झारखंड में लव मैरिज करने पर समाज ने दी खौफनाक सजा, परिवार तक को नहीं छोड़ा
झारखंड में लव मैरिज करने पर एक परिवार को समाज ने खौफनाक सजा दी। पूरे परिवार का मुंडन करवाया गया और उन्हें सामाजिक रूप से बहिष्कृत कर दिया गया। पीड़ित परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है और न्याय की गुहार लगाई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। यह घटना सामाजिक भेदभाव को उजागर करती है।
-1761638231635.webp)
आदिवासी समाज की बैठक
बिशाल गोप, जगन्नाथपुर। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिला में जगन्नाथपुर प्रखंड के गुमरिया पंचायत क्षेत्र के लखीपाई गांव में एक बार फिर समाज को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है।
यहां एक ही किली (गोत्र) के युवक–युवती ने ऑनलाइन जान-पहचान के बाद प्रेम प्रसंग में पड़कर विवाह कर लिया। दोनों ही लागुरी किली (गोत्र) के हैं। युवक का परिवार लखीपाई गांव का निवासी है, जबकि युवती का परिवार टोंटो प्रखंड के पदमपुर गांव से है। युवक मैट्रिक और युवती इंटर पास बताई गई है।
ग्रामीणों ने किया विरोध
मामले को शुरू में दबाने का प्रयास किया गया, लेकिन रविवार को यह घटना सामने आने के बाद ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। मुंडा–मानकी, डाकुवा, दिऊरी तथा आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पदाधिकारियों की उपस्थिति में लखीपाई गांव में विशेष बैठक बुलाई गई। बैठक में इस विवाह को समाजिक रूप से अमान्य घोषित करते हुए इसे 'पाप की श्रेणी' में रखा गया।
गांव से सामाजिक बहिष्कार और शुद्धिकरण का फरमान
बैठक में बताया गया कि युवक–युवती अब गांव और समाज के सदस्य नहीं माने जाएंगे। दोनों को सामाजिक बहिष्कार का दंड दिया गया। हालांकि विवाह के बाद से लड़का-लड़की गांव नहीं आए हैं। इसके अलावा आदिवासी हो समाज की परंपरा और रीति-रिवाज के अनुसार गांव का शुद्धिकरण करने का भी निर्णय लिया गया।
इसके तहत मुर्गा–बकरी की बलि, पूजन सामग्री की अर्पण, तथा सिंहबोंगा और पूर्वजों से सामूहिक क्षमायाचना की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। दोनों परिवारों के अभिभावकों का मुंडन संस्कार भी समाजिक दंड के रूप में कराया गया।
महासभा ने दी चेतावनी
इस बैठक में उपस्थित आदिवासी हो समाज युवा महासभा के राष्ट्रीय महासचिव गब्बर सिंह हेम्ब्रम ने कहा कि बीते वर्षों में इसी तरह के चार–पांच मामले सामने आ चुके हैं। उन्होंने बताया कि पहले समाज में ऐसी घटनाओं पर कठोर दंड, जैसे गांव से निष्कासन या जिंदा जलाने की ऐतिहासिक प्रथा दी जाती थी, लेकिन अब कानून के दायरे में रहकर ही कार्रवाई की जाती है।
उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं आदिवासी समाज को कलंकित करती हैं, इसलिए हर परिवार को अपनी परंपरा और गोत्र नियमों का सम्मान करना चाहिए।
बैठक में मुण्डा जामदार लागुरी, इलाका मानकी रामचंद्र लागुरी, तुरली मानकी दीपक लागुरी, पदमपुर मुण्डा गुलिया लागुरी,आदिवासी 'हो' समाज युवा महासभा के जिला सचिव ओयबन हेम्ब्रम, अनुमंडल उपाध्यक्ष पुतकर लागुरी, पूर्व अनुमंडल सचिव सिकंदर तिरिया, जोटेया किशोर पिंगुवा, हरिश दोराईबुरू, घनश्याम गुईया,मोरा लागुरी, भगवान सिंह कुंटिया,सोहन सिंकू, साधुचरण लागुरी, राजकिशोर लागुरी,राजु लागुरी, कांडे गुईया, टुपरा सिंकू,मनोज गागराई,अंतु गुईया,संतोष दास,पंकज दास,मुन्ना गुईया,सोनाराम लागुरी,प्रदीप कुंटिया,हेबेन चातर,बकवा कुंटिया आदि काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।