Jharkhand: पीएमश्री योजना में करोड़ों की बंदरबांट, अब जांच के घेरे में आधा दर्जन सप्लायर
झारखंड में पीएमश्री योजना में करोड़ों रुपये की अनियमितताओं का मामला सामने आया है, जिसके बाद आधा दर्जन सप्लायर जांच के घेरे में हैं। यह मामला वित्तीय ग ...और पढ़ें

पीएमश्री योजना में फर्जीवाड़ा। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, चाईबासा। झारखंड में प्रधानमंत्री द्वारा संचालित महत्वाकांक्षी पीएमश्री योजना के तहत 2024-25 में भेजी गई करोड़ों रुपये की राशि में बड़े पैमाने पर अनियमितता का मामला सामने आया है।
प्रत्येक पीएम श्री विद्यालय को लगभग 25 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई थी। यह राशि जेईपीसी रांची के माध्यम से राज्य के सभी 24 जिलों को भेजी गई लेकिन जिला स्तर के कार्यक्रम पदाधिकारियों ने मिलकर इस राशि का गबन करने के लिए सुनियोजित तरीके से पूरा खेल रचा।
हेडमास्टरों से दबाव में लिए गए फर्जी हस्ताक्षर
राज्य भर में जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों ने विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को दबाव में लेकर पहले से तैयार एक जैसे बिलों पर हस्ताक्षर करा लिए। आपूर्तिकर्ता पहले से तय थे और उन्हें ही सभी ऑर्डर दिए गए। खरीद प्रक्रिया को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया। कई हेडमास्टरों को ब्लॉक या जिला कार्यालय बुलाकर दस्तावेजों पर जबरन हस्ताक्षर कराया गया।
सामग्री नहीं पहुंची, पर भुगतान 100 प्रतिशत कर दिया गया
विद्यालयों के लिए बैंड पार्टी के उपकरण, म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट, सांस्कृतिक पोशाक, खेल सामग्री आदि खरीदी जानी थी, लेकिन अधिकांश स्कूलों को कोई सामग्री नहीं मिली। न तो स्टाक रजिस्टर में कोई प्रविष्टि की गई, न ही सामान की गुणवत्ता जांच, और न ही भौतिक सत्यापन। इसके बावजूद सप्लायरों को पूरी राशि भुगतान कर दी गई।
सबसे चौंकाने वाला मामला पश्चिमी सिंहभूम से सामने आया है, जहां लाखों रुपये निजी बैंक खातों में भेज दिए गए। यहां बता दें कि इस मामले में पूर्व में चक्रधरपुर निवासी शिकायतकर्ता बसंत महतो ने भी मुख्यमंत्री से शिकायत की थी।
बसंत महतो ने मुख्यमंत्री कार्यालय को इस बड़ी गड़बड़ी से अवगत कराते हुए कई भुगतान बिना किसी सामग्री की आपूर्ति किए करने की आशंका जतायी थी। यह भी बता दें कि 31 मार्च 2025 से जुड़े इस प्रकरण में उपायुक्त द्वारा विद्यालयों के प्रधानाध्यापक, विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्य, पीएमश्री जिला समन्वयक, लेखापाल, लेखा पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी पर गंभीर लापरवाही, प्रक्रियागत चूक और सरकारी धन के दुरुपयोग को लेकर आरोप पत्र गठित करने के लिए अनुशंसा की जा चुकी है। वहीं, दोषी वेंडरों को काली सूची में डालने की तैयार की जा रही है।
पश्चिमी सिंहभूम में किस वेंडर को कितनी राशि का हुआ भुगतान
1. अल्का एंटरप्राइजेज – 21 लाख 26 हजार 681 रुपये।
2. गोविंद एंटरप्राइजेज – 10 लाख 174 रुपये।
3. इंद्रजीत कुमार यादव – 47 लाख 23 हजार 714 रुपये।
4. पीयूष अग्रवाल – 12 लाख 95 हजार 235 रुपये।
5. पीयूष एंटरप्राइजेज – 64 लाख 89 हजार 763 रुपये।

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