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    Hair Loss in Teenager: बाल बढ़ने की उम्र में झड़ने शुरू हो गए हैं तो ना करें नजरअंदाज, जानें इसके कारण और बचाव

    By Ritu ShawEdited By: Ritu Shaw
    Updated: Mon, 06 Mar 2023 11:00 AM (IST)

    Hair Loss in Teenager ब किशोरावस्था में यानी बाल बढ़ने की उम्र में झड़ने की शिकायत आने लगे तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए। बालों की कुछ लटें झड़ना कोई चिंताजनक बात नहीं होनी चाहिए। लेकिन अगर उससे ज्यादा है तो इग्नोर ना करें।

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    Hair Loss in Teenager: बाल बढ़ने की उम्र में झड़ रहे हैं तो ना करें नजरअंदाज, जानें कारण और बचाव

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Hair Loss in Teenager: बालों के झड़ने की समस्या से तो हर कोई परेशान है। लेकिन ज्यादातर इसे बड़ी उम्र की महिलाओं से जोड़कर देखा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दौरान महिलाएं आमतौर पर विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही होती हैं, चाहे प्रेग्नेंसी हो या फिर मेनोपॉज या फिर अन्य कोई स्वास्थ्य समस्या। लेकिन जब किशोरावस्था में यानी बाल बढ़ने की उम्र में झड़ने की शिकायत आने लगे तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए। बालों की कुछ लटें झड़ना कोई चिंताजनक बात नहीं होनी चाहिए। लेकिन अगर आपके बाल उंगलियां फेरने या कंघी करने के बाद गुच्छे के रूप में फर्श पर नजर आ रहे हैं, तो आपको इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

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    टीनएजर्स में बाल झड़ने के कारण

    1. आनुवंशिकी (जेनेटिक)

    कभी-कभी, बालों के झड़ने के लिए जीन को जिम्मेदार ठहराया जाता है। एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया, जिसे फीमेल पैटर्न बाल्डनेस के रूप में भी जाना जाता है, बालों के झड़ने का एक आनुवंशिक रूप है। इसमें बालों के झड़ने के साथ-साथ बाल धीरे-धीरे पतले भी होने लगते हैं। हालांकि यह पैटर्न आमतौर पर वयस्कता में शुरू होता है, लेकिन अब ये किशोरावस्था के दौरान भी देखने को मिलता है।

    2. पोषण

    किशोरावस्था वह समय होता है जब आप अपने लुक और वजन पर बहुत अधिक ध्यान देते हैं। इस दौरान आप कम खाना खाते हैं, क्रैश डाइटिंग करते हैं या फिर बाहर का ज्यादा खाते हैं। इससे आपको पाचन संबंधी समस्या भी हो सकती है। यह सब आयरन, विटामिन बी12, विटामिन डी, जिंक, बायोटिन और प्रोटीन जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी का कारण बनता है जो बालों के विकास को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

    3. पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस)

    यह एक ऐसी स्थिति है जहां टेस्टोस्टेरोन का स्तर सामान्य से अधिक होता है। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं का वजन बढ़ता है और इसका सिर की त्वचा और बालों के विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

    4. असंतुलित थायराइड

    विशेषज्ञों का कहना है कि थायराइड की स्थिति जो थायराइड हार्मोन के उत्पादन में वृद्धि या कमी का कारण बनती है, वो अनहेल्दी बाल और बालों के झड़ने का कारण बन सकती है।

    5. बालों का उपचार

    टीनएज के दौरान आप हर नए फैशन ट्रेंड को अपनाना चाहते हैं। इसलिए कई बार बालों को कलर करवाना कूल लग सकता है। लेकिन नियमित रूप से बालों को कलर करवाना या केमिकल ट्रीटमेंट लेना जैसे स्ट्रेटनिंग और स्मूथनिंग बालों के शाफ्ट के डाइसल्फ़ाइड बॉन्ड को तोड़ देते हैं। इससे बालों की मजबूती कम हो जाती है और फिर टूटना शुरू हो जाता है, जिससे बाल झड़ने की समस्या बढ़ जाती है।

    6. बालों की देखभाल और स्टाइलिंग के तरीके

    बालों को धोते समय गर्म पानी का उपयोग करना, कठोर शैंपू का चुनाव करना, गीले बालों में कंघी करना या टाइट हेयर स्टाइल बनाना यह सभी बालों के झड़ने का कारण बन सकते हैं।

    7. बीमारी

    टाइफाइड, डेंगू, कोविड-19 या लंबी बीमारी या सर्जिकल प्रक्रियाओं से गुजरने से टेलोजन एफ्लुवियम नामक स्थिति हो सकती है, जो बालों के झड़ने की एक और प्रतिवर्ती स्थिति हो सकती है।

    8. तनाव

    परीक्षा हो या साथियों से परेशानी, किशोरावस्था में भी तनाव हो सकता है। ऐसे में तनाव के बढ़े हुए स्तर से बालों के झड़ने के साथ-साथ टीनएज गर्ल्स में मुंहासे की समस्या भी बढ़ जाती है।

    9. खोपड़ी के विकार

    जहां स्कैल्प पर फंगल ग्रोथ (डैंड्रफ) बढ़ जाती है, इसका मतलब है कि आपको अपने बालों के कई स्ट्रैंड्स को अलविदा कहना होगा। एलोपेसिया एरीटा जैसी अन्य स्थितियां भी हैं जहां प्रतिरक्षा प्रणाली बालों के रोम पर हमला करती है और दाद संक्रमण की समस्या होती है जो खोपड़ी पर खुजली और पपड़ीदार पैच का कारण बन सकती हैं।

    किशोरावस्था में बालों के झड़ने से निपटने के लिए टिप्स-

    -सही निदान और उपचार जल्दी शुरू करने से बालों के झड़ने से निपटने में मदद मिलती है।

    -आयरन और प्रोटीन से भरपूर आहार को शामिल करना चाहिए, इसलिए खजूर, हरी पत्तेदार सब्जियां, दाल, चिकन, मछली, अंडा और नट्स को खाना शुरू कर दें।

    -टाइट हेयर स्टाइल से बचें, हीटिंग टूल्स का उपयोग कम करें और हीट प्रोटेक्टेंट का उपयोग करें।

    -स्कैल्प की नियमित सफाई और एंटी-डैंड्रफ शैंपू के उपयोग से डैंड्रफ नियंत्रण में करें।

    -अगर स्कैल्प पर सफेद परत पर पपड़ीदार स्किन बन रही है तो विशेषज्ञ से सलाह लें।

    Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।