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    मेघ कहीं है लुका-छिपा, हवा-बयार सब रूखा-सूखा

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 09 May 2017 02:48 AM (IST)

    जागरण संवाददाता,सरायकेला: मेघ कहीं लुका-छिपा है और हवा-बयार रूखा-सूखा है। आलम यह ह

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    मेघ कहीं है लुका-छिपा, हवा-बयार सब रूखा-सूखा

    जागरण संवाददाता,सरायकेला: मेघ कहीं लुका-छिपा है और हवा-बयार रूखा-सूखा है। आलम यह है कि सरायकेला-खरसावां जिले में सारी नदियां सूखने के कगार पर है और अधिकतर चापाकल खराब होकर जवाब दे गए हैं।

    जिले में मुख्यरूप से स्वर्णरेखा, खरकई, संजय, सोना व शोखा नदियां हैं जो मुख्य जलस्त्रोत हैं। जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र की अधिकांश आबादी इन नदियों पर निर्भर है। सभी बरसाती नदियां हैं। बरसात में जहां नदियों में उफान आती है वहीं गर्मी के आते ही नदियों की जलधारा सुप्त हो जाती है। पिछले वर्ष मानसून में कम बारिश होने के कारण इस बार गर्मी के पहले ही नदियों की जलधारा सुस्त हो गई और गर्मी के आते ही पूरी तरह सुप्त हो गई है। जिले के कई शहरी क्षेत्र की जलापूर्ति स्वर्णरेखा, खरकई व सोना नदी के पानी पर निर्भर है। अगर नदियों का यही हाल रहा तो जिले में जलापूर्ति प्रभावित होने की संभावना है।

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    शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में जल समस्या से निपटने के लिए जिले में 15177 चापाकल लगाए गए हैं जिनमें दो हजार चापाकल खराब हैं। पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता एचके मिश्रा ने बताया कि गर्मी में जलापूर्ति बाधित न हो इसके लिए इनटेक वेल के आसपास गहराई की जा रही है। उन्होंने कहा कि विभाग का प्रयास है कि जलापूर्ति प्रभावित न हो। मिश्रा ने कहा कि जिले में कुल 15177 चापाकल हैं। इनमें से 762 चापाकल विशेष मरम्मत के लिए और 654 चापाकल पाइप के लिए बंद है। उन्होंने कहा कि विशेष मरम्मत के 962 में से 402 चापाकलों की विशेष मरम्मत का लक्ष्य लिया गया है। इसी प्रकार जिले को जो पाईप प्राप्त हुई है उससे 654 चापाकलों को ही चालू किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि विशेष मरम्मत वाले चापाकलों की जगहों पर नया चापाकल लगेगा।