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    केरल के पारंपरिक भोजन थाल 'सादया' की क्‍या है खासियत

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    Updated: Thu, 13 Jul 2017 01:50 PM (IST)

    सादया केरल का पारंपरिक भोजन थाल है जिसमें कई तरह के व्‍यंजन केले के पत्‍ते पर परोसे जाते हैं। सादया का मलयालम भाषा में अर्थ होता है दावत।

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    केरल के पारंपरिक भोजन थाल 'सादया' की क्‍या है खासियत

    दावतों का खाना
    केरल में आज भी शदी विवाह या ओणम जैसे उत्‍सवों पर सादया का आयोजन होता है। इसमें केले के पत्‍ते पर वहां का स्‍थानीय पारंपरिक भोजन सर्व किया जाता है। इसमें मुख्‍य रूप से चावल पर उसके साथ साथ कई और खाने की चीजे भी परोसी की जाती हैं। एक सामान्‍य सादया में 24 से 25 व्‍यंजन होते हैं और अगर इसे और भव्‍य स्‍तर पर आयोजित किया जाये तो उत्‍तर भारत के छप्‍पन भोग की तरह इनकी संख्‍या 64 तक पहुंच जाती है। इसमें मुख्‍य रूप से नेईचोरू यानि चावल के साथ कालान, अवियल, थोरान, ओलन, पछडी, किचाडी, कूटुकारी, एलिसरी, आम का अचार, पुलिंजी, नारंग अचार (नीबू का अचार), पापदाम, केले के चिप्स, शार्ककारा अप्पे, केले, सादे दही और बटरमिल शामिल हैं। आइये इनमें से कुछ के बारे में आपको बताते हैं।

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    नेईचोरू

    इसे एक तरह से आप केरल स्‍पेशल वेज बिरयानी कह सकते हैं जो विभिन्‍न मसालों और मेवों के साथ बनाई जाती है।

    कालान

    ये एक पारंपरिक शाकाहारी व्‍यंजन है जो कच्‍चे केले, अरबी, कसे हुए कच्‍चे नरियल, दही और पिसे मेथी के दानों से तैयार की जाती है।

    शार्ककारा अप्पे

    आपने साउथ इंडिया मशहूर डिश चावल और दाल के खमीर उठे हुए मिश्रण से बने अप्‍पे तो जरूर खाये होंगे। पर ये उसी शेप में बनी एक मीठी डिश होती है इसीलिए इसे शार्ककारा अप्पे कहते हैं।

    अवियल

    केरल की मिक्‍स वेज यानी अवियल डिश बहुत ही टेस्टी और पौष्टिक होती है। इसमें ढेर सारी सब्‍जियां होती हैं, जिसमें नारियल का पेस्‍ट और दही डाल कर मिक्‍स किया जाता है। नारियल से सब्‍जी बेहद स्‍वादिष्‍ट हो जाती है।

    ओलन

    ये भी एक शाकाहारी व्‍यंजन है जो सादया में शामिल होता है। इसे पेठे के फल जिसे उत्‍तर भारत में कुम्‍हड़ा कहते हैं, कद्दू और नारियल के दूध से बनाते हैं।