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Virtual Meet-ups: वर्चुअल वेडिंग नहीं वर्चुअल मीटिंग है आज की नई वास्तविकता

Virtual Weddingsमैचमेकिंग पोर्टल जीवनसाथी.कॉम ने भारत में मेट्रो और गैर-मेट्रो शहरों में पुरुषों और महिलाओं के बीच वर्चुअल शादियों और मीटिंग के बदलते डायनामिक का अध्ययन करने के लिए एक सर्वेक्षण किया। जिसमें पाया कि वर्चुअल शादियां सिर्फ धुन के तौर पर अपनाई जा रही हैं।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 03:58 PM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 09:46 AM (IST)
Virtual Meet-ups: वर्चुअल वेडिंग नहीं वर्चुअल मीटिंग है आज की नई वास्तविकता
सर्वेक्षण में पाया कि 89% लोग वर्चुअल शादि के समर्थन में नहीं हैं।

नई दिल्ली। लाइफस्टाइल डेस्क। Virtual Weddings: कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन होते ही वर्चुअल शादियों ने सुर्खियां बटोर लीं। एक प्रमुख मैट्रिमनी साइट, जीवनसाथी.कॉम द्वारा हाल ही में किए गए सर्वेक्षण में, यह पाया गया है कि वर्चुअल शादियां सिर्फ धुन के तौर पर अपनाई जा रही हैं क्योंकि भारतीय अब शादी में होने वाले नियमों और रीति-रिवाज़ों को आसान बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। सर्वेक्षण में पाया कि 89% लोग वर्चुअल शादि के समर्थन में नहीं हैं। पूरे देश में युवा भारतीयों के बीच आम भावना यह है कि वे महामारी के दौरान सीमित मेहमानों के साथ ही पारम्परिक तरीके से शादी करना चाहते हैं। इसलिए, इस तथ्य को मानते हुए कहा जा सकता है कि ऑनलाइन शादियों के होते हुए भी भारतीय शादियों की चमक अभी भी बरकरार है। 

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अधिकांश भारतीयों (58%) द्वारा 50 मेहमानों के साथ शादियों के विकल्प को चुनने की संभावना है, उसके बाद कई लोग (21%)  स्थिति के सामान्य होने तक अपनी शादी को स्थगित कर सकते हैं। बाकी उन लोगों की गिनती भी बराबर की है जो पूरी तरह से वर्चुअल प्लेटफॉर्म को अपनाकर, सुरक्षा उपायों के साथ धूम-धाम से शादी का आयोजन करना चाहते हैं।

बदलती प्राथमिकताएं

भारतीय विवाह के आयोजन की बात आने पर महामारी ने युवा भारतीयों की प्राथमिकताओं को प्रभावित किया है। बदलते समय में मेहमानों की लंबी लिस्ट, खाना, सजावट, कपड़े और अन्य ताम-झाम की जगह सुरक्षा और स्वच्छता ने ले ली है। 52% लोगों ने प्राथमिकता के रूप में उचित स्वच्छता, उसके बाद प्रियजनों की उपस्थिति (18%) और यादगार तस्वीरों (11%) को चुना। परी कथा जैसी भव्य शादी की कामना लिस्ट में कहीं नीचे चली गई है। सर्वेक्षण में लैंगिक दृष्टिकोण भी दर्शाया गया है जिसमें महिलाएं (71%) पुरुषों (51%) की तुलना में सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में अधिक गंभीर हैं। इसके अलावा, लोगों की एक पर्याप्त संख्या (82%) ने माना कि महमानों की लिस्ट का छोटा होना और घर पर शादियों का होना निस्संदेह किफायती साबित हो रहा है।

वर्चुअल शादी की जगह वर्चुअल मीटिंग 

शारीरिक दूरी के इस समय ने अधिक से अधिक भारतीयों को आगे बढ़कर बातचीत करने के लिए वर्चुअल कॉफी डेट की संभावना को अपनाने के लिए प्रेरित किया है। सर्वेक्षण में पाया गया कि पुरुष और महिलाएं अपने जीवनसाथी की खोज के लिए वर्चुअल मीटिंग का सहारा लेना पसंद कर रहे हैं। कुल मिलाकर, तीन-चौथाई लोगों ने इस बात पर सहमति जताई कि एक-दूसरे को जानने के लिए आमने-सामने होने वाली मीटिंग की जगह वर्चुअल मीटिंग आजकल ज़्यादा बेहतर है। हालांकि, शादी के फैसले को अंतिम रूप देने के लिए ज़रूरी है कि कम से कम एक मीटिंग आमने-सामने बैठकर की जाए। 

44% लोगों ने माना कि अंतिम फैसले से पहले इन-पर्सन मीटिंग बिल्कुल ज़रूरी होती है। हालांकि, 32% लोग ऐसे भी हैं, जो वर्चुअल मीटिंग के आधार पर शादी के लिए हां कहने से झिझक नहीं रहे। जेंडर लेंस के तहत, महिलाओं की तुलना में भारतीय पुरुषों के लिए वर्चुअल मीटिंग के द्वारा अपना जीवन साथी तय करना अधिक आरामदायक है। जबकि भारतीय महिलाओं का कहना है कि शादी के लिए हां कहने से पहले उनके लिए आमने-सामने मिलना ज़रूरी है।

जीवनसाथी.कॉम के बिज़नेस हेड रोहन माथुर ने कहा, "भारतीय शादियों के लिए वर्चुअल शादियां अभी भी एक दूर की वास्तविकता है। यहां तक कि वह लोग जो अपने जीवन साथी को तय करने के लिए वीडियो कॉल के माध्यम से विर्चुअली मिल रहे हैं, अंतिम निर्णय लेने से पहले एक व्यक्तिगत मीटिंग को प्राथमिकता देते हैं। यह देखना उत्साहजनक है कि कैसे वीडियो कॉलिंग की सुविधा लड़के व लड़कियों और उनके परिवारों के बीच आयोजित इन-पर्सन मीटिंग के प्रारंभिक चरणों की जगह ले रही है।"


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