Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Jharkhand News: डॉक्टर की लापरवाही से बिगड़ी मरीज की हालत, उपभोक्ता आयोग ने दिलाया मुआवजा

    चक्रधरपुर के मोहम्मद इम्तियाज ने जमशेदपुर के डॉक्टर पीयूष जैन के खिलाफ चिकित्सकीय लापरवाही का मामला दर्ज कराया था। जिला उपभोक्ता आयोग ने मरीज के पक्ष में फैसला सुनाया और डॉक्टर को हर्जाना देने का आदेश दिया है। डॉक्टर को 1 लाख रुपये क्षतिपूर्ति 67780 रुपये उपचार खर्च और 10000 रुपये वाद व्यय के रूप में देने होंगे। आयोग ने डॉक्टर की सर्जरी में लापरवाही पाया।

    By Rupesh Kumar Edited By: Ashish Mishra Updated: Sun, 06 Jul 2025 10:55 AM (IST)
    Hero Image
    डॉक्टर की लापरवाही से मरीज की हालत बिगड़ने पर उपभोक्ता आयोग ने दिलाया मुआवजा। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, चक्रधरपुर। पश्चिमी सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर नगर क्षेत्र अंतर्गत पापड़हाता वार्ड संख्या-10 निवासी मोहम्मद इम्तियाज द्वारा चिकित्सकीय लापरवाही को लेकर जमशेदपुर के डॉक्टर पीयूष जैन के खिलाफ दर्ज उपभोक्ता वाद में जिला उपभोक्ता विवाद प्रति तोष आयोग ने मरीज के पक्ष में फैसला सुनाया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आयोग ने डॉक्टर को एक लाख रुपये बतौर क्षतिपूर्ति 67,780 उपचार खर्च और 10,000 वाद व्यय के रूप में 45 दिनों के भीतर भुगतान करने का आदेश दिया है। निर्धारित समय सीमा के भीतर भुगतान नहीं होने पर 9 फीसद वार्षिक ब्याज देय होगा।

    मामले के अनुसार, 18 मार्च 2021 को शिकायतकर्ता का झींक पानी रेलवे स्टेशन के पास सड़क दुर्घटना हो गई थी, जिसमें उसके दाहिने पैर में गंभीर चोटें आईं।

    उन्हें प्राथमिक इलाज के बाद डॉक्टर पीयूष जैन के स्टील सिटी क्लिनिक,बिष्टुपुर, जमशेदपुर में भर्ती कराया गया।

    जहां 19 मार्च 2021 को पहली सर्जरी की गई। आरोप है कि गलत तरीके से ऑपरेशन किए जाने के कारण मरीज की हालत और बिगड़ गई, जिससे उसे दोबारा कई बार इलाज कराना पड़ा।

    मरीज को तीसरी बार करानी पड़ी सर्जरी

    यहां तक कि राउरकेला के अस्पताल में तीसरी बार सर्जरी करानी पड़ी। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि डॉक्टर द्वारा सही इलाज न किए जाने के कारण वह चलने-फिरने में असमर्थ हो गया और अपनी आजीविका खो बैठा।

    डॉक्टर ने सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि उन्होंने पूरी ईमानदारी और दक्षता से इलाज किया। उन्होंने यह भी कहा कि घाव में गंभीर संक्रमण था और उन्होंने जान बचाने के उद्देश्य से ऑपरेशन किया।

    हालांकि, आयोग ने डाक्टर द्वारा दिए गए बयानों और दायर साक्ष्यों के आधार पर पाया कि पहली सर्जरी में लापरवाही बरती गई, जिसके कारण दूसरी सर्जरी की जरूरत पड़ी।

    डॉक्टर खुद अपने बयान में स्वीकार किया कि उन्होंने दो बार एक ही कारण से ऑपरेशन किया, जिससे स्पष्ट होता है कि पहली सर्जरी में त्रुटि थी।

    साथ ही, डॉक्टर यह स्पष्ट नहीं कर सके कि दूसरी सर्जरी में आवश्यक नट और स्क्रू क्यों नहीं निकाले गए, जिन्हें अंततः तीसरी सर्जरी में राउरकेला के अस्पताल में हटाया गया।

    45 दिनों के अंदर देना होगा मुआवजा

    आयोग ने अपने आदेश में कहा कि भले ही इलाज आयुष्मान योजना के अंतर्गत हुआ हो, फिर भी मरीज ने अन्य निजी खर्च भी किए हैं और शारीरिक व मानसिक पीड़ा भी झेली है।

    इसलिए डॉक्टर को मुआवजा देना होगा। आयोग ने आदेश दिया कि 67,780 चिकित्सा खर्च, 1,00,000 मानसिक व शारीरिक क्षति के लिए मुआवजा तथा 10,000 वाद व्यय यह राशि 45 दिनों के भीतर भुगतान करनी होगी।

    ऐसा न करने से 9 प्रतिशत ब्याज के साथ वसूली की जाएगी। फैसले की प्रति दोनों पक्षों को निशुल्क दी जाएगी और आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराई जाएगी।