ईसाइ परिवार के शव को ससनदिरी में दफनाने से आदिवासी हो समाज ने रोका
पश्चिम सिंहभूम जिले के टोंटो प्रखंड क्षेत्र के ग्राम दुरूला में हो समुदाय के लोगों ने ईसाइ परिवार में मृत्यु हुए शव को अपने ससनदिरी (कब्रिस्तान) में सोमवार को दफनाने नहीं दिया।

जागरण संवाददाता, चाईबासा : पश्चिम सिंहभूम जिले के टोंटो प्रखंड क्षेत्र के ग्राम दुरूला में हो समुदाय के लोगों ने ईसाइ परिवार में मृत्यु हुए शव को अपने ससनदिरी (कब्रिस्तान) में सोमवार को दफनाने नहीं दिया। हो समाज की रीति-रिवाज के अनुसार दफनाने नहीं देने के लिए ग्रामीण मुंडा लंडा बोयपाई की अगुवाई में ग्रामीण जुटे। जैसे ही सुबह हो समुदाय की वंशजानुसार ससनदिरी (कब्रिस्तान) में धर्मांतरण परिवार ने शव को दफनाने के लिए खोदाई शुरू की। अचानक से इसकी जानकारी गांव में फैलने लगी और लगभग आठ बजे के आसपास ग्रामीण मुंडा को गांव वालों ने इस घटना की जानकारी दी। इस बीच ग्रामीणों ने आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पदाधिकारियों को भी इस घटना के बारे में जानकारी दी एवं सामाजिक सहयोग करने के लिए अपील की। ग्रामीण मुंडा से समन्वय बनाकर दोपहर 12 बजे गांव में बैठक करने के लिए सहमति बनी। आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पदाधिकारी भी बैठक में शामिल हुए और ससनदिरी स्थल में गए। ग्रामीणों ने विरोधी स्वर को शांत किया और भरी सभा में हो समुदाय की ससनदिरी (कब्रिस्तान) स्थल में शव नहीं दफनाने देने का फैसला लिया।
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दुरूला गांव में 11 परिवार अपना चुके हैं ईसाइ धर्म
दुरूला गांव में लगभग 11 परिवार का धर्मांतरण हुआ है। धार्मिक मुद्दे को लेकर कई दौर पंचायत हुई। इसमें कुछ धर्मांतरण परिवार का सामाजिक बहिष्कार भी किया गया है। संबंधित मामला थाना तक जा पहुंचा है और थाना प्रभारी ने दोनों पक्ष को समझा-बुझाकर गांव में शांति-व्यवस्था के साथ रहने की सलाह दी थी, परंतु धर्मांतरित परिवार से लगभग 50 वर्षीय अमृत लाल बोयपाई का शनिवार रात को किसी बीमारी से निधन हो गया। मृतक अमृत के परिजनों ने हो समुदाय के वंशागत ससनदिरी स्थल पर रविवार को सुबह चुपचाप शव दफनाने के लिए हो समाज के रीति-रिवाज के अनुसार गड्ढा की खोदाई की थी, जिससे यह मुद्दा गांव में गरमाया और शव दफनाने को लेकर पंचायत करने में दिन भर समय बीत गया।
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शव दफनाने को लेकर घंटों चला विवाद
गांव में शव को दफनाने को लेकर काफी देर तक तनाव बना रहा। युवा महासभा के लोगों ने ईसाइ परिवार के आंगन में ही ईसाइ रीति-रिवाज से अमृत का शव दफनाने का सुझाव दिया मगर सरना धर्म मानने वाले अमृत के वंशजों ने शव को आंगन में दफनाने से साफ इनकार कर दिया। उनका कहना था कि अभी जमीन का बंटवारा घर में नहीं हुआ है। एक बार शव दफना देगा तो आने वाले दिनों में दफनाते रहेंगे। ईसाइ परिवार अपने घर से 200-300 फीट दूर में शवल दफनाने के लिए जिद कर रहे थे। इसको लेकर फिर दोनों पक्ष में काफी वाद-विवाद और शोर गुल होने लगा। इस बीच आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पदाधिकारियों ने दोनों पक्षों को समझाने और शांत करने का प्रयास किया परंतु मामला बढ़ता जा रहा था। -
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टोंटो थाना प्रभारी ने गांव पहुंचकर सुलझाया मामला
अंतत: युवा महासभा के पदाधिकारियों ने इस घटना की जानकारी टोंटो थाना प्रभारी सागेन मुर्मू को दी। कुछ समय बाद अपने दल-बल के साथ थाना प्रभारी पहुंचे और ग्रामीणों से पूरे घटनाक्रम को लेकर जानकारी ली और ईसाइ परिवार द्वारा चुपचाप खोदे जा रहे हो समुदाय के ससनदिरी (कब्रिस्तान) स्थल को ग्रामीणों ने दिखाया। ग्रामीण एकमत होकर थाना प्रभारी और टीम को ईसाइ परिवार के शव स्थल की ओर ले गए। वहां ईसाइ परिवार वालों को बुलाया गया। थाना प्रभारी ने दोनों पक्ष को समझाया और मध्यस्थता करते हुए सामूहिक जगह को छोड़कर ईसाइ परिवार को अपने आंगन में शव को दफनाने के लिए दोनों पक्ष की सहमति से गड्ढा खोदाई कराया। देर शाम भारी वर्षा के बीच शव दफनाने की प्रक्रिया शुरू की तथा दोनों पक्ष और ग्रामीणों को किसी तरह का झगड़ा न करने की चेतावनी दी।
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