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    नुआगांव-बिशपुर सेक्शन पर हाथियों का आतंक, Trackman रात में जान जोखिम में डाल कर रहे पेट्रोलिंग

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 07:33 PM (IST)

    चक्रधरपुर रेल मंडल के नुआगांव-बिशपुर सेक्शन में जंगली हाथियों के आतंक से रेलकर्मी और ग्रामीण दहशत में हैं। सूर्यास्त के बाद हाथियों का झुंड रेल पटरियों के पास पहुंच जाता है, जिससे नाइट पेट्रोलिंग करने वाले ट्रैकमैनों को जान जोखिम में डालकर काम करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने रेल प्रशासन और वन विभाग से तत्काल समाधान की मांग की है।

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    राउरकेला-रांची मुख्य रेल मार्ग के नुआगांव रेलखंड पर विचरण करता हाथियों का झुंड।

    जागरण संवाददाता, चक्रधरपुर। चक्रधरपुर रेल मंडल के राउरकेला-रांची मुख्य रेल मार्ग के नुआगांव रेलखंड में पिछले तीन दिनों से जंगली हाथियों का आतंक लगातार बना हुआ है। नुआगांव और बिशपुर रेलवे सेक्शन के बीच हर शाम ढलते ही हाथियों का बड़ा झुंड रेल पटरी के आस-पास दिखाई देने लगता है। 
     
    इस वजह से रेलकर्मियों और स्थानीय ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। हाथियों की बढ़ती सक्रियता ने रेल संचालन और ट्रैक सुरक्षा की चिंता सताने लगी है।


    रात होते ही रेल पटरियों के पास पहुंच जाता है झुंड 

    रेलवे कर्मियों के अनुसार, जंगली हाथियों का झुंड अक्सर सूर्यास्त के बाद पटरियों के नजदीक पहुंच जाता है। कई बार हाथियों की संख्या इतनी अधिक होती है कि रेल पटरी के आसपास के क्षेत्र में आवाजाही करना जोखिम भरा हो जाता है।

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    जंगल से सटे इस मार्ग पर अंधेरा जल्दी हो जाता है। इससे ट्रैकमैन और वॉकिंग पेट्रोलिंग करने वालों को अचानक हाथी दिख जाने का भय बना रहता है।


    ट्रैकमैन ड्यूटी पर भारी खतरा, फिर भी जारी है पेट्रोलिंग 

    सबसे अधिक खतरा उन ट्रैकमैन को है जो रात के समय रेल लाइन की निगरानी (Night Petroling) करते हैं। हाथियों के आगे आने का खतरा और विजिबिलिटी कम होने के कारण वे अत्यधिक जोखिम के बीच ड्यूटी करने को विवश हैं।

     
    ट्रैकमैन बताते हैं कि कई बार हाथियों के बहुत करीब पहुंच जाने पर उन्हें रेल लाइन से दूर किसी सुरक्षित स्थान पर लंबे समय तक छिपकर रुकना पड़ता है। हाथियों के हट जाने के बाद ही वे दोबारा पेट्रोलिंग शुरू कर पाते हैं। 
     
    रेल कर्मचारियों का कहना है कि चाहे खतरा कितना भी क्यों न हो, सुरक्षा कारणों से नाइट पेट्रोलिंग बंद करना संभव नहीं है। अगर पेट्रोलिंग रुकेगी तो किसी भी प्रकार की तकनीकी खराबी, रेल लाइन में टूट-फूट या अन्य जोखिम का समय पर पता नहीं चलेगा। 
     
    इस कारण बड़े हादसे की संभावना बढ़ सकती है। इसलिए जान पर खेलकर भी वे अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। ऐसे में कभी भी बडा हादसा हो सकता है।


    ग्रामीणों में भी दहशत, शाम के बाद बाहर निकलना मुश्किल 

    जंगली हाथियों की बढ़ती गतिविधि के कारण आसपास के गांवों में रहने वाले लोग दहशत में जी रहे हैं। ग्रामीण शाम ढलते ही जरूरी काम भी छोड़ देते हैं और घरों में कैद हो जाते हैं। 
     
    उनका कहना है कि हाथियों का झुंड कई बार खेतों, पगडंडियों और कच्ची सड़कों से गुजरता है। इससे किसी भी समय जानमाल का खतरा बना रहता है।


    ग्रामीणों ने बताया कि हाथियों के तांडव का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। वे चाहते हैं कि वन विभाग और रेल प्रशासन मिलकर किसी स्थायी समाधान की व्यवस्था करें। 


    रेल प्रशासन और वन विभाग से तत्काल पहल की मांग 

    स्थानीय लोगों ने रेल प्रशासन और वन विभाग से अनुरोध किया है कि नुआगांव-बिशपुर सेक्शन में हाथियों की आवाजाही रोकने या उन्हें सुरक्षित दिशा में पहुंचाने के लिए तम्त्‍काल कदम उठाए जाएं।

     
    कर्मचारियों का कहना है कि ट्रैक के किनारे गश्ती करने वाले स्टाफ की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल, टॉर्च-लाइट व्यवस्था, सायरन, निगरानी टीम या ड्रोन सर्विलांस की व्‍यवस्‍था होनी चाहिए।