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    मुखबिरी की सजा: माओवादियों ने उप मुखिया के भाई की हत्या कर शव सड़क पर फेंका, पर्चे पर लिखा- इसे बहुत समझाया था

    By Jagran NewsEdited By: Yogesh Sahu
    Updated: Sun, 20 Aug 2023 10:24 AM (IST)

    पश्चिमी सिंहभूम के गोइलकेरा मुख्य सड़क कदमडीहा पंचायत के गितिलपी चौक में भाकपा माओवादियों ने कदमडीहा पंचायत के उप मुखिया डोरसोना सुरीन के बड़े भाई 43 वर्षीय रांदो सुरीन की बीती रात हत्या कर दी। धारदार हथियार से माओवादियों ने उप मुखिया के भाई को मौत के घाट उतारकर शव को गितिलपी में बीच सड़क फेंक दिया। इससे क्षेत्र में सनसनी फैल गई है। ‌

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    धारदार हथियार से माओवादियों ने उप मुखिया के भाई को मौत के घाट उतारा, पर्चे में लिखा- इसे समझाया था

    संवाद सूत्र, सोनुवा/गोइलकेरा। झारखंड में पश्चिमी सिंहभूम में माओवादियों ने शनिवाद देर शाम एक दुस्साहसी वारदात को अंजाम दिया। माओवादियों ने एक शख्स की मुखबिरी के शक में हत्या कर दी। इसके साथ ही इससे जुड़ा एक पर्चा भी चस्पा कर दिया।  

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    जानकारी के अनुसार, गोइलकेरा मुख्य सड़क कदमडीहा पंचायत के गितिलपी चौक में भाकपा माओवादियों ने कदमडीहा पंचायत के उप मुखिया डोरसोना सुरीन के बड़े भाई 43 वर्षीय रांदो सुरीन की बीती रात हत्या कर दी गई।

    माओवादियों ने धारदार हथियार से उप मुखिया के भाई को मौत के घाट उतारकर शव को गितिलपी में बीच सड़क फेंक दिया। इससे क्षेत्र में सनसनी फैल गई है।

    ‌इस वारदात से क्षेत्र में फिर से ग्रामीणों में डर का माहौल पैदा हो गया। रांदो सुरीन, पिता दुर्गा सुरीन, वनग्राम लोवाबेड़ा के निवासी हैं।

    गला रेतकर कर दी हत्या, बोले- मुखबिरी की दी सजा

    जानकारी के अनुसार, शनिवार देर शाम लगभग 8 बजे भारी संख्या में आए माओवादियों ने गितिलपी चौक में मुख्य सड़क के बीचोंबीच धारदार हथियार से गला रेत कर उप मुखिया के बड़े भाई को मौत के घाट उतार दिया।

    इसके बाद शव को वहीं छोड़ दिया। साथ ही हस्तलिखित पर्ची छोड़कर एसपीओ के रूप में पुलिस की मुखबिरी करने के लिए मौत का सजा देने की बात कही।

    फिर माओवादी नारेबाजी करते हुए जंगल की ओर प्रस्थान कर गए। इस घटना से ग्रामीणों में काफी आक्रोश के साथ डर का महौल पैदा हो गया है।

    तीन-चार किलोमीटर दूर है सीआरपीएफ का 60 बटालियन के कैम्प

    गौरतलब है कि इसी गितिलपी चौक पर पूर्व में भी माओवादी कई घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। गितिलपी चौक से पश्चिम दिशा में लगभग तीन-चार किलोमीटर दूरी पर सीआरपीएफ का 60 बटालियन के कैम्प है।

    पूरब की ओर 10 किलोमीटर सायतवा में सीआरपीएफ का 60 बटालियन कैम्प है। दक्षिण दिशा में लगभग चार-पांच किलोमीटर दूरी पर हाथीबुरु में भी सीआरपीएफ 60 बटालियन का कैम्प है। गितिलपी गांव को अगर देखा जाए तो सुरक्षा के दृष्टि से सीआरपीएफ कैम्प से गिरा हुआ है।

    बावजूद नक्सलियों का इस तरह घटनाओं को अंजाम देना कहीं न कहीं सीआरपीएफ की कार्यप्रणाली पर भी बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह है। ऐसा लगता है कि इस क्षेत्र में सीआरपीएफ कैम्प एवं पुलिस प्रशासन होना ना होना बराबर है।