उत्कल सम्मिलनी ने श्रद्धापूर्वक मनायी मधुसूदन दास की जयंती
मधुसूदन दास के चित्र के सामने पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुरूप उनका सम्मान किया गया।

उत्कल सम्मिलनी ने श्रद्धापूर्वक मनायी मधुसूदन दास की जयंती
जागरण संवाददाता, चाईबासा : उत्कल सम्मिलनी चाईबासा शाखा और झारखंड उत्कलीय ओ-मूलवासी सांस्कृतिक परिषद के कार्यकर्ता व सदस्यों की ओर से चाईबासा में गुरुवार देर शाम महान समाज सुधारक मधुसूदन दास की 174वीं जयंती भव्य रूप से स्टूडेंट एकेडमी अमलाटोला में मनाई गई। इसमें दोनों संस्थाओं के सदस्यों ने माल्यार्पण कर अपनी श्रद्धा प्रकट की। मधुसूदन दास के चित्र के सामने पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुरूप उनका सम्मान किया गया। सभा में मधु बाबू (1848-1934) के विभिन्न समाज सुधार कार्य का स्मरण करते हुए प्रतिज्ञा ली। मधुसूदन दास जिनको सभी श्रद्धा से मधु बाबू बुलाते थे। समाज की दुर्बल आर्थिक स्थिति को लेकर बहुत चिंतित थे। उन्होंने इसमें सुधार लाने के लिए कटक में सदियों पुरानी चांदी तारकसी कार्यो का पुनरुद्धार किया, जो आज विदेशों में अपना डंका बजा रहा है। अधिवक्ता होते हुए भी उन्होंने अपनी उद्यम से उत्कल टान्नेरी नाम की जूता कंपनी की स्थापना की थी। यहां से प्रथम विश्व युद्ध के लिए काफी मात्रा में जूतों की आपूर्ति की गयी थी। महात्मा गांधी ने इस काम की बहुत सराहना की थी और इसी को माडल के रूप में स्वीकार करने की आग्रह किया करते थे। बताया जाता है कि चाईबासा के मधुबाजार मधुबाबू के नाम पर बसा हुआ है। मौके पर अध्यक्ष सुशांत कुमार महाराणा, उपाध्यक्ष रितुल भल, जगत किशोर सामल, रोहित द्विवेदी, जयंत अखाड़ा, रवींद्र राणा, राहुल सतपथी, चंद्रशेखर बेहरा आदि उपस्थित थे।
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