Jharkhand News: चाईबासा की घटना पर आक्रामक हुई भाजपा, झारखंड के इन शहरों में बंद का आह्वान
चाईबासा में हुई घटना के विरोध में भाजपा आक्रामक हो गई है और झारखंड के कई शहरों में बंद का आह्वान किया है। जमशेदपुर, रांची, धनबाद और बोकारो जैसे शहरों में भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और दुकानों को बंद कराया। भाजपा नेताओं ने राज्य सरकार से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

चंपाई सोरेन ने किया बंद का आह्वान
राज्य ब्यूरो, रांची। चाईबासा में रविवार की रात एनएच-220 पर बड़े वाहनों की नो एंट्री को लेकर धरना प्रदर्शन, मंत्री आवास घेराव में शामिल लोगों पर पुलिस कार्रवाई के खिलाफ भाजपा आक्रामक है। प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष सांसद आदित्य साहू ने घटना की तीव्र निंदा करते हुए 29 अक्टूबर को पश्चिम सिंहभूम चाईबासा, सरायकेला खरसावां जिलों में 12 घंटे के बंद का आह्वान किया है।
बंद सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक होगा। आवश्यक सेवाओं को बंद से मुक्त रखा गया है। साहू ने कहा कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण तरीके से धरना-प्रदर्शन जनता का अधिकार है। लेकिन सरकार पिछले छह वर्षों से अपने खिलाफ होने वाले हर लोकतांत्रिक आंदोलन को गोली, बंदूक व लाठी-डंडे से दबाने का काम कर रही है।
चाईबासा बाईपास में पिछले दो वर्षों से एनएच-220 पर दिन-रात भारी वाहन चलते हैं। वाहन की चपेट में आने से एक वर्ष में लगभग 154 लोगों की जान जा चुकी है। पिछले 10 दिनों के भीतर ही चार लोग जान गंवा चुके हैं। आक्रोशित होकर लोगों ने परिवहन मंत्री और स्थानीय विधायक दीपक बिरुवा के आवास के घेराव का कार्यक्रम रखा।
दिनभर लोग धरना पर बैठे रहे, लेकिन सरकार का कोई प्रतिनिधि उनसे बात करने, उनकी मांगों को सुनने नहीं आया। रात में पुलिस की कार्रवाई में दर्जनों लोग घायल हुए। डर से लोग इलाज भी नहीं करा रहे। उन्होंने चाईबास की घटना की न्यायिक जांच कराने की मांग की।
दबाव में नहीं लागू हो रही नो एंट्री - बाबूलाल
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने चाईबासा की घटना की कड़ी भर्त्सना की है। उन्होंने कि पुलिस कार्रवाई ने सरकार का क्रूर और अमानवीय चेहरा सामने ला दिया है। यह हमला कानून-व्यवस्था की विफलता नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार की हिफाजत करने वाला राज्य प्रायोजित आतंक है।
ग्रामीण शांतिपूर्वक नो एंट्री नियम लागू करने की मांग कर रहे थे, ताकि उन्हें अवैध बालू और लौह अयस्क ढोने वाले ट्रकों से मुक्ति मिल सके, जो पिछले एक साल में 100 से अधिक निर्दोष जिंदगियों को कुचल चुके हैं। यह पूरा मार्ग अवैध खनन सिंडिकेट की जीवनरेखा है।
इन ट्रकों से होने वाली अवैध ढुलाई में मंत्री से लेकर प्रशासन तक सब शामिल हैं। हर ट्रक से कमीशन लिया जाता है। सरकार इस अवैध कारोबार को बंद नहीं करना चाहती है। इससे अवैध कमाई का खजाना रुक जाएगा।
ग्रामीण सुबह से लेकर देर रात तक शांति से धरना दे रहे थे और अपना भोजन बना रहे थे। रात 11 बजे उन पर पुलिस कार्रवाई हुई। पूरे मामले की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराई जाए। घटना के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को तत्काल निलंबित किया जाए।

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