बच्चों में लर्निग डिसॉर्डर
अगर लगातार कोशिशों के बावजूद आपका बच्चा पढाई के दौरान एक ही जैसी गलतियां बार-बार दुहराए तो इसे बच्चे की लापरवाही समझकर उसे डांटना-फटकारना उचित नहीं है।

अगर लगातार कोशिशों के बावजूद आपका बच्चा पढाई के दौरान एक ही जैसी गलतियां बार-बार दुहराए तो इसे बच्चे की लापरवाही समझकर उसे डांटना-फटकारना उचित नहीं है। हो सकता है कि वह लर्निग डिसॉर्डर की समस्या से ग्रस्त हो।
फिल्म 'तारे जमीं पर' बच्चों की इसी समस्या पर आधारित थी। इस फिल्म को देखने के बाद लोगों के मन में लर्निग डिसॉर्डर के बारे में जानने की उत्सुकता हुई। इसीलिए यहां आपको दी जा रही है, लर्निग डिसॉर्डर से संबंधित जानकारी।
क्या हैं कारण
बच्चों में लर्निग डिसॉर्डर की समस्या अनेक कारणों से हो सकती है, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार है :
1. अगर माता-पिता या निकट रक्त संबंधियों में से किसी को यह समस्या हो तो बच्चे को भी लर्निग डिसॉर्डर हो सकता है।
2. कभी-कभी न्यूरोलॉजिक कारण जैसे, मस्तिष्क या तंत्रिका तंत्र की संरचना में गड़बड़ी की वजह से भी बच्चे को यह समस्या हो सकती है।
3. जन्म के समय सिर में लगी चोट या घाव के कारण भी बच्चा इस बीमारी का शिकार हो सकता है।
क्या हैं लक्षण
1. इस कठिनाई से जूझ रहे बच्चे की तभी पहचान हो पाती है जब वह पढ़ना-लिखना शुरू करता है।
2. इस समस्या से ग्रस्त बच्चे अकसर अक्षरों या अंकों की सही पहचान नहीं कर पाते और उन्हे उल्टा लिखते और पढ़ते हैं। उदाहरण केलिए ऐसे बच्चे अपनी कॉपी में कई बार बी को डी, पी को क्यू या च को ज या 6 को 9 लिखते हैं। शुरू में बच्चे की ऐसी गलतियों को माता-पिता गंभीरता से नहीं लेते। लेकिन जब सिखाने केबावजूद बच्चा बार-बार ऐसी ही गलतियां दोहराए तो यह समझना चाहिए कि बच्चे को लर्निग डिसॉर्डर की समस्या है।
3. ऐसे बच्चों से जानते हुए भी वर्तनी आगे पीछे हो जाती है। ऐसे बच्चे कभी + की जगह - तो कभी - की जगह + लिख देते है।
4. पढ़ते हुए बच्चा कभी-कभी पूरी लाइन छोड़ देता है या किताब से देखकर लिखते समय उससे कुछ शब्द या अक्षर छूट जाते है।
5. यह आवश्यक नहीं है कि इस समस्या से ग्रस्त बच्चा मंदबुद्धि ही हो।
6. ऐसे बच्चे लोगों के बीच जाने से घबराते है और उनमें आत्मविश्वास की कमी होती है।
7. ऐसे बच्चों को घर और स्कूल में कई तरह के दबावों का सामना करना पड़ता है। इसलिए इनके मन में आक्रोश की भावना अधिकहोती है। प्राय: ऐसे बच्चे तनावग्रस्त, उदास और चिड़चिड़े हो जाते है।
8. अगर कोई बच्चा लिखने-पढ़ने में या गणित संबंधी गलतियां ज्यादा करता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसे बच्चे हमेशा लर्निग डिसॉर्डर के ही शिकार हों। कभी-कभी कमजोर नजर, श्रवण संबंधी कठिनाई, माता-पिता और टीचर की लापरवाही की वजह से भी बच्चे ऐसी गलतियां कर सकते है।
9. अगर बच्चे में ऊपर बताए गए लक्षण दिखाई दें तो भी बच्चे का मनोवैज्ञानिक परीक्षण कराए बिना आपको यह नहीं मान लेना चाहिए किवह लर्निग डिसॉर्डर की समस्या से ग्रस्त है।
कैसे करे मार्गदर्शन
1. ऐसे बच्चे की परवरिश के लिए बहुत धैर्य की जरूरत होती है। आपको इस बात के लिए तैयार रहना चाहिए कि सीखने के दौरान वह बार-बार गलतियां करेगा।
2. दूसरे बच्चों से अपने बच्चे की तुलना कभी न करे। उसमें हीन भावना पैदा होगी।
3. अपने बच्चे की टीचर से लगातार मिलती रहे और उन्हे इस समस्या से अवगत कराएं ताकि उसे व्यर्थ ही डांट-फटकार या अपमान का सामना न करना पड़े।
4. ऐसे बच्चों के शिक्षण संबंधी नई तकनीकों व विधियों के बारे में किताबों या इंटरनेट के माध्यम से नई जानकारियां प्राप्त करे।
5. कई बार ऐसे बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते है लेकिन उनमें कोई न कोई रचनात्मक प्रतिभा जरूर होती है। अगर आपके बच्चे में कोई विशेष योग्यता है तो आप उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करे।
अगर शुरू से ही बच्चे के बौद्धिक विकास के प्रति जागरूक रहते हुए माता-पिता और शिक्षकों द्वारा उसका सही मार्गदर्शन किया जाए तो इस समस्या से ग्रस्त बच्चे भी सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते है।
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