Bihu Festival 2023: असम में आज मनाया जा रहा है बोहाग बिहू, बहुत ही अनोखी है इस पर्व से जुड़ी परंपराएं
Bihu Festival 2023 बिहू त्योहार और बिहू नृत्य पूर्वोत्तर भारत के राज्य असम की खास पहचान है। बिहू का पर्व इस साल 14 अप्रैल को मनाया जा रहा है। इस दिन बैलों और गायों को हल्दी लगाकर नहलाया जाता है। जानेंगे और क्या खास होता है इस पर्व में।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Bihu Festival 2023: बिहू असम का एक पारंपरिक त्योहार है, जो हिन्दू पंचांग के अनुसार यह बैसाख महीने में मनाया जाता है। पारंपरिक असमिया पंचांग में बैसाख को ‘बोहाग’ कहते हैं। इसलिए इस त्योहार को ‘बोहाग बिहू’ कहा जाता है। यहां इस त्योहार की एक अलग ही धूम देखने को मिलती है। असम एक कृषि प्रधान राज्य है जहां के ज्यादातर लोग कृषि पर भी निर्भर है, तो इस त्योहार के जरिए लोग कृषि देवता को अच्छी फसल के लिए धन्यवाद भी देते हैं।
तीन बार मनाया जाता है बिहू का पर्व
बिहू का जश्न साल में तीन बार मनाया जाता है। एक बिहू जनवरी में, दूसरा अप्रैल में और तीसरा अक्टूबर में। हर एक बिहू को अलग-अलग नाम दिया गया है। जनवरी में मनाए जाने वाले को भोगाली बिहू, अप्रैल में मनाए जाने वाले को बोहाग बिहू और अक्टूबर में मनाए जाने वाले को कंगाली बिहू के नाम से जाना जाता है। वैसे इन तीनों में सबसे ज्यादा महत्व बोहाग बिहू का ही होता है। जो पूरे सात दिनों तक चलता है। इस बिहू के दौरान असम के लोग बिहू डांस भी आयोजन किया जाता है। इसके अलावा और भी कई तरह के दूसरे कार्यक्रम भी देखने को मिलते हैं। अभी हाल ही में 13 अप्रैल 2023 को गुवाहाटी स्थित सरुसजई स्टेडियम में बिहू डांसर्स और ड्रमर्स की परफॉर्मेंस हुई। जहां इन कलाकारों ने दो अलग-अलग रिकॉर्ड अपने नाम किए। पहला रिकॉर्ड एक ही जगह पर सबसे बड़ी एथनिक डांस फॉर्मेस को लेकर बनाई और दूसरा रिकॉर्ड एक ही जगह पर सबसे बड़ी ट्रेडिशनल म्यूजिक परफॉर्मेंस को लेकर बनाया।
We have vied for two world records today in Sarusajai:
✅ 11,304 dancers and drummers performed Bihu, a feat never achieved before today
✅ 2548 dhulias performed breaking the earlier world record of 1356 dhols
Great work Team Assam!
(2/2) pic.twitter.com/pen4iYD2lt
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) April 13, 2023
बोहाग बिहू का त्योहार फसल की कटाई को दर्शता है। पंजाब में इसी फसल की कटाई के अवसर पर बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है। बोहाग बिदु असमी नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
ऐसे मनाते हैं बिहू
रोंगाली बीहू त्योहार के दौरान लोग नृत्य और गायन के साथ ढोल, पपा (पाइप भैंस के सींग), ताका (बांस घंटे का लटकन विभाजित) और ताल (झांझ) के साथ मेहमानों के लिए चावल-बियर परोसते है। त्योहार के मौके पर लोग नए कपड़े पहनते है और लजीज व्यंजन बनाते हैं। इस दिन जरूरतमंदों को दान करने की भी परंपरा है। नजदीकी और प्रिय रिश्तेदारों को सम्मान के तौर पर हाथ से बने अंगोछा भेंट किए जाते हैं, जिसे ‘गमछा’ भी कहते हैं। लोक गीतों के जरिए प्राकृतिक खूबसूरती की प्रशंसा की जाती है।
बिहू डांस के बिना अधूरा है यह त्योहार
बिहू शब्द बिहू त्योहार और बिहू नृत्य दोनों का प्रतिनिधित्व करता है। जो असम का मशहूर नृत्य है। जिसमें महिला-पुरुष खासकर युवा दोनों मिलकर डांस करते हैं। यह एक सामूहिक नृत्य है, जिसका आयोजन बहुत बड़ी जगह जैसे- खुले मैदानों में किया जाता है।
बिहू का महत्व
असम में मनाए जाने वाले रोंगाली बिहू का बहुत महत्व है। जो भारतीय जन-जीवन और किसान के पशु-प्रेम खासकर गाय के प्रति प्रेम को जाहिर करता है। ये पशु किसान जितनी ही मेहनत करते हैं। जिससे हम सबको भोजन मिल सके। इसलिए इस त्योहार पर पशु को भी पूजा होती है। इस दिन बैलों और गायों को हल्दी लगाकर नहलाया जाता है। उन्हें लौकी और बैंगन खिलाए जाते हैं। उन्हें नई और रंगीन रस्सियां दी जाती है।
बिहू के दौरान ही युवक-युवतियां अपने मनपसंद जीवन साथी को चुनते हैं और अपनी जिंदगी की शुरुआत करते हैं। असम में बैसाख माह में सबसे ज्यादा विवाह होते हैं। बिहू के समय में गांवों में तरह-तरह के दूसरे कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। इसके साथ-साथ खेती में पहली बार हल भी जोता जाता है।
Pic credit- assamtourism
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।