बाघों की दुनिया
दोस्तो, दुनिया में तेजी से विलुप्त बाघों को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी प्रयास हो रहे हैं। इसी के तहत एक और प्रयास है हर साल 2

दोस्तो, दुनिया में तेजी से विलुप्त बाघों को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी प्रयास हो रहे हैं। इसी के तहत एक और प्रयास है हर साल 29 जुलाई को ग्लोबल टाइगर डे का आयोजन। इस मौके पर आओ चलते हैं टाइगर्स की दुनिया में..
-पैंथरा टाइग्रिस या रॉयल बंगाल टाइगर बाघ का लोकप्रिय नाम है।
-विश्व में बाघों की कुल आबादी का 60 फीसदी हिस्सा भारत में है।
-वर्तमान में यह रूस के सुदूर पूर्वी इलाके से चीन, भारत और दक्षिण पूर्वी एशिया तक के इलाकों में पाया जाता है।
-बाघ की औसत आयु करीब 11 साल होती है।
-नर बाघ मादा से बड़ा होता है। इसकी कंधे तक की ऊंचाई तकरीबन 1 मीटर, लंबाई लगभग 2.2 मीटर, पूंछ तकरीबन 1 मीटर लंबी और वजन लगभग 160 से 290 किलोग्राम तक होता है।
-साइबेरियन बाघ सबसे ऊंचे होते हैं। इनका वजन 307 किलो और ऊंचाई 11 फीट तक होती है।
-रिकॉर्ड में अब तक सबसे भारी साइबेरियन बाघ 466 किलो का रहा है। ये मुख्यत: उत्तरी-पूर्व रूस के इलाके में पाए जाते हैं।
-साइबेरियन बाघ 33 फीट ऊंची छलांग लगा सकने की क्षमता वाले होते हैं। दुनिया भर के बाघों के साथ आज ये भी खतरे में हैं।
-बाघ जमीन पर रहने वाला प्राणी है, लेकिन संकट के समय यह पेड़ पर भी चढ़ सकता है।
-स्थान और प्रजाति के अनुसार बाघ के आकार और विशिष्ट रंग एवं धारीदार चिह्न में भी परिवर्तन होता रहता है।
-सिंधु घाटी सभ्यता की मुहरों में बाघ को दर्शाया गया है।
-प्राचीन काल में गुप्त सम्राटों में से सबसे महान समुद्रगुप्त के विशेष सोने के सिक्के में उन्हें बाघ का वध करते हुए दिखाया गया है।
-एशियाई कला और दंत कथाओं में हाथी और सिंह के बाद बाघ का चित्रण हुआ है।
-चीनी पंचांग में हर 12वां साल 'व्याघ्र वर्ष' के रूप में मनाया जाता है, इसमें जन्म लेने वाले बच्चे को वहां भाग्यशाली माना जाता है।
कैसे होती है गिनती?
हमारे देश में बाघों की संख्या कितनी है, यह जानना एक मुश्किल टास्क है। कुछ समय पहले तक बाघों की गिनती उनके पंजों के निशान के आघार पर की जाती थी, पर बाद में इसे विश्वसनीय नहीं माना गया। साल 2007 की गणना में एक नई पद्धति 'कैमरा ट्रैप सिस्टम' का इस्तेमाल किया गया। गिनती का यह तरीका ज्यादा विश्वसनीय था, लेकिन इस पर यह कहकर सवाल उठाया गया कि इसमें कैमरे जमीन से डेढ़ फीट ऊपर लगे होते हैं और शावक उसकी रेंज में नहीं आ पाते।
ग्लोबल टाइगर डे
साल 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग, रूस में 'ग्लोबल टाइगर सबमिट' का आयोजन हुआ, जिसकी अध्यक्षता रूस के तत्कालीन प्रधानमंत्री ब्लादिमिर पुतिन (वर्तमान में राष्ट्रपति)ने की। इस सम्मेलन में भारत सहित दुनिया के उन देशों ने भाग लिया, जहां बाघ पाए जाते हैं। इन देशों के नाम हैं- बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, नेपाल आदि। इसमें बाघों को बचाने के लिए सामूहिक प्रयास की घोषणा उन देशों की तरफ से हुई, जहां बाघों का घर है, लेकिन वे विलुप्त हो रहे हैं। इन देशों ने मिलकर बाघों को बचाने के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए हर साल 29 जुलाई को 'वर्ल्ड टाइगर डे' या 'ग्लोबल टाइगर डे' के रूप में मनाने की घोषणा की।
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