टीकाकरण बच्चों को सर्वश्रेष्ठ उपहार
छोटे बच्चों को खुश रखने के लिए जिस प्रकार से आप उनके लिए ढेर सारे खिलौने खरीदती हैं, उसी प्रकार से बच्चों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाने के लिए जरूरी है कि आप उन्हें समय पर टीके जरूर लगवाएं ज के दौर में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ रही
छोटे बच्चों को खुश रखने के लिए जिस प्रकार से आप उनके लिए ढेर सारे खिलौने खरीदती हैं, उसी प्रकार से बच्चों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाने के लिए जरूरी है कि आप उन्हें समय पर टीके जरूर लगवाएं
आज के दौर में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ रही है और यह जरूरी भी है। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और इन्हें विभिन्न संक्रामक रोगों से बचाने का सरल उपाय है नियमित टीकाकरण। हालांकि दुर्भाग्यवश अभी भी भारत में लगभग 60 प्रतिशत बच्चे ही सभी प्रकार के टीकों का पूर्ण लाभ उठा पाते हैं। इसलिए आप अपने महत्वपूर्ण कामों की लिस्ट में यह बात भी नोट कर लें कि अपने बच्चों को समय-समय पर बालरोग विशेषज्ञ की सलाह से टीकाकरण अवश्य कराएंगी।
बी.सी.जी.
जन्म के समय एक खुराक टीबी से बचाव के लिए होती है।
हेपेटाइटिस बी
जन्म के समय से शुरू होकर छह माह के अंतराल मेंं तीन खुराकें। इससे आप बच्चे को जानलेवा पीलिया से बचा सकती हैं।
डी.पी.टी.
डिप्थीरिया, काली खांसी व टिटनेस का टीका- छह हफ्ते से शुरू होकर तीन प्राइमरी खुराकें व तीन बूस्टर। दर्दवाले या दर्द रहित डी.पी.टी. व आधुनिक बूस्टर के बारे मेंं बालरोग विशेषज्ञ से अवश्य समझें।
पोलियो
नवीनतम टीकाकरण सूची के अनुसार पोलियो ड्रॉप्स की प्राइमरी खुराकों के स्थान पर पोलियो इंजेक्शन से बेहतर बचाव होता है। छह हफ्ते की उम्र से शिशु को यह टीका अवश्य लगवाएं।
रोटा वायरस
भारत में प्रतिवर्ष लगभग पांच से आठ लाख बच्चे विंटर डायरिया के कारण अस्पतालों में भर्ती होते हैं, जिनमें से लगभग डेढ़ लाख बच्चे दम तोड़ देते हैं। विंटर डायरिया से बचाव के लिए पहले छह माह में इसकी दो या तीन खुराक बहुत असरदार होती हैं। विभिन्न टेक्नोलॉजी के इन ड्रॉप्स के बारे मेंं आप डॉक्टर से परामर्श ले सकती हैं।
न्यूमोकॉकल (पीसीवी)
छह हफ्ते से शुरू होकर इसके टीकाकरण से शिशुओं को न्यूमोकॉकल न्यूमोनिया से बचाया जा सकता है।
एम.एम.आर.
खसरा, गलसुआ व रूबेला से बचाने वाले इस टीके के टीकाकरण शिड्यूल में हालिया बदलाव किए गए हैं। इसे अब नौ माह की उम्र में ही लगवाएं व दूसरी खुराक भी अवश्य दें।
हिपेटाइटिस ए.
यह खाने-पीने से फैलने वाले पीलिया से बचाता है। भारतीय बालरोग अकादमी के नवीनतम शिड्यूल के अनुसार इसे एक वर्ष की उम्र में लगवाना चाहिए। यह टीका भी दो अलग प्रणाली में उपलब्ध है, जिसके बारे में अवश्य समझें।
वेरिसेला
पंद्रह माह की उम्र में लगने वाला यह टीका चेचक से बचाव करता है। पांच वर्ष की उम्र में इसकी दूसरी खुराक अवश्य दिलवाएं।
टाइफाइड
निरंतर बढ़ते हुए टाइफाइड बुखार को रोकने का यह आसान तरीका है। इसके लिए भी आधुनिक रिसर्च द्वारा कॉन्जुगेट व पॉलीसैकराइड वैक्सीन उपलब्ध है, जिनके सही इस्तेमाल से आप अपने बच्चे को सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं।
फ्लू
यह टीका सालाना फ्लू संक्रमण व स्वाइन फ्लू से बचाता है। खासकर छोटे बच्चों में यह टीका बहुत लाभदायक है, जिसे इंजेक्शन या नाक में वैक्सीन डालकर दिया जा सकता है।
इन टीकों के अलावा कमजोर बच्चों, गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बच्चों (जैसे दमा, दिल में छेद, कैैंसर, गुर्दे की बीमारी), वृद्धों, गर्भवती महिलाओं व 10-45 वर्ष की महिलाओं (सर्वाइकल कैैंसर वैक्सीन) के लिए आधुनिक टीकाकरण शिड्यूल उपलब्ध हैं। ध्यान रहे, भारत में महिलाओं को होने वाला सर्वाधिक जानलेवा कैैंसर सर्वाइकल कैैंसर ही है। इसके प्रति जागरूक होकर ही हम अपने परिवार को एक स्वस्थ जीवन भेंट कर सकते हैं।
डॉ. सी. एस. गांधी
नवजात शिशु व
बाल रोग विशेषज्ञ
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