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    West Singhbhum: FD के नाम पर बीमा पॉलिसी बेचने पर उपभोक्ता आयोग सख्त, SBI लाइफ को 4 लाख रुपये लौटाने का आदेश

    By Sudhir PandeyEdited By: Shashank Baranwal
    Updated: Mon, 15 Dec 2025 11:07 PM (IST)

    पश्चिम सिंहभूम में, उपभोक्ता आयोग ने एसबीआई लाइफ को एफडी के नाम पर बीमा पॉलिसी बेचने के मामले में सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने एसबीआई लाइफ को उपभोक्ता ...और पढ़ें

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    सांकेतिक तस्वीर

    जागरण संवाददाता, चाईबासा। जिला उपभोक्ता आयोग, पश्चिमी सिंहभूम ने बीमा कंपनी द्वारा एफडी के नाम पर बीमा पालिसी बेचने के मामले को गंभीर मानते हुए इसे अनुचित व्यापार व्यवहार करार दिया है। आयोग ने एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को शिकायतकर्ता की पूरी राशि लौटाने के साथ मुआवजा देने का आदेश दिया है।

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    यह मामला मंझारी थाना अंतर्गत तुईबाना ग्राम निवासी लक्ष्मी पुरती ने दर्ज कराया था। शिकायत में बताया गया कि वह अपनी माता जेमा कुई पुरती के साथ भारतीय स्टेट बैंक, चाईबासा शाखा में फिक्स्ड डिपाजिट कराने गई थीं। बैंक कर्मियों द्वारा उन्हें एसबीआई लाइफ के प्रतिनिधि के पास भेज दिया गया, जहां विभिन्न कागजातों पर हस्ताक्षर करवा लिए गए।

    बाद में पता चला कि एफडी के बजाय 2 लाख रुपये की राशि “रिटायर स्मार्ट प्लस” नामक बीमा पालिसी में निवेश कर दी गई। शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्हें यह विश्वास दिलाया गया था कि एफडी की जा रही है। जब उन्होंने पालिसी रद कर राशि वापस करने की मांग की तो कंपनी ने सहयोग नहीं किया। इतना ही नहीं, आटो-डेबिट के माध्यम से दोबारा 2 लाख रुपये की कटौती भी कर ली गई, जिससे उन्हें मानसिक और आर्थिक पीड़ा झेलनी पड़ी।

    आयोग ने अपने फैसले में कहा कि बीमा कंपनी यह प्रमाणित करने में विफल रही कि उपभोक्ता को बीमा उत्पाद की पूरी और स्पष्ट जानकारी दी गई थी। ई-साइन, ओटीपी सत्यापन और डिजिटल वेलकम काल से संबंधित कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया।

    आयोग ने माना कि बीमा उत्पाद को एफडी बताकर बेचना स्पष्ट रूप से अनुचित व्यापार व्यवहार है और प्रारंभिक सहमति धोखे से प्राप्त की गई, जिससे यह अनुबंध शुरू से ही शून्य हो जाता है।
    आयोग ने शिकायत स्वीकार करते हुए एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को निर्देश दिया कि 4 चार लाख रुपये की संपूर्ण राशि 45 दिनों के भीतर लौटाई जाए। 40 हजार रुपये मानसिक पीड़ा के लिए और 10 हजार रुपये वाद व्यय के रूप में अदा किए जाएं।

    निर्धारित अवधि में भुगतान नहीं होने पर राशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देना होगा। आयोग ने निर्णय की प्रति दोनों पक्षों को निःशुल्क उपलब्ध कराने और आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने का भी निर्देश दिया।

    यह फैसला बैंक-ब्रांच के माध्यम से बीमा उत्पादों की गलत बिक्री के शिकार उपभोक्ताओं के लिए एक अहम नजीर है। आयोग ने स्पष्ट संदेश दिया है कि एफडी के नाम पर बीमा बेचकर धन लेना कानूनन अपराध है और ऐसी कंपनियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।