चाईबासा में खनन कंपनियों के वाहनों के खिलाफ ग्रामीणों का हल्ला बोल, 27 अक्टूबर को मंत्री आवास का करेंगे घेराव
चाईबासा में खनन कंपनियों के भारी वाहनों के कारण हो रही दुर्घटनाओं से नाराज़ ग्रामीणों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। 27 अक्टूबर को परिवहन मंत्री दीपक बिरुवा के आवास का घेराव करने का निर्णय लिया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि रुंगटा कंपनी के भारी वाहनों के कारण दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं और प्रशासन मौन है। उनकी मांग है कि भारी वाहनों के संचालन पर नियंत्रण लगे और पीड़ितों को तत्काल सहायता मिले।

भारी वाहनों से हादसों पर लगाम की मांग को लेकर 27 को परिवहन मंत्री आवास घेराव का ऐलान। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, चाईबासा। खनन कंपनियों के भारी मालवाहक वाहनों के कारण लगातार हो रहे सड़क हादसों से आक्रोशित ग्रामीणों ने अब आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है।
गुरुवार को बादुड़ी गांव में ग्रामीणों की एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि 27 अक्टूबर को झारखंड के परिवहन मंत्री दीपक बिरुवा के आवास का घेराव करते हुए धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
बैठक में तय किया गया कि यह धरना पैदल यात्रा के रूप में आयोजित होगा और जब तक ग्रामीणों की मांगें पूरी नहीं की जातीं, दिन-रात धरना जारी रहेगा। ग्रामीणों ने संकल्प लिया कि प्रत्येक घर से कम से कम एक व्यक्ति इस आंदोलन में भाग लेगा।
साथ ही भोजन एवं अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं के लिए सभी ग्रामीणों से सहयोग करने की अपील की गई। ग्रामीणों का कहना है कि रुंगटा कंपनी के भारी वाहनों के अनियंत्रित आवागमन से सड़कों पर लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं।
आए दिन लोगों की जान जा रही है और प्रशासन मौन है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा।
पिछले एक माह में पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां जिलों में सड़क हादसों में कम-से-कम सात लोगों की मौत और 11 घायल हुए हैं। पश्चिमी सिंहभूम के हाटगामरिया थाना क्षेत्र में ट्रक और वैन की आमने-सामने टक्कर में तीन लोगों की मौत हुई थी, जबकि दस लोग घायल हुए थे।
वहीं, सरायकेला जिले में बीते दिनों अलग-अलग घटनाओं में चार लोगों की मौत हो चुकी है। ग्रामीणों की प्रमुख मांग है कि भारी वाहनों के संचालन पर नियंत्रण लगाया जाए, दुर्घटनाग्रस्त सड़कों पर चेतावनी संकेत और बैरिकेडिंग की व्यवस्था हो तथा दुर्घटना पीड़ितों को तत्काल राहत और चिकित्सा सुविधा दी जाए। ग्रामीणों ने कहा कि यह आंदोलन अब उनकी मजबूरी है, क्योंकि प्रशासन और कंपनी दोनों ही लोगों की सुरक्षा को लेकर संवेदनहीन बने हुए हैं।
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