Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इंजीनियरिंग में बेस्ट आप्शंस

    By Edited By:
    Updated: Wed, 28 May 2014 11:40 AM (IST)

    स्टूडेंट्स के बीच इंजीनियरिंग हमेशा से हॉट सब्जेक्ट रहा है, क्योंकि बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग के बाद करियर के कई ऑप्शंस खुल जाते हैं। कोर्स कंप्लीट करने के बाद इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस, पीएसयू, प्राइवेट सेक्टर में शानदार जॉब हासिल कर सकते हैं। अगर आप इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने जा

    Hero Image

    स्टूडेंट्स के बीच इंजीनियरिंग हमेशा से हॉट सब्जेक्ट रहा है, क्योंकि बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग के बाद करियर के कई ऑप्शंस खुल जाते हैं। कोर्स कंप्लीट करने के बाद इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस, पीएसयू, प्राइवेट सेक्टर में शानदार जॉब हासिल कर सकते हैं। अगर आप इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने जा रहे हैं, तो जानें यहां आपके लिए क्या बेस्ट ऑप्शंस हैं..

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग

    एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिए 12वीं में साइंस सब्जेक्ट यानी फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स/ बायोलॉजी जैसे सब्जेक्ट होने चाहिए। अधिकतर एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटी एग्रीकल्चर इंजीनियर के बीई/बीटेक प्रोग्राम्स में एडमिशन के लिए एंट्रेंस टेस्ट का आयोजन करती है। इस कोर्स की अवधि चार वर्ष की होती है। इसमें डिप्लोमा कोर्स भी किया जा सकता है। कुछ संस्थानों में एडमिशन बारहवीं के अंक के आधार पर भी होता है। आज इस फील्ड में अवसर भी कम नहीं है। स्किल्ड प्रोफेशनल्स प्रोडक्शन, सेल्स, मैनेजमेंट, रिसर्च आदि फील्ड में जॉब की तलाश कर सकते हैं।

    एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग

    12वीं साइंस (मैथ्स) के स्टूडेंट्स बीई/बीटेक एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं या एयरोनॉटिक्स में डिप्लोमा भी कर सकते हैं। विभिन्न कॉलेजों और आईआईटीज में एयरोनॉटिक्स में डिग्री और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री कोर्स उपलब्ध है। कई पॉलिटेक्निक्स द्वारा एविएशन में डिप्लोमा कोर्स कराए जाते हैं। देश में कुछ संस्थान एविएशन में पोस्ट ग्रेजुएट (एमटेक) और डॉक्टोरल प्रोग्राम (पीएचडी) भी कराते हैं। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग का बीई/ बीटेक कोर्स चार साल का होता है, जबकि डिप्लोमा कोर्स की अवधि दो-तीन साल होती है। एयरोनॉटिकल इंजीनियर गवर्नमेंट और प्राइवेट एयरलाइंस में जॉब की तलाश कर सकते हैं। इसके अलावा, नेशनल एयरोनॉटिकल लैब, एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन, इसरो आदि में भी जॉब पा सकते हैं।

    ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग

    इन दिनों ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स की डिमांड काफी बढ़ गई है। आप आईआईटी (गुवाहाटी) से बीटेक इन डिजाइनिंग (चार वर्षीय) का कोर्स कर सकते हैं।

    नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (एनआईडी) अहमदाबाद, इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में चार वर्षीय प्रोग्राम ऑफर करती है। इन सभी कोर्स में 12वीं (पीसीएम) के बाद जेईई मेन्स और एडवांस क्वालिफाई करके एडमिशन लिया जा सकता है। आईआईटी, दिल्ली से इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में मास्टर डिग्री (दो वर्षीय) हासिल कर सकते हैं। आईआईटी, कानपुर भी इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में दो वर्षीय मास्टर डिग्री कोर्स कराती है। इसके अलावा, इंडस्ट्रियल डिजाइन सेंटर, आईआईटी-मुंबई से इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में मास्टर डिग्री (दो वर्षीय) प्राप्त कर सकते हैं। जेनेटिक इंजीनियरिंग

    इस कोर्स में एंट्री के लिए 12वीं बायोलॉजी, केमिस्ट्री और मैथ्स से पास होना जरूरी है। इस समय अधिकतर यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट में जेनेटिक इंजीनियरिंग के लिए अलग से कोर्स ऑफर नहीं किया जाता है, लेकिन इसकी पढ़ाई बायोटेक्नोजी, माइक्रोबायोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री में सहायक विषय के रूप में होती है। बायोटेक्नोलॉजी के अडंर ग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट में जेनेटिक इंजीनियरिंग में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं। गेजुएट कोर्स, बीई/बीटेक में एंट्री प्रवेश परीक्षा के आधार पर होती है। जेनेटिक इंजीनियर के लिए भारत के साथ-साथ विदेश में भी जॉब के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं। मेडिकल और फार्मास्युटिकल कंपनी, एग्रीकल्चर सेक्टर, प्राइवेट और गवर्नमेंट रिसर्च और डेवलपमेंट सेंटर में जॉब हासिल कर सकते हैं। टीचिंग को भी करियर ऑप्शन के रूप में आजमाया जा सकता है।

    इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग

    इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बनने के लिए स्टूडेंट को जेईई या फिर स्टेट लेवल पर आयोजित होने वाले इंजीनियरिंग एग्जाम को क्वालिफाई करना जरूरी है। 12वीं साइंस के स्टूडेंट्स इस कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। इसके लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ होना चाहिए। मौजूदा समय में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स की मांग में जबरदस्त इजाफा हुआ है। इंडस्ट्रीज मैन्युफैक्चरिंग, टेलीविजन, कंप्यूटर, माइक्रोवेब्स से संबंधित इंडस्ट्रीज में इसकी खूब मांग है। इसके अलावा, एटमी प्लांट्स, हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट्स, थर्मल पावर आदि के डिजाइन और डेवलपमेंट इलेक्ट्रिक इंजीनियर की अहम भूमिका होती है।

    फायर इंजीनियरिंग

    फायर इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन के लिए साइंस सब्जेक्ट्स से बारहवीं पास होना जरूरी है। इसके अलावा, इन कोर्सेज में प्रवेश के लिए कई संस्थान नेशनल लेवर पर एंट्रेंस एग्जाम और साक्षात्कार आदि भी आयोजित करते हैं। फायर इंजीनियरिंग से रिलेटेड सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स भी कर सकते हैं। कोर्स के दौरान आग बुझाने के विभिन्न तरीकों की जानकारी दी जाती है। इन कोर्सेज में फिजिकल फिटनेस के मा‌र्क्स भी जोड़े जाते हैं। दिल्ली कॉलेज ऑफ फायर ऐंड सेफ्टी इंजीनियरिंग के डायरेक्टर जेड एस लाकड़ा के मुताबिक, फायर इंजीनियरिंग से जुड़े प्रोफेशनल्स के लिए गवर्नमेंट और पब्लिक सेक्टर में काफी संभावनाएं हैं। इस फील्ड में जुड़े प्रोफेशनल्स रेलवे, एयरफोर्ट ऑथॉरिटी ऑफ इंडिया, डिफेंस फोर्स, इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड, ओएनजीसी, माइंस, रिफाइनरिज, पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स आदि में जॉब की तलाश कर सकते हैं।

    कंप्यूटर साइंस

    कंप्यूटर साइंस में करियर बनाने के लिए मैथ्स और साइंस (फिजिक्स, केमेस्ट्री) में अच्छी पकड़ होनी चाहिए। इस ब्रांच में बीई या बीटेक करने के बाद पोस्टग्रेजुएशन यानी एमई/एमटेक किया जा सकता है। कंप्यूटर इंजीनियर्स के लिए देश-विदेश दोनों जगहों पर अच्छी संभावनाएं हैं। ये सॉफ्टवेयर्स को डिजाइन, डेवलप और मेंटेन करते हैं। इस फील्ड से जुड़े लोगों को सॉफ्टवेयर कंपनीज और आईटी कंपनियों में जॉब मिलती है। कंप्यूटर इंजीनियर अपनी टीम के साथ मिलकर मैथ और साइंस का प्रयोग करके कंप्यूटर को डिजाइन और डेवलप करते हैं। आमतौर पर कंप्यूटर के पुजरें के साथ काम करने वाले प्रोफेशनल्स को हार्डवेयर इंजीनियर कहा जाता है और जो कंप्यूटर के प्रोग्राम्स के साथ काम करते हैं, उन्हें सॉफ्टवेयर इंजीनियर कहा जाता है।

    पेट्रोलियम इंजीनियरिंग

    इन दिनों पेट्रोलियम इंजीनियर्स की काफी डिमांड है। अन्य इंजीनियरिंग ब्रांच की ही तरह पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स का 12वीं साइंस (फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स) से पास होना जरूरी है। इस कोर्स में एडमिशन के लिए जेईई पास करना जरूरी है। कोर्स कंप्लीट करने के बाद इंडियन ऑयल, ऑयल इंडिया लिमिटेड, एचपीसीएल, ओएनजीसी, बीपी आदि में जॉब की तलाश की जा सकती है।

    माइनिंग इंजीनियरिंग

    माइनिंग इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन के लिए मैथ, फिजिक्स और केमिस्ट्री से 12वीं पास होना जरूरी है। माइनिंग इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिए जेईई जैसे एंट्रेंस एग्जाम को पास करना जरूरी है। कोर्स कंप्लीट करने के बाद स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड, आईपीसीएल, नेवली लिग्नाइट कॉरपोरेशन, यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आदि में जॉब की संभावनाएं तलाश सकते हैं। इसके अलावा, रिसर्च और टीचिंग में भी काफी स्कोप है।

    (जागरण फीचर)