Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्यों Tussar Silk को कहा जाता है नॉन-वायलेंट सिल्क, यहां जानें इसकी पूरी कहानी

    टसर सिल्क (Tussar Silk) रेशम का एक प्रकार है जिसकी साड़ियां दुनियाभर में मशहूर हैं। इन साड़ियों की चमक और रंग देखने में बेहद खूबसूरत लगते हैं। टसर सिल्क को एक और नाम से जाना जाता है वह है- नॉन वायलेंट सिल्क। ऐसा क्यों कहा जाता है और इसे कैसे बनाया जाता है। इस बारे में हम इस आर्टिकल में जानेंगे।

    By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Wed, 15 Jan 2025 04:54 PM (IST)
    Hero Image
    दुनियाभर में अनोखी पहचान रखता है यह नॉन-वायलेंट सिल्क (Picture Courtesy: Instagram)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। सिल्क की साड़ियों की बात ही कुछ और होती है। उनके जैसी चमक और नरमी और किसी फैब्रिक में देखने को नहीं मिलती। हालांकि, सिल्क के भी कई प्रकार हैं, जो उन्हें उनकी खास पहचान देते हैं। इन्हीं में टसर सिल्क (Tussar Silk) भी शामिल है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    टसर सिल्क, अपनी प्राकृतिक चमक और मजबूती के लिए जाना जाता है, लेकिन इसे अक्सर "नॉन-वायलेंट सिल्क" ( Ahimsa Silk History) के रूप में भी जाना जाता है। इस उपनाम के पीछे एक दिलचस्प कारण है, जो इसे दूसरी तरह के सिल्क से अलग करती है। आइए इस आर्टिकल में टसर सिल्क को नॉन वायलेंट सिल्क कहे जाने के पीछे की वजह जानते हैं।

    (Picture Courtesy: Instagram)

    सिल्क की दुनिया में एक अनूठी पहचान

    सिल्क को आमतौर पर सिल्क के कीड़े के कोकून से हासिल किया जाता है। इन कीड़ों को कोकून बनाने के दौरान ही मार दिया जाता है, ताकि सिल्क के धागे को आसानी से निकाला जा सके। यही कारण है कि पारंपरिक सिल्क उत्पादन को अक्सर हिंसक माना जाता है।

    लेकिन टसर सिल्क इस परंपरा से अलग है। टसर सिल्क को हासिल करने के लिए सिल्क के कीड़े को मारा नहीं जाता है। इसके बजाय, कोकून से कीड़ा निकल जाने के बाद बचे हुए सिल्क के धागे को इकट्ठा किया जाता है। यह प्रक्रिया सिल्क के कीड़े के लाइफ साइकिल को बाधित नहीं करती है और इसलिए इसे अहिंसक माना जाता है।

    यह भी पढ़ें: हर ओकेजन के लिए परफेक्ट है भागलपुरी सिल्क साड़ी, जरूर करें अपनी वॉर्डरोब में शामिल

    टसर सिल्क का उत्पादन कैसे होता है?

    टसर सिल्क का उत्पादन एक नेचुरल प्रक्रिया है। यह सिल्क के कीड़े के एक खास प्रकार, अनथेरिया रॉयली से मिलता है। ये कीड़े जंगली पेड़ों पर पाए जाते हैं और इन्हें पालतू नहीं बनाया जाता है।

    • कोकून का निर्माण- मादा कीड़े पेड़ों की शाखाओं पर कोकून बनाती हैं।
    • कीड़े का निकलना- कुछ समय बाद, कीड़े कोकून से बाहर निकल आते हैं।
    • सिल्क को इकट्ठा करना- कीड़े के निकल जाने के बाद, खाली कोकून से सिल्क के धागे को इकट्ठा किया जाता है।
    • धागे प्रोसेस करना- इकट्ठा किए गए सिल्क के धागों को धोया जाता है और फिर उन्हें सूत में काता जाता है।

    टसर सिल्क की खासियत

    • पर्यावरण के अनुकूल- टसर सिल्क का उत्पादन पारंपरिक सिल्क की तुलना में पर्यावरण के ज्यादा अनुकूल है, क्योंकि इसमें कीड़ों को मारा नहीं जाता है।
    • मजबूत और टिकाऊ- टसर सिल्क बहुत मजबूत और टिकाऊ होता है, जिसके कारण यह अन्य प्रकार के सिल्क की तुलना में ज्यादा समय तक चलता है।
    • प्राकृतिक चमक- टसर सिल्क में एक प्राकृतिक चमक होती है जो इसे अन्य सिल्कों से अलग बनाती है।
    • आरामदायक- टसर सिल्क पहनने में बहुत आरामदायक होता है, क्योंकि यह हवादार और त्वचा के अनुकूल होता है।

    यह भी पढ़ें: कहीं आपकी महंगी Banarasi Silk Saree नकली तो नहीं? इन आसान तरीकों से करें इसकी पहचान