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    Diwali 2025: उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक, देश में ऐसे मनाया जाता है रोशनी का यह त्योहार

    Updated: Mon, 20 Oct 2025 09:17 AM (IST)

    दीवाली (Diwali 2025) रोशनी का त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।  यह त्योहार पकवानों, मिठाइयों और मिल-जुलकर खुशियां बांटने का अवसर है। यह पूरे भारत में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। आइए जानें देश के अलग-अलग हिस्सों में कैसे मनाया जाता है दीवाली का त्योहार।

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    अलग-अलग राज्यों में कैसे मनाते हैं दीवाली? (Picture Courtesy: AI Generated)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दीवाली (Diwali2025) का त्योहार रोशनी का पर्व है। इस दिन लोग दीए जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाते हैं। दीवाली के दिन लोग तरह-तरह के पकवान बनाते हैं, मिठाइयां खाते हैं और मिल-जुलकर खुशियां मनाते हैं। 

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    इस त्योहार की खास बात यह है कि यह भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है। जी हां, देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों (Diwali Celebration Across India) से इस त्योहार को मनाया जाता है। आइए जानें देश में अलग-अलग तरीकों से दीवाली मनाने का तरीका। 

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    (Picture Courtesy: AI Generated)

    देश के अलग-अलग हिस्सों में कैसे मनाते हैं दीवाली? 

    • उत्तर भारत- उत्तर भारत में दीवाली का सबसे प्रचलित महत्व भगवान राम के अयोध्या वापसी से जुड़ा है। यहां दीवाली पांच दिनों का त्योहार है, जो धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज पर समाप्त होता है। धनतेरस पर बर्तन या सोना खरीदना शुभ माना जाता है। नरक चतुर्दशी पर सुबह स्नान और शाम को दीये जलाए जाते हैं। दीवाली की मुख्य रात को लक्ष्मी-गणेश की पूजा की जाती है, घरों को दीयों और रोशनी से सजाया जाता है और पटाखे फोड़े जाते हैं। अगले दिन गोवर्धन पूजा और भाई दूज का खास महत्व है।
    • पश्चिम भारत- गुजरात में दीवाली व्यापारिक नववर्ष का प्रतीक है। लोग इस दिन नए बही-खाते शुरू करते हैं और व्यापारी समुदाय लक्ष्मी पूजन के बाद अपने व्यवसाय की नई शुरुआत करते हैं। यहां की एक खास परंपरा है घर के आंगन में रंगोली बनाकर उसमें तेल के दीये जलाना। 
    • पूर्वी भारत- पश्चिम बंगाल और ओडिशा में दीवाली की रात को काली पूजा का खास महत्व है। मान्यता है कि इस रात मां काली का अवतरण हुआ था। इसलिए, यहां लक्ष्मी पूजन के साथ-साथ मां काली की पूजा-अर्चना भी की जाती है। कोलकाता में कालीघाट और दक्षिणेश्वर काली मंदिर में इस दिन विशाल भीड़ उमड़ती है। पूर्वी भारत में भी दीये जलाए जाते हैं और मिठाइयां बांटी जाती हैं, लेकिन धार्मिक आयोजनों पर जोर अलग होता है।
    • दक्षिण भारत- दक्षिण भारत में दीवाली मनाने का तरीका काफी हद तक अलग है। यहां दीवाली का मुख्य दिन उत्तर भारत से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर तेल स्नान करते हैं। इसके बाद नए कपड़े पहनकर, मिठाई खाकर और आतिशबाजी करके त्योहार मनाया जाता है। यहां नरक चतुर्दशी का खास महत्व है, जिस दिन लोग सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते हैं।

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