हाथियों को ट्रेन की टक्कर से बचाने के लिए रेलवे का अहम फैसला, अब करने जा रही यह काम; अंबानी के जू से मंगाया हाथी
चक्रधरपुर रेल मंडल में अब ट्रेनों से टकराकर हाथियों की मौत नहीं होगी। रेलवे ने एलीफैंट जोन में AI आधारित इंट्रूशन डिटेक्शन सिस्टम लगाया है जिससे 99.5% तक मौतों को रोका जा सकेगा। 15 करोड़ की लागत से बने इस सिस्टम में प्रेशर-वेव्स तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जो हाथियों के कंपन को पहचानकर अलर्ट भेजता है। ग्राफ डेटा के लिए गुजरात से हाथी मंगाया गया है।

रूपेश कुमार विक्की, चक्रधरपुर। दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर रेल मंडल में अब ट्रेनों से टक्कर होने पर हाथियों की मौत नहीं होगी। रेल प्रशासन ने चक्रधरपुर रेल मंडल के एलीफैंट जोन रेल खंड में हाथियों की सुरक्षा के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित इंट्रूशन डिटेक्शन सिस्टम लगा रही है।
जिससे हथियों के ट्रेन से टकरा कर होने वाली मौत की घटना 99.5 फीसद बच जाएगी। इंट्रूशन डिटेक्शन सिस्टम को लगाने के लिए रेलवे करीबन 15 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।
प्रेशर वेव्स आधारित है तकनीक
इंट्रूशन डिटेक्शन सिस्टम मूल रूप से प्रेशर-वेव्स आधारित तकनीक है। इसके साथ ऑप्टिकल फाइबर केबल्स और एआई एल्गोरिदम का भी सपोर्ट है।
यह सिस्टम प्रेशर-वेव्स को महसूस करके हाथियों के पैरों के कंपन को पहचानता है और फिर ऑप्टिकल फाइबर केबल के जरिए नजदीकी स्टेशन मास्टर और सेंट्रल ट्रेन कंट्रोल रूम को सिग्नल भेजेगा। इंट्रूशन डिटेक्शन सिस्टम रेलवे लाइन पर हाथियों के विचरण और आवागमन को लगभग 200 मीटर दूर से पता कर लेगी।
जैसे ही वन क्षेत्रों से गुजरने वाली ट्रेनों के लोको पायलटों को अलर्ट मिलेगा, वे रेलवे लाइनों को पार करते समय हाथियों को बचाने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में ट्रेन की गति धीमी कर देंगे।
चक्रधरपुर रेल मंडल के इन रेल खंडों में लगेगा इंट्रूशन डिटेक्शन सिस्टम
मानीकुई-चांडिल रेल खंड में, धुतरा- बागडीह रेल खंड में, कुनकी-चांडिल रेल खंड में और जराईकेला-महादेव शाल रेल खंड में यह सिस्टम लगाया जाएगा। सभी रेल खण्डों में सिस्टम लगाने की प्रक्रिया अंतिम प्रक्रिया में है।
इंट्रूशन डिटेक्शन सिस्टम का ग्राफ डेटा तैयार करने के लिए गुजरात से मंगवाया हाथी
इंट्रूशन डिटेक्शन सिस्टम को जांचने और डेटा तैयार करने के लिए रेल प्रशासन ने विश्व के बड़े उद्योगपति में शुमार मुकेश अम्बानी के बेटे अनंत अंबानी के गुजरात जामनगर स्थित वनतारा से प्रशिक्षित हाथी को मंगवाया है।
हाथी को सड़क मार्ग से चक्रधरपुर पहुंचने में छह दिन लगे है। यह हाथी चक्रधरपुर के आस पास सिग्नल एंड टेलीकॉम विभाग के द्वारा रेल लाइन में लगा गया इंट्रूशन डिटेक्शन सिस्टम की ग्राफ डेटा तैयार करने में सहायता करेगा।
हाथी को रेल लाइन से दूर, नजदीक, और पास से गुजारा जाएगा। जिसे रेल लाइन के पास लगे इंट्रूशन डिटेक्शन सिस्टम के द्वारा छोड़े वेव्स पता लाएंगे और एक ग्राफ डेटा तैयार करेंगे।
रेल प्रशासन इस ग्राफ डेटा को सिस्टम में फीड करेगी। जब यह सिस्टम एलीफैंट जोन रेल खंडों में लग जाएगी। इसके उपरांत जब हाथी रेल लाइन के आस पास होगा तो सिस्टम में फीड ग्राफ डेटा से उस वक्त का लाइव ग्राफ डेटा मैच होगी और नजदीकी स्टेशन मास्टर और सेंट्रल ट्रेन कंट्रोल रूम तक अलर्ट सिग्नल मिलेगा। जिसे एलीफैंट जोन में ट्रेनों की गति कम हो जाएगी और ट्रेन की टक्कर हाथी से नहीं होगी ।
कई हाथियों ने गंवाई है जान
चक्रधरपुर रेल मंडल घने पहाड़ी जंगल ईलाके में बसा हुआ रेल मंडल है। सारंडा, पोड़ाहाट, कोल्हान दलमा जैसे घनघोर जंगल ईलाका और पहाड़ी क्षेत्र हाथियों के संरक्षित इलाके इसी रेल मंडल में है।
झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के राज्य में फैला यह रेल मंडल है । यही वजह है की इस इलाके में हाथियों की चहलकदमी बनी रहती है।
कई बार हाथी रेल लाइन पार करते समय ट्रेन से टकराकर घायल हुए हैं या फिर उनकी जान तक चली गयी है । वन विभाग का हमेशा से आरोप रहा है की सूचना के बावजूद रेल प्रशासन ध्यान नहीं देती है और हाथियों की मौत ट्रेन से टकराने के कारण लगातार हो रही है।
यही वजह है की रेलवे इंट्रूशन डिटेक्शन सिस्टम लगाकर हाथी और रेल की सुरक्षा में एक नायब कदम बढ़ा रहा है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।