SARANDA में Maoism पर कड़ा प्रहार, चाईबासा पहुंचीं DGP तदाशा मिश्रा, ऑपरेशन की गुप्त रणनीति पर मंथन
झारखंड की डीजीपी तदाशा मिश्रा ने सारंडा में माओवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए चाईबासा का दौरा किया। उन्होंने माओवादी विरोधी अभियानों की समीक्षा की और सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। उन्होंने क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस प्रयासों पर जोर दिया और अभियानों को तेज करने के निर्देश दिए।

बुधवार को चाईबासा में पुलिस पदाधिकारियों के साथ बैठक करतीं झारखंड की प्रभारी डीजीपी तदाशा मिश्रा।
जागरण संवाददाता, चाईबासा। झारखंड की प्रभारी डीजीपी तदाशा मिश्रा बुधवार को चाईबासा के दौरे पर पहुंचीं। औपचारिक स्वागत के बाद डीजीपी को गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया।
हेलीपैड से डीजीपी मिश्रा सीधे जिला समाहरणालय स्थित पुलिस कार्यालय सभागार पहुंचीं। जहां उन्होंने सारंडा और आसपास के जंगल क्षेत्रों में माओवादियों के विरुद्ध जारी अभियान की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की।
बैठक में लगातार चल रहे सर्च ऑपरेशन, सुरक्षा बलों की तैनाती, अभियान के दौरान सामने आने वाली जमीनी चुनौतियों, क्षेत्रों में समन्वय, तकनीकी संसाधनों के उपयोग और भविष्य की रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा हुई।
उनके आगमन पर टाटा कॉलेज मैदान स्थित हेलीपैड पर कोल्हान रेंज के डीआईजी अनुरंजन किस्पोट्टा, उपायुक्त चंदन कुमार, पुलिस अधीक्षक अमित रेणु सहित जिला प्रशासन और पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका स्वागत किया।
सारंडा में चल रहे सर्च ऑपरेशन की हुई गहन समीक्षा
बैठक के दौरान अधिकारियों ने डीजीपी को बताया कि सारंडा, गोइलकेरा, टोटो, पोड़ाहाट और उससे सटे इलाकों में सुरक्षा बलों की संयुक्त टीमों द्वारा लगातार सर्च ऑपरेशन संचालित किए जा रहे हैं। जंगल के कठिन और दुर्गम इलाके, मोबाइल नेटवर्क की कमी, माओवादी गतिविधियों की अनिश्चितता अभियानों में बड़ी चुनौती बनी रहती हैं।
डीजीपी मिश्रा ने कहा कि अभियान की सफलता के लिए प्रशासन, पुलिस, सीआरपीएफ, कोबरा, झारखंड जगुआर और खुफिया इकाइयों के बीच मजबूत समन्वय आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अभियान में लगे सभी जवान और अधिकारी कठिन परिस्थितियों में जिस साहस के साथ काम कर रहे हैं, वह सराहनीय है।
जमीनी चुनौतियां ही अभियानों की वास्तविक परीक्षा : डीजीपी
बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में डीजीपी मिश्रा ने कहा कि माओवाद विरोधी अभियान का सबसे कठिन पक्ष उसका जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन है। रणनीति कागजों पर भले ही सरल दिखे, लेकिन जंगल क्षेत्रों में सुरक्षाबलों को प्रतिदिन कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि जमीनी चुनौतियां ही इन अभियानों की वास्तविक परीक्षा हैं। ऐसे अभियानों में पुलिस, वन विभाग और सिविल प्रशासन के बीच समन्वय अत्यंत आवश्यक है। इन सभी पहलुओं पर आज विस्तार से चर्चा की गई है।
डीजीपी ने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में अभियान और अधिक प्रभावी एवं परिणाम केंद्रित होगा। उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों की तैनाती, आधुनिक उपकरणों के उपयोग, संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और आपसी समन्वय को मजबूत करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
टीमवर्क ही सबसे बड़ा हथियार : डीजीपी
अपने नए दायित्व को लेकर पूछे गए सवाल पर डीजीपी मिश्रा ने कहा कि वह टीमवर्क को अपनी सबसे बड़ी ताकत मानती हैं। उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस, सीआरपीएफ, कोबरा और अन्य केंद्रीय सुरक्षा बलों के अनुभवी अधिकारी एवं जवान हर स्तर पर अभियान को मजबूत बनाते हैं।
डीजीपी ने कहा कि मैं टीमवर्क में गहरा विश्वास रखती हूं। हमारी संयुक्त ताकत ही किसी भी अभियान को सफल बनाती है। मेरा लक्ष्य है कि हर ऑपरेशन को सुरक्षित, सुचारु और योजनाबद्ध तरीके से संचालित किया जाए।
उन्होंने कहा कि माओवादी गतिविधियों को समाप्त करने के लिए प्रदेश भर में चल रहे अभियानों को और मजबूत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता है, वहां आवश्यक कदम तुरंत उठाए जाएंगे।

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