाता है। ये जन्म और मृत्यु के चक्र का प्रतीक होता है। ये हमें याद दिलाता है कि हर क‍िसी को एक दि‍न प्रकृत‍ि में ही समा जाना है।
    • एकता और साथ: आपको बता दें क‍ि ये उत्सव लोगों को एक साथ लाने का काम करता है। 10 दिनों तक हर कोई मिलकर पूजा-पाठ, उत्सव और भक्ति में भाग लेता है।

    गणेश जी से मिलने वाली सीख

    गणपति बप्पा का रूप और उनका व्यक्तित्व हमें जीवन की कई अहम बातें सिखाता है। आपको भी इन्‍हें अपने जीवन में उतारने की कोशि‍श करनी चाह‍िए।

    • ज्ञान का महत्व: गणेश जी का बड़ा सिर बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक है, जो हमें हमेशा सीखते रहने की प्रेरणा देता है।
    • धैर्य और संयम: उनके बड़े कान हमें अच्छा श्रोता बनने और धैर्य रखने की सीख देते हैं।
    • विनम्रता: शक्तिशाली होने के बावजूद गणेश जी विनम्र माने जाते हैं। उनकी आंखें हमें लक्ष्य पर केंद्रित रहने और नम्र बने रहने का संदेश देती हैं।
    • परिवार का सम्मान: माता-पिता के प्रति उनका प्रेम हमें परिवार और बड़ों का सम्मान करने की सीख देता है।
    • बाधाओं को पार करना: विघ्नहर्ता के रूप में वे सिखाते हैं कि धैर्य, बुद्धि और सही सोच से हर मुश्‍क‍िल का हल न‍िकाला जा सकता है।
    • जीवन में संतुलन: उनका आधा मानव और आधा हाथी रूप हमें भौतिक और आध्यात्मिक जीवन में संतुलन बनाए रखने की याद दिलाता है।

    Disclaimer: इस लेख में दी गई सभी जानकारी सामान्य उद्देश्य के लिए है। यहां दी गई किसी भी प्रकार की जानकारी का उद्देश्य क‍िसी की भावनाओं को आहत पहुंचाना नहीं है। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया इस लेख में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें।