आईईडी विस्फोट में घायल CRPF इंस्पेक्टर की दिल्ली एम्स में मौत, 20 दिनों से चल रहा था इलाज
छत्तीसगढ़ में हुए एक आईईडी विस्फोट में गंभीर रूप से घायल सीआरपीएफ इंस्पेक्टर, जिनका दिल्ली एम्स में पिछले 20 दिनों से इलाज चल रहा था, आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।

घायल CRPF इंस्पेक्टर की दिल्ली एम्स में मौत
जागरण संवाददाता, चाईबासा। पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा जंगल में माओवाद विरोधी अभियान के दौरान हुए आईईडी विस्फोट में गंभीर रूप से घायल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 60 बटालियन के इंस्पेक्टर कौशल कुमार मिश्रा (58) की इलाज के दौरान मौत हो गई। उन्होंने गुरुवार तड़के दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अंतिम सांस ली। यह हादसा 10 अक्टूबर को हुआ था।
पश्चिमी सिंहभूम के पुलिस अधीक्षक अमित रेणु ने बताया कि सरंडा क्षेत्र में माओवादियों द्वारा लगाए गए आइईडी विस्फोट में इंस्पेक्टर मिश्रा गंभीर रूप से घायल हो गए थे। वे सीआरपीएफ की 60वीं बटालियन के साथ नक्सल विरोधी अभियान का नेतृत्व कर रहे थे। विस्फोट में उनके बाएं पैर में गहरी चोटें आईं।
एयरलिफ्ट कर दिल्ली एम्स भेजा गया
घटना के बाद उन्हें हेलिकॉप्टर से एयरलिफ्ट कर पहले राउरकेला से रांची और फिर दिल्ली एम्स भेजा गया था। वहां 11 अक्टूबर से उनका इलाज चल रहा था। 30 अक्टूबर की सुबह उनकी स्थिति गंभीर हो गई और उन्होंने दम तोड़ दिया।

इस घटना में खरसावां के विधायक दशरथ गागराई के भाई एएसआई रामकृष्ण गागराई व हवलदार महेंद्र लश्कर (45) भी घायल हुए थे। असम निवासी महेंद्र लश्कर की 11 अक्टूबर को ही मृत्यु हो गई थी, जबकि एएसआई रामकृष्ण गागराई का उपचार जारी है।
बिहार के निवासी थे कौशल मिश्रा
बलिदानी इंस्पेक्टर कौशल मिश्रा मूल रूप से बिहार के निवासी थे और लंबे समय से नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात थे। अधिकारियों ने उनके बलिदान को नमन करते हुए कहा कि उन्होंने अपने कर्तव्यपालन में सर्वोच्च साहस का परिचय दिया।
ज्ञात हो कि नक्सल प्रभावित इलाकों में आईईडी अब भी सुरक्षा बलों के लिए सबसे बड़ा खतरा बने हुए हैं। केंद्र सरकार ने वर्ष 2026 तक देश से माओवाद के पूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है।

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