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    INDIAN RAIL का नया युग: D-9 इंजन संचालन सीख रहे चक्रधरपुर मंडल के दो लोको पायलट

    Updated: Mon, 10 Nov 2025 07:38 PM (IST)

    चक्रधरपुर के दो लोको पायलट राहुल आदित्य और अरविंद कुमार भारतीय रेल के सबसे शक्तिशाली डी-9 इंजन के संचालन का प्रशिक्षण ले रहे हैं। मेक इन इंडिया के तहत बना यह 9000 हॉर्स पावर का इंजन मालगाड़ी संचालन क्षमता को बढ़ाएगा। गुजरात के दाहोद में चल रहे प्रशिक्षण शिविर में उन्हें इंजन की संरचना और परिचालन प्रणाली की जानकारी दी जा रही है। यह इंजन भारतीय रेल को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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    फाइल फोटो।

    जागरण संवाददाता, चक्रधरपुर। मेक इन इंडिया पहल के तहत विकसित D 9 इंजन भारतीय रेल को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर है। भारतीय रेल के सबसे शक्तिशाली D-9 रेल इंजन के संचालन प्रशिक्षण के लिए चक्रधरपुर रेल मंडल के बंडामुंडा के लोको पायलट राहुल आदित्य और मुरी के लोको पायलट अरविंद कुमार को  चुना गया है। 

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    दोनों पायलट गुजरात के दाहोद रेल कारखाना में चल रहे छह दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा ले रहे हैं। यहां देशभर से चुने गए कुल 19 अनुभवी लोको पायलटों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
     
    यह प्रशिक्षण शिविर भारतीय रेल की मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत शुरू हुए D-9 इंजन परियोजना का हिस्सा है। इस अत्याधुनिक इंजन का निर्माण दाहोद कारखाने में किया जा रहा है। 
     
    विशेषज्ञों के अनुसार, D-9 इंजन भारत का अब तक का सबसे शक्तिशाली 9000 हॉर्स पावर का रेल इंजन है। यह देश की मालगाड़ी संचालन क्षमता को एक नई ऊंचाई देगा।

    शिविर में लोको पायलटों को इंजन की संरचना, नियंत्रण तकनीक, परिचालन प्रणाली और सुरक्षा मानकों की विस्तृत जानकारी दी जा रही है। इसके तहत वे इंजन के डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम, ऑटोमेटिक कंट्रोल यूनिट, तथा कवच सुरक्षा प्रणाली जैसे फीचर्स की बारीक समझ हासिल कर रहे हैं।

    रेलवे अधिकारियों ने बताया कि D-9 इंजन के संचालन से माल ढुलाई की गति और क्षमता में वृद्धि होगी। परिचालन लागत में भी कमी आएगी। यह इंजन स्वदेशी तकनीक से निर्मित है और भारतीय रेल को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि D-9 लोकोमोटिव का संचालन शुरू होने के बाद भारत के माल परिवहन क्षेत्र में एक नई तकनीकी क्रांति आएगी। यह केवल एक इंजन नहीं, बल्कि भारतीय रेल के आत्मनिर्भर भविष्य की पहचान है।