Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Railway News: टाटानगर और राउरकेला में ट्रेन हादसों को रोकेगी 'कवच' प्रणाली, जानिए कैसे करता है काम

    चक्रधरपुर रेल मंडल में रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए कवच प्रणाली लगाई जा रही है। हावड़ा-मुंबई मार्ग पर बंडामुंडा और राउरकेला स्टेशन क्षेत्रों में यह सिस्टम लगाया जा रहा है। 2028 तक 1563 किमी रेल लाइन को कवच से जोड़ा जाएगा। यह तकनीक ट्रेनों को टकराने से रोकेगी और दुर्घटनाओं को कम करेगी।

    By Rupesh Kumar Edited By: Piyush Pandey Updated: Fri, 20 Jun 2025 04:01 PM (IST)
    Hero Image
    सीनियर डीसीएम चक्रधरपुर रेल मंडल आदित्य चौधरी। (जागरण)

    रूपेश कुमार विक्की, चक्रधरपुर। दक्षिण पूर्व रेलवे जोन में सुरक्षित और दुर्घटना रहित रेलयात्रा की कवायद तेज हो गई है।

    स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली 'कवच' को चक्रधरपुर रेल मंडल के अंतर्गत आने वाले बंडामुंडा और राउरकेला स्टेशन क्षेत्र में सहित दक्षिण पूर्व रेलवे के हावड़ा मुंबई मुख्य रेल मार्ग में लगाए जाने की कवायद शुरू हो गई है।

    यह प्रणाली भारतीय रेलवे की स्वदेशी और अत्याधुनिक ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम 'कवच' 4.0 है, जो रेल हादसों को रोकने में अहम भूमिका निभाएगी।

    टावर निर्माण से 'कवच' सिस्टम की राखी जा रही नींव

    हावड़ा-मुंबई मुख्य रेल मार्ग के चक्रधरपुर रेल मंडल के अंतर्गत आने वाले बंडामुंडा स्टेशन के के केबिन, आर केबिन और ए केबिन तथा राउरकेला स्टेशन के दोनों एंडिंग प्वाइंट पर 'कवच' प्रणाली के तहत संचार टावरों का निर्माण कार्य अब अंतिम चरण में है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इन टावरों से जीपीएस आधारित रेडियो नेटवर्क तैयार किया जा रहा है, जिससे ट्रेन को वास्तविक समय में निर्देश दिए जा सकेंगे और किसी भी आपात स्थिति में ब्रेक लगा कर ट्रेन को बड़े हादसे से बचाया जा सकेगा।

    इसके साथ ही 'कवच' प्रणाली के लिए सिग्नलिंग डिवाइस, सेफ्टी सिस्टम, सेंसर और ट्रैक इक्विपमेंट भी स्थापित किए जा रहें है।

    2028 तक 1563 किमी रूट होगा 'कवच' से लैस

    दक्षिण पूर्व रेलवे के अंतर्गत आने वाले हावड़ा से खड़गपुर, टाटानगर, चक्रधरपुर, राउरकेला, झारसुगुड़ा और खड़गपुर से भद्रक स्टेशनों के बीच 'कवच' सुरक्षा प्रणाली को स्थापित करने के लिए रेलवे 324.54 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। 2028 तक दक्षिण पूर्व रेलवे के 1563 किमी रेल लाइन और 136 रेल इंजनों को 'कवच' से जोड़ दिया जाएगा।

    पहले चरण में चक्रधरपुर रेल मंडल में लग रहा 'कवच'

    पहले चरण में हावड़ा मुंंबई मुख्य रेल मार्ग में 'कवच' से सुरक्षित किया जा रहा है। यही वजह है कि सबसे ज्यादा माल ढुलाई करने वाली और ट्रेफिक का भार सहने वाली चक्रधरपुर रेल मंडल में पहले चरण का कार्य तेजी से किया जा रहा है।

    चक्रधरपुर रेल मंडल के आसनबनी से झारसुगुड़ा स्टेशनों के बीच आने वाले राउरकेला और बंडामुंडा स्टेशनों में 'कवच' लगाने का काम युद्ध स्तर पर जारी है।

    कैसे काम करती है 'कवच' तकनीक

    इस खास तकनीक से एक ही ट्रैक पर आगे-पीछे दौड़ने वाली ट्रेनों में टक्कर नहीं होगी। इसे रोकने के लिए जीपीएस, रेडियो फ्रीक्वेंसी का प्रयोग होगा। ट्रेनों के टकराने की स्थिति आने से पहले ही दोनों ट्रेनों में ऑटोमेटिक ब्रेक लगने के साथ ही पांच किलोमीटर के दायरे में मौजूद सभी ट्रेनों का संचालन भी बंद हो जाएगा।

    ट्रेन हादसों में कमी लाने के लिए दो साल पहले रेलवे ने आरडीएसओ के साथ मिलकर काम शुरू किया था। इसकी मदद से स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली 'कवच' को विकसित किया गया है।

    'कवच' प्रणाली ब्रेक, हॉर्न, थ्रोटल हैंडल आदि की मॉनिटरिंग करती है। लोको पायलट से किसी प्रकार की चूक होने पर 'कवच' पहले ऑडियो-विडियो के माध्यम से अलर्ट करेगा। रेड सिग्नल पार होते ही ट्रेन में अपने आप ब्रेक लग जाएगा।

    रेल यात्रा को तकनीकी रूप से और भी सुरक्षित बनाने की दिशा में चक्रधरपुर रेल मंडल में 'कवच' सिस्टम लगाने का काम तेजी से चल रहा है। फिलहाल राउरकेला बंडामुंडा में संचार टावर लगाए जा रहे है। विशेषकर हावड़ा से झारसुगुड़ा और खड़गपुर से भद्रक स्टेशनों के बीच करीबन 325 करोड़ की लागत से 'कवच' सिस्टम को लगाया जा रहा है। - आदित्य चौधरी, सीनियर डीसीएम, चक्रधरपुर रेल मंडल