बीमा कंपनी ने कागजात का बहाना बनाकर क्लेम किया रिजेक्ट, अब देना होगा 1 लाख 20 हजार का हर्जाना
झारखंड के पश्चिम सिंहभूम में एक बीमा कंपनी ने कागज का बहाना बनाकर क्लेम रिजेक्ट कर दिया. अब कंपनी को उपभोक्ता अदालत के आदेशानुसार 1 लाख 20 हजार रुपये ...और पढ़ें

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग पश्चिमी सिंहभूम। फाइल फोटो
संवाद सहयोगी, चाईबासा। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग पश्चिमी सिंहभूम ने वाहन बीमा के
ऑन डैमेज क्लेम को अनुचित रूप से अस्वीकार करने के मामले में यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को सेवा में कमी का दोषी ठहराते हुए शिकायतकर्ता को 1 लाख 10 हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है।
आयोग ने निर्देश दिया कि निर्धारित राशि 45 दिनों के भीतर अदा की जाए, अन्यथा इस पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देय होगा। झींकपानी स्टेशन कालोनी निवासी प्रमोद कुमार लोहानी ने कार का बीमा, Universal Sompo General Insurance Company से कराया था, वैधता 19 मई 2023 से 18 मई 2024 तक थी।
बीमा में निरंतरता बनाए रखने के उद्देश्य से उन्होंने उसी वाहन के लिए 12 जनवरी 2024 से 11 जनवरी 2025 तक चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस कंपनी से दूसरी पालिसी भी ली थी। 29 मार्च 2024 को वाहन की बाईं ओर की एक्सल अचानक टूट जाने से ओडिशा के क्योंझर जिले के रामचंद्रपुर क्षेत्र में दुर्घटना हो गई।
दुर्घटना में वाहन क्षतिग्रस्त हुआ, हालांकि किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई। वाहन मरम्मत के लिए ज्योति मोटर्स, क्योंझर ले जाया गया, जहां मरम्मत खर्च का आकलन एक लाख 35 हजार 282 रुपये किया गया।
शिकायतकर्ता ने दुर्घटना की सूचना समय पर सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कंपनी को दी और सभी आवश्यक दस्तावेज भी जमा किए, जिसके बाद बीमा कंपनी ने दावा संख्या भी जारी की। इसके बावजूद कंपनी ने एफआइआर, ड्राइविंग लाइसेंस व दूसरी बीमा कंपनी से नो लायबिलिटी सर्टिफिकेट की मांग करते हुए दावा अस्वीकार कर दिया।
मरम्मत राशि का भुगतान नहीं होने के कारण वाहन लंबे समय तक वर्कशाप में खड़ा रहा, जिससे शिकायतकर्ता को प्रतिदिन 250 रुपये पार्किंग शुल्क भी देना पड़ा। सेवा में गंभीर कमी बताते हुए शिकायतकर्ता ने उपभोक्ता आयोग में दो लाख 55 हजार 282 की क्षतिपूर्ति की मांग की थी।
दोनों पक्षों की दलीलों और साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद आयोग ने माना कि दुर्घटना यूनिवर्सल सोम्पो की पॉलिसी अवधि के दौरान हुई थी, इसलिए प्राथमिक देयता बीमा कंपनी की बनती है।

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