कहानी गहनों की: चोल वंश से शुरू हुआ झुमकों का सफर, मुगलों ने दी शाही पहचान; बहुत दिलचस्प है इतिहास
झुमके भारतीय गहनों में एक खास स्थान रखते हैं और सदियों से महिलाओं के शृंगार का अहम हिस्सा रहे हैं। इसका नाम भी इसकी खास बनावट के कारण मिला है और यह आज ...और पढ़ें

देवताओं के शृंगार से लेकर फैशन स्टेटमेंट बनने तक झुमकों का सफर
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। गहनों में झुमकों की खास जगह हैं। कोई भी खास मौका हो बिना ईयररिंग्स के शृंगार पूरा नहीं लगता। उसमें भी झूमके महिलाओं को खूब पसंद आते हैं। आज मार्केट में भले ही तरह-तरह के ईयररिंग्स मिलते हैं, लेकिन झुमकों की अपनी खास जगह है और ऐसा आज से नहीं, बल्कि सदियों से है।

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जी हां, हमारे और आपके पसंदीदा झुमके आज से नहीं, बल्कि कई सदियों से चलन में हैं। लेकिन इनकी शुरुआत कहां हुई, इसे यह नाम कैसे मिला और इतने समय से आज भी कैसे यह फैशन का हिस्सा बना हुआ है। कहानी गहनों की सीरिज में आज हम इन्हीं सवालों के जवाब जानेंगे। आइए जानें।
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झुमका शब्द का मतलब क्या है?
‘झुमका’ शब्द का मतलब घंटी जैसा माना जाता है। इसकी घंटीनुमा आकृति और हल्की-सी झंकार के कारण इसे यह नाम मिला है। सिर हिलाते ही झुमकों की मूवमेंट और आवाज इन्हें दूसरे आभूषणों से अलग पहचान देती है। आज भी पारंपरिक झुमकों में यह घंटी जैसी शेप साफ दिखाई देती है, जो इन्हें अलग पहचान देती है।
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झुमकों का इतिहास
झुमकों की उत्पत्ति का इतिहास बेहद प्राचीन है। माना जाता है कि इनकी जड़ें लगभग 300 ईसा पूर्व के चोल वंश के समय से जुड़ी हैं। उस दौर में दक्षिण भारत के मंदिरों में देवी-देवताओं की मूर्तियों को झुमकों से सजाया जाता था। यह आभूषण देवताओं के सम्मान और दिव्यता का प्रतीक था। इसी परंपरा से प्रेरित होकर मंदिरों की नृत्यांगनाएं, खासकर भरतनाट्यम नृत्यांगनाएं, झुमके पहनने लगीं। नृत्य के दौरान झुमकों की लयबद्ध गति और चमक ने नृत्य की सुंदरता को और बढ़ा दिया।
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राजघरानों और मुगल प्रभाव
समय के साथ झुमके राजघरानों और कुलीन महिलाओं के बीच लोकप्रिय हो गए। भारी आभूषणों के चलन के बावजूद झुमकों को खास इसलिए माना गया, क्योंकि इनके अंदर का हिस्सा खोखला होता था, जिससे ये देखने में भव्य लेकिन पहनने में हल्के होते थे। मुगल काल में झुमकों ने और निखार पाया। इस दौर में ‘कानफूल’ और ‘संकली’ का चलन शुरू हुआ, जिसमें झुमके को एक सजावटी चेन के जरिए बालों से जोड़ा जाता था। मोतियों की लड़ियां, बिना कटे हीरे और सोने की नक्काशी ने झुमकों को शाही पहचान दी।
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झुमकों के अलग-अलग प्रकार
आज झुमकों के कई रूप देखने को मिलते हैं। टेंपल झुमका, कुंदन झुमका, मीनाकारी झुमका, ऑक्सिडाइज्ड सिल्वर झुमका और पर्ल झुमका हर स्टाइल की अपनी खासियत है। पारंपरिक डिजाइन जहां साड़ी और लहंगे के साथ खूब जंचते हैं, वहीं मिनिमल और फ्यूजन झुमके इंडो-वेस्टर्न आउटफिट्स के साथ भी पसंद किए जाते हैं।
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आज भी फैशन में क्यों हैं झुमके?
झुमके आज भी फैशन में इसलिए हैं, क्योंकि ये समय के साथ खुद को ढालते रहे हैं। ये न सिर्फ स्त्रीत्व और परंपरा का प्रतीक हैं, बल्कि आधुनिक फैशन का भी अहम हिस्सा बन चुके हैं। भारत ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अब पश्चिमी देशों में भी झुमके स्टाइल स्टेटमेंट बन चुके हैं। यही वजह है कि झुमका आज भी हर महिला की ज्वैलरी बॉक्स की शान बना हुआ है, जो परंपरा और ट्रेंड का खूबसूरत मेल।
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