Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जनजातीय संस्कृति को डिजिटली संवार रहा आदिवासी लाइव्स मैटर, 30 भाषाओं कंटेंट तैयार कर युवाओं को दे रहा प्रशिक्षण

    Updated: Tue, 22 Oct 2024 07:47 PM (IST)

    आदिवासी संस्कृति अब डिजिटल युग में कदम रख रही है। आदिवासी लाइव्स मैटर (एएलएम) ने देश भर के जनजातीय युवाओं को डिजिटल साक्षरता प्रदान करने की अनूठी पहल की है। 30 जनजातीय भाषाओं में डिजिटल कंटेंट तैयार किया जा रहा है। पहले चरण में 150 से अधिक युवाओं को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया है। अब अबुआ दुनुब नामक फिजिकल वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है।

    Hero Image
    आदिवासी लाइव्स मैटर के फिजिकल वर्कशाप में जुटे विभिन्न राज्यों के जनजातीय क्रिएटर।

    राहुल हेंब्रम, चक्रधरपुर। सदियों से सभ्यता के रंगारंग पटल पर अपनी अनुपम छटा बिखेरती आ रही आदिवासी संस्कृति अब डिजिटल युग में भी अपने कदम जमाने को तैयार है। अपनी विशिष्ट बोली, कला और परंपराओं से समृद्ध यह धरोहर आज तकनीक के माध्यम से एक नई आवाज़ पा रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आदिवासी लाइव्स मैटर (एएलएम) ने एक अभूतपूर्व पहल करते हुए देश भर के जनजातीय युवाओं को डिजिटल साक्षरता का अमृत पिलाने का बीड़ा उठाया है।

    इस अनूठी मुहिम के तहत झारखंड की हो, संथाली, मुंडा, कुडूख समेत 30 जनजातीय भाषाओं में डिजिटल कंटेंट तैयार किया जा रहा है।

    पहले चरण में छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, त्रिपुरा, तमिलनाडु, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के 150 से अधिक युवाओं को ऑनलाइन प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है।

    अब देश के आठ शहरों में 'अबुआ दुनुब' नामक फिजिकल वर्कशॉप का आयोजन कर इस मिशन को और गति प्रदान की जा रही है।

    (पंकज बांकिरा, असिस्टेंट प्रोजेक्ट मैनेजर, आदिवासी लाइव्स मैटर।)

    तीन दोस्तों ने दिखाया सपना, बदली तस्वीर

    आदिवासी लाइव्स मैटर की नींव 2016 में आशीष बिरुली, अंकुश वेंगुरलेकर और ईशा चिटनिस ने रखी थी। इन तीनों युवाओं का सपना था कि आदिवासी संस्कृति, भाषा और सामाजिक मुद्दों को डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से दुनिया तक पहुंचाया जाए।

    देखते ही देखते यह मुहिम एक आंदोलन का रूप ले चुकी है और सैकड़ों आदिवासी युवाओं को इससे जोड़ चुकी है। एएलएम अब तक 200 से अधिक आदिवासी युवाओं को डिजिटल कंटेंट निर्माण का प्रशिक्षण दे चुका है।

    इन युवाओं ने 1500 से अधिक लेख और 500 से अधिक वीडियो के माध्यम से अपनी संस्कृति और परंपराओं को डिजिटल दुनिया में जीवंत किया है।

    आदिवासी आवाज का डिजिटल मंच

    एएलएम का मानना है कि आदिवासी युवाओं में अपार क्षमता है। डिजिटल साक्षरता के माध्यम से वे न केवल अपनी कला, संस्कृति और भाषा को दुनिया के सामने ला सकेंगे, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित कर सकेंगे।

    इस पहल से आदिवासी युवा प्रोफेशनल डिजिटल क्रिएटर बनकर आत्मनिर्भर बनेंगे और अपनी समृद्ध विरासत को भी संजोकर रख पायेंगे।

    मीडिया फेलोशिप से मिल रही नई दिशा

    आदिवासी लाइव्स मैटर और एशिया इंडिजिनस पीपुल्स पैक्ट (एआइपीपी) ने मिलकर 'आदिवासी आवाज मीडिया फेलोशिप' की शुरुआत की। इस फेलोशिप के माध्यम से आदिवासी युवाओं को जमीनी स्तर की रिपोर्टिंग और शोध करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

    एएलएम के असिस्टेंट प्रोजेक्ट मैनेजर पंकज कुमार ने बताया कि देश के आठ राज्यों में पहले चरण में एक अक्टूबर से 27 दिसंबर तक 150 युवाओं को आनलाइन प्रशिक्षण दिया जा चुका है। अब इन युवाओं के लिए रांची, चाईबासा, भोपाल, उदयपुर, गरियाबंद आदि शहरों में 'अबुआ दुनुब' कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।

    यह भी पढ़ें: Dana Cyclone: डाना साइक्लोन का रेलवे पर बड़ा असर, 23 से 26 अक्टूबर तक रद्द रहेंगी 188 ट्रेनें; यहां देखें लिस्ट

    Jharkhand Election: लुइस मरांडी का 'खेल' BJP को करेगा 'फेल'? झारखंड में बैकफुट पर दिख रही भाजपा